सीबीआई कार्यालय (फाइल फोटो)
नई दिल्ली:
नोएडा प्लॉट आवंटन मामले में दोषी करार पूर्व आईएएस नीरा यादव की याचिका पर सुप्रीमकोर्ट ने सीबीआई को नोटिस जारी किया। याचिका में नीरा यादव ने भ्रष्टाचार कानून को चुनौती दी है।
उन्होंने कोर्ट से भ्रष्टाचार निरोधक कानून की धारा 13(1)(डी) निरस्त करने की मांग की है जिसमें किसी का फेवर करने वाले पब्लिक सर्वेंट को सजा देने का प्रावधान है। नीरा यादव ने इस संबंध में पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के मामले का हवाला देते हुए कोर्ट से राहत मांगी।
नीरा यादव को सीबीआई की विशेष अदालत और इलाहाबाद हाईकोर्ट ने भ्रष्टाचार कानून के तहत दोषी ठहराते हुए तीन साल के कारावास की सजा सुनाई है। नीरा ने सजा को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है। नीरा यादव गत 14 मार्च से जेल में हैं।
इससे पहले पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के खिलाफ कोल ब्लॉक आवंटन मामले में स्पेशल कोर्ट ने संज्ञान लिया है जिसके खिलाफ मनमोहन सिंह ने सुप्रीम कोर्ट मे रिट याचिका दाखिल की है। उस रिट में मनमोहन सिंह ने भ्रष्टाचार कानून की धारा 13(1)(डी) को चुनौती देते हुए निरस्त करने की मांग की है। ये याचिका फिलहाल सुप्रीम कोर्ट में लंबित है।
उन्होंने कोर्ट से भ्रष्टाचार निरोधक कानून की धारा 13(1)(डी) निरस्त करने की मांग की है जिसमें किसी का फेवर करने वाले पब्लिक सर्वेंट को सजा देने का प्रावधान है। नीरा यादव ने इस संबंध में पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के मामले का हवाला देते हुए कोर्ट से राहत मांगी।
नीरा यादव को सीबीआई की विशेष अदालत और इलाहाबाद हाईकोर्ट ने भ्रष्टाचार कानून के तहत दोषी ठहराते हुए तीन साल के कारावास की सजा सुनाई है। नीरा ने सजा को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है। नीरा यादव गत 14 मार्च से जेल में हैं।
इससे पहले पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के खिलाफ कोल ब्लॉक आवंटन मामले में स्पेशल कोर्ट ने संज्ञान लिया है जिसके खिलाफ मनमोहन सिंह ने सुप्रीम कोर्ट मे रिट याचिका दाखिल की है। उस रिट में मनमोहन सिंह ने भ्रष्टाचार कानून की धारा 13(1)(डी) को चुनौती देते हुए निरस्त करने की मांग की है। ये याचिका फिलहाल सुप्रीम कोर्ट में लंबित है।
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