केंद्र ने सुप्रीम कोर्ट को जानकारी दी है कि इस साल केंद्रीय विद्यालयों के छठी से आठवीं कक्षा के छात्रों के लिए संस्कृत की परीक्षा नहीं होगी और जर्मन वैकल्पिक भाषा रह सकती है।
सुप्रीम कोर्ट ने अटॉर्नी जनरल द्वारा पेश किए गए सरकार के इस प्रस्ताव से सहमति जताई है।
अटॉर्नी जनरल ने कहा कि कोर्ट द्वारा व्यक्त की गई चिंताओं के संदर्भ में सरकारयह विकल्प के लेकर आई है। यह मामला संसद में भी उठा और संस्कृत को तीसरी भाषा बनाने के बारे में सरकार की राय पर सदन भी साथ है। छात्रों की परेशानियों को देखते हुए हम यह विकल्प सुझा रहे हैं।
सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र के प्रस्ताव को मानते हुए कहा कि यह एक अच्छा समाधान है और छात्रों को बोझ नहीं उठाना पड़ेगा। अब इस मामले पर अगली सुनवाई सोमवार को होगी।
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