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This Article is From Sep 19, 2019

बीजेपी नेता चिन्मयानंद के खिलाफ अब तक रेप का केस दर्ज नहीं, यूपी पुलिस ने कहा 'मीडिया ट्रायल' हो रहा

बलात्कार का आरोप लगाने वाली यूपी की लॉ की छात्रा ने पूछा है कि जांच एजेंसियों ने अब तक चिन्मयानंद के खिलाफ आरोप तय क्यों नहीं किए

पूर्व केंद्रीय मंत्री स्वामी चिन्मयानंद पर अब तक रेप के मामले में एफआईआर नहीं हुई है.

लखनऊ:

यह सवाल लगातार पूछा जा रहा है कि रेप के आरोपी बीजेपी नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री चिन्मयानंद की गिरफ़्तारी कब होगी. आज ये सवाल उस पीड़ित लड़की ने भी पूछा जिसने तीन दिन पहले अदालत में अपना बयान दर्ज कराया. लेकिन अभी यह भी साफ़ नहीं है कि इस केस की जांच कर रहे विशेष जांच दल (एसआईटी) ने चिन्मयानंद के ख़िलाफ़ एफआईआर तक दर्ज की है या नहीं. क्या चिन्मयानंद को इसलिए बचाया जा रहा है कि वे बीजेपी के ताकतवर नेता रहे हैं और अटल सरकार में मंत्री भी रहे हैं? वरना एसआईटी इस बहुत साफ़ कानून की अनदेखी कैसे कर सकती है कि रेप के मामलों में पीड़ित के आरोप के बाद गिरफ़्तारी ज़रूरी है?

गिरफ़्तारी तो छोड़िए, बीजेपी के नेता और पूर्व उत्तर प्रदेश और केंद्रीय मंत्री चिन्मयानंद के खिलाफ़ बलात्कार की एफआईआर तक नहीं हुई. तीन दिन गुज़र चुके हैं जब वकालत पढ़ रही 23 साल की इस लड़की ने कोर्ट में अपना बयान दिया. छात्रा ने चिन्मयानंद पर बलात्कार और योन शोषण के अलावा साल भर से ज़्यादा तक ब्लैकमेल करने का भी आरोप लगाया. दिल्ली पुलिस को दिया उसका लिखित बयान उत्तर प्रदेश पुलिस को सौंप दिया गया है, लेकिन चिन्मयानंद पर अभी तक बलात्कार का मामला नहीं बना है.

सोमवार रात को चिन्मयानंद का वीडियो जारी किया गया जिसमें उनका इलाज किया जा रहा था. उनके लोगों ने बताया कि उन्हें "बेचैनी और कमज़ोरी" की शिकायत थी, जबकि उनके डॉक्टरों ने कहा कि उनको दस्त की तकलीफ़ थी.

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बीजेपी नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री चिन्मयानंद के खिलाफ बलात्कार और ब्लैकमेल के आरोपों की जांच करने के लिए गठित विशेष जांच दल (एसआईटी) से सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को कहा कि मीडिया में उठाए गए सवालों या उत्तर प्रदेश के प्रभावशाली राजनेता को बचाने की कोशिश के आरोपों से बच नहीं सकते. एसआईटी के प्रमुख नवीन अरोड़ा ने संवाददाताओं से कहा कि "आपको जांच एजेंसी में कुछ विश्वास रखना होगा. यदि जांच गलत दिशा में जा रही है, तो हाई कोर्ट हमारी निगरानी करेगा. वे हमारे बयान लेने के लिए अधिकृत हैं. हम किसी व्यक्ति या मीडिया से प्रभावित नहीं होने रहे हैं."

अरोड़ा ने कहा कि "मैं एफआईआर (चिन्मयानंद के खिलाफ) में किसी भी संशोधन के बारे में बात नहीं कर सकता. किसी को भी अब तक गिरफ्तार नहीं किया गया है. हमने केवल लोगों को पूछताछ के लिए बुलाया है. हम अपनी जांच को नहीं बदलेंगे, क्योंकि लोग सवाल उठा रहे हैं. हमें खुद को साबित करने के लिए प्रमाण पत्र की जरूरत नहीं है."

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स्वामी चिन्मयानंद प्रकरण में बुधवार को विशेष जांच दल ने कहा कि बलात्कार का आरोप लगाने वाली पीड़िता और चिन्मयानंद की ओर से दर्ज कराए गए मामलों की अभी कड़ियां जोड़ी जा रही हैं. एसआईटी प्रमुख नवीन अरोड़ा ने कहा, ''हमें 23 सितंबर तक पूरी जांच रिपोर्ट इलाहाबाद उच्च न्यायालय को देनी है और वह इस विवेचना में दोनों मामलों में कड़ी से कड़ी जोड़ रहे हैं.''

उधर, चिन्मयानंद पर बलात्कार का आरोप लगाने वाली पीड़िता ने मजिस्ट्रेट के समक्ष बयान दर्ज कराने के बाद चिन्मयानंद की जल्द गिरफ्तारी की मांग करते हुए कहा कि अगर सरकार इंतजार कर रही है कि वह खुद ही मर जाए तो वह खुद पर मिट्टी का तेल छिड़ककर आग लगा लेगी.

