शिक्षा का भगवाकरण नहीं, संविधान के दायरे में चलेगी शिक्षा : स्मृति ईरानी

फाइल फोटो

नई दिल्ली:

शिक्षा के भगवाकरण के विपक्ष के आरोपों को सिरे से खारिज करते हुए मानव संसाधन विकास मंत्री स्मृति ईरानी ने सोमवार को स्पष्ट किया कि संविधान दायरे में ही बच्चों को शिक्षा दी जाएगी और प्रधानमंत्री इस बारे में पहले ही अपनी प्रतिबद्धता व्यक्त कर चुके हैं।

मानव संसाधन विकास मंत्रालय के नियंत्रणाधीन अनुदानों की मांगों पर लोकसभा में हुई चर्चा के दौरान आईसीएचआर जैसी उच्च शिक्षण संस्थाओं में हस्तक्षेप एवं कथित दलगत भावना से नियुक्तियां करने के कुछ सदस्यों के आरोपों के जवाब में आक्रामक रुख अपनाते हुए स्मृति ईरानी ने उन्हें बेबुनियाद बताया और कहा कि किसी भी संस्थान में बेवजह तरीके से हस्तक्षेप नहीं किया गया है।

उन्होंने कहा कि संस्थाओं की नियुक्तियों में दलगत भावना से ऊपर उठकर ऐसे गणमान्य लोगों को जोड़ने का प्रयास किया है जो राष्ट्र निर्माण की भावना से निष्पक्षता से काम करना चाहते हैं।

मंत्री ने कहा, ‘‘जहां तक भगवाकरण के आरोपों का सवाल है मैं स्पष्ट करना चाहती हूं कि संविधान की मर्यादा के दायरे में बच्चों को शिक्षा दी जाएगी। प्रधानमंत्री ने इसकी प्रतिबद्धता पहले ही प्रकट कर दी है।’’ शिक्षण संस्थाओं के विदेशी संस्थाओं से एमओयू के बारे में मंत्रालय को सूचना देने के बारे में कांग्रेस के शशि थरूर के आरोपों पर पलटवार करते हुए केंद्रीय मंत्री ने कहा कि जब केंद्र में कांग्रेस नीत संप्रग की सरकार थी तब आईआईटी एक्ट का उल्लंघन हुआ था। उन्होंने प्रश्न किया कि क्यों एक विदेशी संस्थान के साथ एमओयू हुआ और वह कानून के उल्लंघन पर चुप क्यों रहे। उन्होंने बजटीय आवंटन में संशोधित राशि के उपयोग के संदर्भ में संप्रग की तुलना में भाजपा नीत राजग के रिकार्ड को बेहतर बताया।

मंत्री के जवाब के बाद लोकसभा ने 2015-16 के लिए मानव संसाधन विकास मंत्रालय के नियंत्रणाधीन अनुदानों की मांगों को मंजूरी दे दी।

मंत्रालय के बजट में कटौती एवं अन्य मुद्दों पर नेताजी सुभाषचंद्र बोस के पौत्र और तृणमूल सदस्य सौगत बोस की टिप्पणियों पर मानव संसाधन विकास मंत्री ने उन पर निशाना साधते हुए कहा कि विद्वान होने का मतलब यह नहीं होता कि वह गुमराह करें। उन्होंने कहा कि आईसीएचआर में माकपा से जुड़े एक प्रतिष्ठित व्यक्ति को शामिल किया गया है, क्या तृणमूल कांग्रेस अपने शासन में माकपा के किसी व्यक्ति को जोड़ती? दिल्ली विश्वविद्यालय में चार वर्षीय स्नातक पाठ्यक्र के बारे में विपक्ष के सवालों पर मानव संसाधन विकास मंत्री ने कहा कि चार वर्षीय शिक्षा नीति इसलिए वापस लेने की बात की गई क्योंकि यह राष्ट्रीय शिक्षा नीति के अनुरूप नहीं है। इसके तहत 77 हजार छात्रों को ऐसे कार्यक्रमों में भागीदार बनाया गया जिसकी मंजूरी राष्ट्रपति ने भी नहीं दी थी। चार वर्ष पूरे होते तक दिल्ली की सड़कों पर ये बच्चे आते। क्या हम इस स्थिति के लिए तैयार थे।

उन्होंने सवाल किया कि ऐसे गैर-कानूनी कार्य को रोका गया, तब वे दुखी क्यों हैं? कांग्रेस की सुष्मिता देव का जिक्र करते हुए स्मृति ईरानी ने कहा कि सुष्मिता देव ने कहा था कि मेरे खिलाफ आरोप ‘चार्जशीट’ के रूप में है। मैं उनका जवाब दे रही हूं। आईसीएमआर में एक ऐसे व्यक्ति को शामिल किया गया है जो उनके पिता संतोष मोहन देव से ताल्लुक रखते हैं।

नई शिक्षा नीति तैयार करने का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि नई शिक्षा नीति कैसी हो, इसके बारे में 33 थीम तैयार किए गए हैं। इस बारे में विभिन्न पक्षों के साथ चर्चा की जा रही है। इनमें ग्राम समिति की राय भी ली जा रही है।

उन्होंने नई शिक्षा नीति के बारे में सांसदों से भी राय देने को कहा।

केंद्रीय विद्यालय में सांसदों के कोटे में वृद्धि की मांग के बारे में स्मृति ईरानी ने कहा कि इनकी संख्या वर्तमान 6 से बढ़ाकर 10 करने का वह प्रयास करेंगी।

