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This Article is From Jul 20, 2021

'पेट्रोल-डीज़ल पर अभी GST नहीं' - फिर बोली सरकार, आखिर क्यों GST के दायरे में नहीं लाया जा रहा फ्यूल?

Petrol Under GST : काफी वक्त से पेट्रोल-डीजल को जीएसटी के तहत लाने की मांग हो रही है. बहस इसलिए भी है क्योंकि जब जीएसटी लागू किया जा रहा था, तो तेल और गैस को भी इसके दायरे में लाए जाने की बात की गई थी. लेकिन सरकार इसपर ऐसी कोई मंशा नहीं दिखा रही है. 

'पेट्रोल-डीज़ल पर अभी GST नहीं' - फिर बोली सरकार, आखिर क्यों GST के दायरे में नहीं लाया जा रहा फ्यूल?
Petrol-Diesel and GST : पेट्रोल-डीजल को जीएसटी के दायरे में लाने की अभी योजना नहीं. (प्रतीकात्मक तस्वीर)
नई दिल्ली:

 देश में बीते कुछ सालों में पेट्रोल-डीजल के दाम (Petrol-Diesel Price) अंधाधुंध तरीके से बढ़े हैं. आज पेट्रोल-डीजल अपने ऑल टाइम हाई पर चल रहे हैं. देश के अधिकतर राज्यों में पेट्रोल 100 रुपये प्रति लीटर के पार चल रहा है और डीजल भी पीछे-पीछे है, ऐसे में काफी वक्त से पेट्रोल-डीजल को जीएसटी यानी गुड्स एंड सर्विसेज टैक्स एक्ट (Petrol-Diesel under GST) के तहत लाने की मांग हो रही है. बहस इसलिए भी है क्योंकि जब जीएसटी लागू किया जा रहा था, तो तेल और गैस को भी इसके दायरे में लाए जाने की बात की गई थी. पेट्रोलियम उत्पादों के दामों पर काबू पाने के लिए विश्लेषकों ने भी यह रास्ता अख्तियार करने का सुझाव दिया है, लेकिन सरकार इसपर ऐसी कोई मंशा नहीं दिखा रही है. 

अभी सरकार ने सोमवार को फिर से कहा कि उसकी पेट्रोल-डीजल को जीएसटी के दायरे में लाने की कोई योजना नहीं है. उसने यह भी बताया कि अभी तक जीएसटी परिषद ने तेल और गैस को जीएसटी के दायरे में शामिल करने की सिफारिश नहीं की है.

लोकसभा में पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस राज्य मंत्री रामेश्वर तेली ने के. मुरलीधरन, भर्तृहरि महताब, सुप्रिया सुले और सौगत राय आदि सदस्यों के प्रश्न के लिखित उत्तर में यह जानकारी दी. सदस्यों ने पूछा था, ‘क्या डीजल, पेट्रोल की कीमतों पर नियंत्रण के लिये पेट्रोलियम पदार्थों को जीएसटी के दायरे में लाने की योजना है?' मंत्री ने जवाब दिया, ‘वर्तमान में इन उत्पादों को जीएसटी के दायरे में लाने की कोई योजना नहीं है. अभी तक जीएसटी परिषद ने तेल और गैस को माल एवं सेवा कर (जीएसटी) के दायरे में शामिल करने की सिफारिश नहीं की है.'

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पहले भी सरकार की ओर से हुआ है विरोध

इस साल बजट सत्र के दौरान राज्यसभा में बीजेपी सांसद सुशील कुमार मोदी ने उच्च सदन में वित्त विधेयक, 2021 पर चर्चा में भाग लेते हुए कहा था कि पेट्रोलियम उत्पादों पर केंद्र और राज्यों को सामूहिक रूप से पांच लाख करोड़ रुपए मिलते हैं. उन्होंने इस मांग को अव्यवहारिक बताते हुए कहा था कि इससे राज्यों को करीब दो लाख करोड़ रुपए का नुकसान होगा और उसकी भरपाई कैसे होगी. 

SBI Economist की रिपोर्ट....

....मार्च में आई थी, जिसमें कहा गया था कि अगर पेट्रोल को GST के दायरे में लाया जाता है तो इसका खुदरा भाव इस समय भी कम होकर 75 रुपये प्रति लीटर तक आ सकता है और डीजल का दाम भी कम होकर 68 रुपये लीटर पर आ सकता है. ऐसा होने से केन्द्र और राज्य सरकारों को केवल एक लाख करोड़ रुपये के राजस्व का नुकसान होगा जो कि जीडीपी का 0.4 प्रतिशत है. इस गणना में अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल के दाम को 60 डालर प्रति बैरल और डॉलर-रुपये की विनिमय दर को 73 रुपये प्रति डॉलर पर माना गया था.

ध्यान दें कि यह रिपोर्ट मार्च के पहले हफ्ते की है. उस वक्त दिल्ली में पेट्रोल की कीमत 91.17 रुपये प्रति लीटर और डीजल की कीमत 81.47 रुपये प्रति लीटर थी. और आज राजधानी में पेट्रोल 101.84 रुपये प्रति लीटर और डीजल 89.87 रुपये प्रति लीटर बिक रहा है.

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SBI इकोनॉमिस्ट ने अपनी रिपोर्ट में कहा था कि केंद्र और राज्य स्तरीय करों और टैक्स-ऑन-टैक्स के भारत से भारत में पेट्रोलियम पदार्थों के दाम दुनिया में सबसे उच्चस्तर पर बने हुए हैं. बता दें कि वर्तमान में हर राज्य पेट्रोल, डीजल पर अपनी जरूरत के हिसाब से मूल्य वर्धित कर (वैट) लगाता है जबकि केन्द्र इस पर उत्पाद शुल्क और अन्य उपकर वसूलता है. इस रिपोर्ट में कहा गया था कि ‘केन्द्र और राज्य सरकारें कच्चे तेल के उत्पादों को जीएसटी के दायरे में लाने की इच्छुक नहीं है क्योंकि पेट्रोलियम उत्पादों पर बिक्री कर, वैट आदि लगाना उनके लिये कर राजस्व जुटाने का प्रमुख स्रोत है. इस प्रकार इस मामले में राजनीतिक इच्छाशक्ति की कमी है जिससे कि कच्चे तेल को जीएसटी के दायरे में नहीं लाया जा सकता है.'

(भाषा से इनपुट के साथ)

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