नई दिल्ली:
नार्वे में माता-पिता की कथित लापरवाही पर बाल विकास सेवा द्वारा कब्जे में लिए गए दो अनिवासी भारतीय बच्चे मंगलवार को स्वदेश लौट आए। बच्चों के स्वदेश लौटने के साथ ही महीनों से चल रहे इस विवाद का जहां अंत हो गया। वहीं, बच्चों के परिजनों ने कूटनीतिक प्रयास के लिए सरकार को धन्यवाद दिया।
बच्चों के भारत लौटने पर विदेश मंत्री एसएम कृष्णा ने कहा कि वह दोनों बच्चों का यहां स्वागत करके बहुत खुश हैं। जबकि तीन वर्षीय अभिज्ञान और एक वर्षीय ऐश्वर्य के दादा ने अविश्वसनीय सहायता उपलब्ध कराने के लिए सरकार को धन्यवाद दिया।
विदेश राज्यमंत्री प्रणीत कौर बच्चों के दादा-दादी के साथ, तीन वर्षीय अभिज्ञान और एक वर्षीय ऐश्वर्य का स्वागत करने के लिए यहां हवाईअड्डे पर मौजूद थीं। नार्वे में बच्चों की देखरेख करने वाले उनके साथ थे।
दोनों बच्चों के बुधवार को कोलकाता पहुंचने की संभावना है।
अनुरूप और सागरिका भट्टाचार्य के बच्चे अभिज्ञान और ऐश्वर्य को पिछले वर्ष मई में उनके माता-पिता से ले लिया गया था।
नार्वे की एक अदालत ने स्टैवांगर शहर में दोनों बच्चों को उनके चाचा, अरुणाभाष भट्टाचार्य को सौंप दिया, जिसके बाद भारत सरकार ने उनके भारत लौटने का बंदोबस्त किया।
नार्वे की अदालत के इस फैसले से भट्टाचार्य परिवार को एक बड़ी राहत मिली है। यह परिवार पिछले एक वर्ष से बच्चों को अपने कब्जे में लेने की कोशिश कर रहा था।
भारत सरकार ने यह सुनिश्चित कराने के लिए सभी कूटनीतिक प्रयास किए कि भारतीय बच्चे अपने देश लौट आएं और अपने पारिवारिक वातावरण में पलें-बढ़ें।
बच्चों के भारत लौटने के तत्काल बाद विदेश मंत्री एसएम कृष्णा ने कहा कि वह दोनों बच्चों का यहां स्वागत करके बहुत खुश हैं।
कृष्णा ने कहा, "वे भारत के हैं। वे भारतीय नागरिक हैं।" कृष्णा ने भरोसा जताया कि बच्चों के चाचा भारत में अपने पूर्ण पारिवारिक वातावरण में उनकी बेहतर देखरेख करेंगे।
कृष्णा ने कहा, "अंत भला तो सब भला।" कृष्णा ने नार्वे सरकार और वहां के विदेश मंत्री को भी इस मानवीय मुद्दे को सुलझाने में उनके रचनात्मक दृष्टिकोण के लिए धन्यवाद दिया। उन्होंने नार्वे की न्यायपालिका को भी धन्यवाद दिया।
भारतीय विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता सैयद अकबरुद्दीन ने कहा कि भारत सरकार का लक्ष्य था कि भारतीय बच्चों को भारतीय वातावरण में अपने परिवार के साथ पलने-बढ़ने की अनुमति दी जाए। उन्होंने कहा, "आखिरकार ऐसा ही हुआ, बच्चे भारत लौट आए। जहां तक विदेश से रिश्तों का सवाल है, इससे और निकटता आएगी।"
अभिज्ञान और ऐश्वर्य के दादा-दादी ने उनके स्वदेश लौटने पर प्रसन्नता जताई और इसके लिए सरकार द्वारा किए गए प्रयासों की सराहना की।
नई दिल्ली स्थित हवाईअड्डे पर पहुंचे अभिज्ञान और ऐश्वर्य के दादा अजय भट्टाचार्य ने बच्चों को वापस लाने में 'अविश्वसनीय सहायता' के लिए सरकार को धन्यवाद दिया।
अजय ने कहा, "हम बच्चों के स्वदेश लौटने की उम्मीद खो चुके थे। यह केवल सरकार के प्रयासों से ही सम्भव हो सका है। मैं बहुत खुश हूं और गर्व महसूस कर रहा हूं। हमें उम्मीद है कि बच्चे जब कोलकाता लौटेंगे तो वे एक शांतिपूर्ण एवं सामान्य बचपन बिताएंगे।"
उधर, कोलकाता में अभिज्ञान और ऐश्वर्य के नाना मंतोष चक्रवर्ती ने उम्मीद जताई कि बच्चों के पिता अनुरूप और मां सागरिका के बीच उभरा मतभेद दूर हो जाएगा। उन्हें खबर मिली थी कि बच्चों के हस्तांतरण को वे दोनों जोखिम भरा कदम मान रहे थे। उन्होंने कहा, "सागरिका बच्चों के स्वदेश लौटने पर खुश है लेकिन उसे दुख है कि बच्चे उसके साथ नहीं हैं।"