विश्व भारती विश्वविद्यालय के कुलपति को हटाए जाने की कुछ सदस्यों की मांग के बारे में उन्होंने कहा कि इस विषय पर आज रिपोर्ट मिलने की संभावना है, इसके बारे में आगे का रास्ता तय होगा।

मानव संसाधन विकास मंत्री ने कहा कि शिक्षा प्राथमिकताओं में भी प्राथमिकता का विषय है और मध्याह्न भोजन योजना समेत कई अन्य कल्याण योजनाओं पर ध्यान दिए जाने पर जोर देने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि ‘स्वयं’ पहल के माध्यम से प्रौद्योगिकी के माध्यम से प्रतिष्ठित संस्थाओं द्वारा नागरिकों को शिक्षा प्रदान करने का प्रयास किया जा रहा है। इसके साथ ही उन्होंने पढ़े भारत, बढ़े भारत तथा बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ जैसी योजना शुरू किए जाने का जिक्र किया।

स्मृति ईरानी ने कहा कि पूर्वोत्तर के लिए इशान उदय और इशान विकास कार्यक्रम शुरू किए गए हैं।

उन्होंने कहा कि बच्चों पर बस्ते के बोझ को कम करने के लिए एनसीईआरटी से ऑनलाइन माध्यम से पुस्तकें उपलब्ध कराने की पहल की गई है। ऐसे प्रयास किये जा रहे हैं कि पुस्तकें मोबाइल ऐप की तरह से उपलब्ध हो सकें।

मंत्री ने कहा कि हमने ‘सारांश’ योजना शुरू की है जिसके माध्यम से अभिभावक अपने बच्चों की प्रगति के बारे में जान सकते हैं।

स्मृति ईरानी ने पूरे देश में कला उत्सव शुरू करने की मंत्रालय की पहल के बारे में भी बताया।

उन्होंने कहा कि बच्चों को शैक्षणिक संस्थाओं के बारे में सम्पूर्ण जानकारी प्राप्त हो सके, इसके लिए ‘नो योर कालेज’ पोर्टल भी शुरू किया गया है।

मानव संसाधन विकास मंत्री ने जोर दिया कि पश्चिम बंगाल समेत सभी राज्य सरकारें, केंद्र के साथ मिलकर कार्य करने में समर्थ हैं क्योंकि यह भविष्य के निर्माण के लिए है।

नेताजी सुभाषचंद्र बोस के पौत्र और तृणमूल सदस्य सौगत बोस की टिप्पणियों पर मानव संसाधन विकास मंत्री की प्रतिक्रिया पर तृणमूल कांग्रेस सदस्यों ने गहरा एतराज व्यक्त किया और मंत्री से माफी मांगने को कहा।

बोस ने कहा कि मंत्री की प्रतिक्रिया से पूरे देश ने देख लिया कि प्रोफसर और विद्वानों का किस तरह से सम्मान किया जाता है?

इससे पहले वर्ष 2015-16 के लिए मानव संसाधन विकास मंत्रालय के नियंत्रणाधीन अनुदानों की मांगों पर की शुरू हुई चर्चा को आज आगे बढ़ाते हुए भाजपा के लक्ष्मी नारायण यादव ने निजी विश्वविद्यालयों पर नियंत्रण के लिए एक मजबूत नियामक अथॉरिटी बनाने का सुझाव दिया। इसी दल के सीआर चौधरी ने शिक्षा की गुणवत्ता पर विशेष जोर दिए जाने की आवश्यकता बताते हुए कहा कि शिक्षा ऐसी होनी चाहिए जो रोजगारमूलक हो।

राजद के जयप्रकाश नारायण यादव ने प्राथमिक शिक्षा पर जोर दिए जाने और छात्रों पर किताबों के बोझ को कम करने की मांग करते हुए कहा कि सरकारी स्कूलों को बेहतर बनाने की आवश्यकता है ताकि गरीब बच्चों को भी बेहतर शिक्षा मिल सके।

भाजपा के वीरेन्द्र कश्यप ने कहा कि सरकार द्वारा शुरू किए गए ‘‘बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ’’ अभियान से निश्चित तौर पर लड़कियों के बीच साक्षरता बढ़ेगी। उन्होंने छात्रों को बिना ब्याज के शिक्षा ऋण मुहैया कराने की आवश्यकता बताई। इसी पार्टी के वीरेन्द्र कुमार का कहना था कि मौजूदा सरकार द्वारा किए जा रहे प्रयास शिक्षा के क्षेत्र में मील के पत्थर साबित होंगे।

शिवसेना के शिवाजी अघलराव पाटिल ने महाराष्ट्र में स्कूलों में क्लासरूम की संख्या बढ़ाने की मांग की।

एआईएमआईएम असाउद्दीन ओबैसी ने अनुसूचित जाति और अल्पसंख्यकों के बीच साक्षरता की दर को बढ़ाने के लिए विशेष प्रसास किए जाने पर जोर दिया।

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अकाली दल के प्रेम सिंह चन्दूमाजरा ने इतिहास की समीक्षा किए जाने की मांग करते हुए कहा कि शैक्षणिक पाठ्यक्रम में भारत के अतीत से जुड़े पहलुओं को नजरअंदाज किया गया है।