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इस बीच चिन्मयानंद की हालत ज्यादा खराब होने की वजह से बुधवार को उन्हें शाहजहांपुर के राजकीय मेडिकल कॉलेज में भर्ती कराया गया. मेडिकल कॉलेज के मुख्य चिकित्सा अधीक्षक डॉक्टर एमपी गंगवार ने बताया कि स्वामी चिन्मयानंद को हालत खराब होने पर उन्हें मेडिकल कॉलेज लाया गया है, जहां उन्हें आठ नंबर वार्ड में भर्ती कर लिया गया है. उन्हें डॉक्टर ने देखा है और उन्हें आवश्यक दवाई दी गई हैं. गंगवार ने बताया कि स्वामी को बेचैनी और कमजोरी के अलावा दस्त की समस्या है. डॉक्टरों की एक टीम बनाई जा रही है, जो उनका उपचार करेगी.

एसआईटी प्रमुख अरोड़ा ने संवाददाताओं से कहा कि उच्चतम न्यायालय के निर्देश पर मुख्य सचिव ने यह विशेष जांच टीम बनाई है. उन्होंने कहा कि अभी तक दोनों विवेचना अपराध संख्या 442 तथा 445 का हमारी टीम ने अवलोकन किया. पुलिस ने जो कार्रवाई की थी, वह भी देखी. उसके बाद योजना बनाकर कार्य शुरू किया गया है. अरोड़ा ने बताया कि उन्होंने मुमुक्षु आश्रम परिसर देखा तथा कालेजों के प्राचार्य तथा स्टाफ, जिनकी आवश्यकता थी, उनको बुलाकर पूछताछ की गई . दोनों वादीगणों को भी बुलाया गया और उनके बयान दर्ज किए गए. उनसे जो भी आवश्यकता थी, प्रश्न भी किए गए तथा पीड़िता का बयान भी लिखा गया. उन्होंने बताया कि पीड़िता ने एक प्रार्थना पत्र दिल्ली पुलिस को दिया थ . वह उन्हें प्राप्त हो गया है. उसका संज्ञान लेते हुए उनकी टीम ने पीड़िता का 164 का बयान भी कराया है.

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अरोड़ा ने बताया कि मोबाइल पेन ड्राइव तथा गवाहों के मोबाइल को सीज कर उन्हें फॉरेंसिक लैब भेजा गया है. अरोड़ा ने कहा कि वायरल वीडियो तथा पेनड्राइव जैसे सबूत के तौर पर प्राप्त हुए वीडियो केन्द्रीय विधि विज्ञान प्रयोगशाला भेजे गए हैं. यह भी देखा जाएगा कि उसे एडिट या उसमें छेड़छाड़ तो नहीं की गई है. इसके बाद निर्णय लिया जाएगा.

एसआईटी प्रभारी ने कहा कि हम मीडिया ट्रायल से घबराकर कार्य नहीं करेंगे. उन्होंने कई मीडिया संस्थानों का नाम लिए बिना कहा कि खबरों में तो संजय और चिन्मयानंद का आमना-सामना तक करा दिया गया. उन्होंने कहा कि हम सभी बातों की निगरानी कर रहे हैं और हम इस बारे में भारतीय प्रेस परिषद को पत्र लिखेंगे.

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उधर पीड़िता ने कहा कि मजिस्ट्रेट के समक्ष बयान होने के तीसरे दिन भी ना तो बलात्कार और शारीरिक शोषण की रिपोर्ट दर्ज की गई है और ना ही चिन्मयानंद को गिरफ्तार किया गया है. उसने कहा कि ऐसे में सरकार अगर इंतजार कर रही है कि वह खुद मर जाए और उसके परिवार को कुछ हो जाए तो वह खुद पर मिट्टी का तेल छिड़ककर आग लगा लेगी.

पीड़िता के पिता का कहना है कि मजिस्ट्रेट के समक्ष बयान होने के बाद भी चिन्मयानंद को गिरफ्तार न करना और उसके विरुद्ध रिपोर्ट दर्ज न करना कहां तक सही है. उसके पिता ने कहा कि विशेष जांच दल भी उन्हें कोई जानकारी नहीं दे रहा है. ऐसे में वह अपनी बेटी और बेटे के साथ वकीलों से परामर्श करेंगे.

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उधर वायरल वीडियो में पांच करोड़ की रंगदारी मांगने के प्रकरण में पीड़िता से चर्चा करते हुए दिखने वाले संजय सिंह तथा उनके दो साथियों को एसआईटी ने रविवार को फिर पूछताछ के लिए बुलाया था, जिन्हें आज तक अपने पास ही रोक रखा है. एसआईटी ने स्वामी शुकदेवानंद विधि महाविद्यालय जिस जमीन पर बना है, उसके अभिलेख, खसरा खतौनी आदि मांगे हैं. इसके अलावा कुछ छात्रों का शैक्षिक रिकार्ड भी मांगा है.

गौरतलब है स्वामी शुकदेवानंद विधि महाविद्यालय में पढ़ने वाली एलएलएम की छात्रा ने 24 अगस्त को एक वीडियो वायरल कर स्वामी चिन्मयानंद पर शारीरिक शोषण तथा कई लड़कियों की जिंदगी बर्बाद करने एवं उसे तथा उसके परिवार को जान का खतरा बताया था. इस मामले में पीड़िता के पिता की ओर से कोतवाली शाहजहांपुर में अपहरण और जान से मारने की धाराओं में स्वामी चिन्मयानंद के विरुद्ध मामला दर्ज कराया गया था लेकिन इससे एक दिन पहले स्वामी चिन्मयानंद के अधिवक्ता ओम सिंह ने पांच करोड़ रुपये रंगदारी मांगने का भी मुकदमा दर्ज करा दिया था.

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(इनपुट भाषा से भी)

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