अनुरूप ने नार्वे से फोन पर भारतीय मीडिया से बातचीत में परिवार को परेशानी में डालने के लिए नार्वे के अधिकारियों, खासकर वहां के बाल कल्याण सेवा की आलोचना की।
बच्चों के भारत लौटने पर विदेश मंत्री एसएम कृष्णा ने कहा कि वह दोनों बच्चों का यहां स्वागत करके बहुत खुश हैं। जबकि तीन वर्षीय अभिज्ञान और एक वर्षीय ऐश्वर्य के दादा ने अविश्वसनीय सहायता उपलब्ध कराने के लिए सरकार को धन्यवाद दिया।
विदेश राज्यमंत्री प्रणीत कौर बच्चों के दादा-दादी के साथ, तीन वर्षीय अभिज्ञान और एक वर्षीय ऐश्वर्य का स्वागत करने के लिए यहां हवाईअड्डे पर मौजूद थीं। नार्वे में बच्चों की देखरेख करने वाले उनके साथ थे।
दोनों बच्चों के बुधवार को कोलकाता पहुंचने की संभावना है।
अनुरूप और सागरिका भट्टाचार्य के बच्चे अभिज्ञान और ऐश्वर्य को पिछले वर्ष मई में उनके माता-पिता से ले लिया गया था।
नार्वे की एक अदालत ने स्टैवांगर शहर में दोनों बच्चों को उनके चाचा, अरुणाभाष भट्टाचार्य को सौंप दिया, जिसके बाद भारत सरकार ने उनके भारत लौटने का बंदोबस्त किया।
नार्वे की अदालत के इस फैसले से भट्टाचार्य परिवार को एक बड़ी राहत मिली है। यह परिवार पिछले एक वर्ष से बच्चों को अपने कब्जे में लेने की कोशिश कर रहा था।
भारत सरकार ने यह सुनिश्चित कराने के लिए सभी कूटनीतिक प्रयास किए कि भारतीय बच्चे अपने देश लौट आएं और अपने पारिवारिक वातावरण में पलें-बढ़ें।
बच्चों के भारत लौटने के तत्काल बाद विदेश मंत्री एसएम कृष्णा ने कहा कि वह दोनों बच्चों का यहां स्वागत करके बहुत खुश हैं।
कृष्णा ने कहा, "वे भारत के हैं। वे भारतीय नागरिक हैं।" कृष्णा ने भरोसा जताया कि बच्चों के चाचा भारत में अपने पूर्ण पारिवारिक वातावरण में उनकी बेहतर देखरेख करेंगे।
कृष्णा ने कहा, "अंत भला तो सब भला।" कृष्णा ने नार्वे सरकार और वहां के विदेश मंत्री को भी इस मानवीय मुद्दे को सुलझाने में उनके रचनात्मक दृष्टिकोण के लिए धन्यवाद दिया। उन्होंने नार्वे की न्यायपालिका को भी धन्यवाद दिया।
भारतीय विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता सैयद अकबरुद्दीन ने कहा कि भारत सरकार का लक्ष्य था कि भारतीय बच्चों को भारतीय वातावरण में अपने परिवार के साथ पलने-बढ़ने की अनुमति दी जाए। उन्होंने कहा, "आखिरकार ऐसा ही हुआ, बच्चे भारत लौट आए। जहां तक विदेश से रिश्तों का सवाल है, इससे और निकटता आएगी।"
अभिज्ञान और ऐश्वर्य के दादा-दादी ने उनके स्वदेश लौटने पर प्रसन्नता जताई और इसके लिए सरकार द्वारा किए गए प्रयासों की सराहना की।
नई दिल्ली स्थित हवाईअड्डे पर पहुंचे अभिज्ञान और ऐश्वर्य के दादा अजय भट्टाचार्य ने बच्चों को वापस लाने में 'अविश्वसनीय सहायता' के लिए सरकार को धन्यवाद दिया।
अजय ने कहा, "हम बच्चों के स्वदेश लौटने की उम्मीद खो चुके थे। यह केवल सरकार के प्रयासों से ही सम्भव हो सका है। मैं बहुत खुश हूं और गर्व महसूस कर रहा हूं। हमें उम्मीद है कि बच्चे जब कोलकाता लौटेंगे तो वे एक शांतिपूर्ण एवं सामान्य बचपन बिताएंगे।"
उधर, कोलकाता में अभिज्ञान और ऐश्वर्य के नाना मंतोष चक्रवर्ती ने उम्मीद जताई कि बच्चों के पिता अनुरूप और मां सागरिका के बीच उभरा मतभेद दूर हो जाएगा। उन्हें खबर मिली थी कि बच्चों के हस्तांतरण को वे दोनों जोखिम भरा कदम मान रहे थे। उन्होंने कहा, "सागरिका बच्चों के स्वदेश लौटने पर खुश है लेकिन उसे दुख है कि बच्चे उसके साथ नहीं हैं।"
अनुरूप ने नार्वे से फोन पर भारतीय मीडिया से बातचीत में परिवार को परेशानी में डालने के लिए नार्वे के अधिकारियों, खासकर वहां के बाल कल्याण सेवा की आलोचना की।
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