प्रतीकात्मक फोटो.
नई दिल्ली:
सरकार ने संगठित क्षेत्र के लिए कर मुक्त ग्रेच्युटी की सीमा दोगुनी कर 20 लाख रुपये कर दी है. इसे शुक्रवार को अधिसूचित कर दिया गया.
यहां आज जारी आधिकारिक बयान के अनुसार राष्ट्रपति की मंजूरी के बाद ग्रेच्युटी भुगतान (संशोधन) विधेयक 2018, 29 मार्च को अमल में आ गया. लोकसभा ने इसे 15 मार्च तथा राज्यसभा ने 22 मार्च को पारित किया था. अब तक कर मुक्त ग्रेच्युटी की सीमा 10 लाख रुपये थी. हालांकि श्रमिक संगठनों ने संशोधन कानून लागू होने की तारीख को लेकर विरोध जताया है.
इससे पहले, सातवें वेतन आयोग की सिफारिशों के क्रियान्वयन के बाद केंद्र सरकार के कर्मचारियों के लिए कर मुक्त ग्रेच्युटी की सीमा 10 लाख रुपये से बढ़ाकर 20 लाख रुपये कर दी गई है. इस संशोधित कानून में सरकार को अधिकार दिया गया है कि वह सेवानिवृत्ति लाभ की सीमा कार्यकारी आदेश के जरिए नियत कर सकती है. साथ ही इसके तहत केंद्र सरकार ने महिला कर्मचारियों के मामले में मातृत्व अवकाश की अवधि 26 सप्ताह तय की है.
हालांकि राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ से संबद्ध नेशनल आर्गनाइजेशन आफ बैंक वर्कर्स (एनओबीडब्ल्यू) समेत श्रमिक संगठनों ने अधिसूचना की तारीख का विरोध किया है. उनकी मांग है कि सरकार को केंद्रीय कर्मचारियों की तरह निजी एवं सार्वजनिक क्षेत्र के कर्मचारियों को बढ़ी हुई ग्रेच्युटी का लाभ एक जनवरी 2016 से देना चाहिए.
एनओबीडब्ल्यू ने एक बयान में कहा, ‘‘एक जनवरी 2016 से हजारों कर्मचारी सेवानिवृत्त हुए लेकिन उन्हें बढ़ी हुई ग्रेच्युटी की सीमा का लाभ नहीं मिल पाया. सरकार केंद्रीय कर्मचारियों, निजी क्षेत्र और सार्वजनिक क्षेत्र कर्मचारियों के बीच भेदभाव नहीं कर सकती. इससे पहले, सरकार ने ग्रेच्युटी संशोधन विधेयक 2018 जनवरी 2016 प्रभाव में आने का आश्वासन दिया था.
(इनपुट भाषा से)
यहां आज जारी आधिकारिक बयान के अनुसार राष्ट्रपति की मंजूरी के बाद ग्रेच्युटी भुगतान (संशोधन) विधेयक 2018, 29 मार्च को अमल में आ गया. लोकसभा ने इसे 15 मार्च तथा राज्यसभा ने 22 मार्च को पारित किया था. अब तक कर मुक्त ग्रेच्युटी की सीमा 10 लाख रुपये थी. हालांकि श्रमिक संगठनों ने संशोधन कानून लागू होने की तारीख को लेकर विरोध जताया है.
इससे पहले, सातवें वेतन आयोग की सिफारिशों के क्रियान्वयन के बाद केंद्र सरकार के कर्मचारियों के लिए कर मुक्त ग्रेच्युटी की सीमा 10 लाख रुपये से बढ़ाकर 20 लाख रुपये कर दी गई है. इस संशोधित कानून में सरकार को अधिकार दिया गया है कि वह सेवानिवृत्ति लाभ की सीमा कार्यकारी आदेश के जरिए नियत कर सकती है. साथ ही इसके तहत केंद्र सरकार ने महिला कर्मचारियों के मामले में मातृत्व अवकाश की अवधि 26 सप्ताह तय की है.
हालांकि राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ से संबद्ध नेशनल आर्गनाइजेशन आफ बैंक वर्कर्स (एनओबीडब्ल्यू) समेत श्रमिक संगठनों ने अधिसूचना की तारीख का विरोध किया है. उनकी मांग है कि सरकार को केंद्रीय कर्मचारियों की तरह निजी एवं सार्वजनिक क्षेत्र के कर्मचारियों को बढ़ी हुई ग्रेच्युटी का लाभ एक जनवरी 2016 से देना चाहिए.
एनओबीडब्ल्यू ने एक बयान में कहा, ‘‘एक जनवरी 2016 से हजारों कर्मचारी सेवानिवृत्त हुए लेकिन उन्हें बढ़ी हुई ग्रेच्युटी की सीमा का लाभ नहीं मिल पाया. सरकार केंद्रीय कर्मचारियों, निजी क्षेत्र और सार्वजनिक क्षेत्र कर्मचारियों के बीच भेदभाव नहीं कर सकती. इससे पहले, सरकार ने ग्रेच्युटी संशोधन विधेयक 2018 जनवरी 2016 प्रभाव में आने का आश्वासन दिया था.
(इनपुट भाषा से)