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This Article is From Nov 22, 2020

"अभिव्यक्ति की आजादी के खिलाफ नहीं": केरल पुलिस कानून में बदलाव पर बोले पिनराई विजयन

विपक्ष ने केरल पुलिस एक्ट में बदलाव पर कहा है कि इससे पुलिस को असीमित अधिकार मिल जाएंगे और प्रेस की आजादी पर चोट पहुंचेगी. कानून के तहत सोशल मीडिया या किसी अन्य माध्यम पर आपत्तिजनक पोस्ट करने पर 5 साल जेल का प्रावधान है.

"अभिव्यक्ति की आजादी के खिलाफ नहीं": केरल पुलिस कानून में बदलाव पर बोले पिनराई विजयन
केरल के मुख्यमंत्री पिनराई विजयन ने Kerala Police Act का बचाव किया. (फाइल)
तिरुवनंतपुरम:

केरल के मुख्यमंत्री पिनराई विजयन (Pinarayi Vijayan) ने पुलिस कानून में बदलाव पर रविवार को सरकार का बचाव किया. उन्होंने भरोसा दिया कि कानून को अभिव्यक्ति की आजादी (Free Speech) या निष्पक्ष पत्रकारिता के खिलाफ इस्तेमाल नहीं किया जाएगा. इसमें सोशल मीडिया या किसी अन्य माध्यम से आपत्तिजनक या मानहानि करने वाली सामग्री प्रकाशित या प्रसारित करने पर 5 साल जेल के प्रावधान का सबसे ज्यादा विरोध हो रहा है. केरल में विपक्ष का आरोप है कि इस कानून का दुरुपयोग स्वतंत्र मीडिया और सरकार की आलोचना करने वालों का मुंह बंद करने के लिए किया जाएगा.

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केरल के मुख्यमंत्री ने कहा, "निजी पसंद या नापसंद, राजनीतिक या गैर राजनीतिक हित...परिवारों के शांतिपूर्व माहौल को खराब करने.. किसी के खिलाफ दुश्मनी निकालने आदि" इस तरह के हमले पत्रकारिता की श्रेणी में नहीं आते. ये पूरी तरह से बदले की कार्रवाई है और कई बार धन के लालच में भी ऐसी घृणित कार्यों को अंजाम दिया जाता है.

केरल के राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान ने शनिवार को पुलिस एक्ट (Kerala Police Act) में बदलाव से जुड़े अध्यादेश को मंजूरी दी. इसमें सोशल मीडिया (Social Media)  किसी अन्य माध्यम से अपमानजनक या मानहानि करने वाली सामग्री प्रकाशित या प्रसारित करने पर 10 हजार रुपये जुर्माने या 5 साल तक जेल या दोनों सजा का प्रावधान है.

विजयन ने कहा कि राज्य की यह जिम्मेदारी है कि वह लोगों की स्वतंत्रता और प्रतिष्ठा की रक्षा करे. "संविधान के दायरे का ध्यान रखते हुए मीडिया या सरकार की आलोचना करने वालों के खिलाफ कोई कार्रवाई इसके तहत नहीं की जाएगी. इसको लेकर व्यक्त की जा रही आशंकाएं निराधार हैं."विजयन ने कहा कि प्रेस की आजादी (Freedom Of Press) सुनिश्चित करने के साथ सरकार का यह दायित्व भी है कि वह नागरिकों की निजी स्वतंत्रता और सम्मान को भी बनाए रखे. यही कहा जाता है कि एक व्यक्ति की स्वतंत्रता वहीं तक है, जहां वह दूसरे की स्वतंत्रता में बाधक न हो. लेकिन इसका लगातार उल्लंघन होता रहा है.

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