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Four Years of GST : सिंगल टैक्स स्लैब, राज्यों को घाटे से उबारने जैसे 10 बड़े लक्ष्यों को पाना बाकी

GST Four years : जीएसटी (GST) के 4 साल हो गए हैं. वर्ष 1991 के बाद इसे देश में सबसे बड़ा आर्थिक सुधार (Indirect Tax Reform)  माना गया, जिसने केंद्र औऱ राज्यों के बीच फैलों के करों के जाल को एक सूत्र में पिरोया. लेकिन जीएसटी से जुड़े कई लक्ष्य हासिल होने बाकी हैं.

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GST Four Years : सिंगल टैक्स स्लैब और पेट्रोल-डीजल को दायरे में लाना बाकी
नई दिल्ली:

GST Four years : जीएसटी (GST) के 4 साल हो गए हैं. वर्ष 1991 के बाद इसे देश में सबसे बड़ा आर्थिक सुधार (Indirect Tax Reform)  माना गया, जिसने केंद्र औऱ राज्यों के बीच फैलों के करों के जाल को एक सूत्र में पिरोया. लेकिन अभी जीएसटी से जुड़े कई लक्ष्य हासिल होने बाकी हैं. इनमें ज्यादातर वस्तुओं के लिए एक टैक्स स्लैब, राज्यों का घाटे और पेट्रोल-डीजल औऱ प्राकृतिक गैस को जीएसटी (Petrol-Diesel GST) में लाने जैसी बातें शामिल हैं. जानिए ऐसे 10 बड़े लक्ष्य जो अभी अधूरे हैं. अर्न्स्ट एंड यंग के टैक्स पार्टनर अभिषेक जैन ने ऐसे ही कुछ मुद्दों को सामने रखा है. 

  1. GST जीएसटी का सबसे बड़ा अधूरा लक्ष्य ज्यादातर उत्पादों और सेवाओं के लिए सिंगल टैक्स स्लैब है, लंबे समय से 12 और 18 फीसदी की स्लैब को मिलाकर 14-15 पर लाने की बात हो रही है, लेकिन बात नहीं बनी. सिंगल टैक्स स्लैब जीएसटी (Single Tax Slab GST) कोरोना के इस दौर में अभी मुश्किल है,लेकिन कुछ उत्पादों व सेवाओं पर टैक्स तर्कसंगत बनाया जा सकता है. ताकि ज्यादातर जरूरी उत्पाद 5 प्रतिशत और हानिकारक उत्पाद 28 फीसदी में हो, बाकी के लिए 14-15 प्रतिशत स्लैब में हों.लेकिन इस पर सरकार को सतर्कता बरतनी होगी, क्योंकि जिनके भी उत्पाद बड़ी स्लैब में जाएंगे, उन उद्योगों के कारोबारी इसका विरोध कर सकते हैं. ऐसे सामान या सेवाएं महंगे होने का पूर्व आकलन जरूरी है.
  2.  जैन का कहना है कि पेट्रोल-डीजल और प्राकृतिक गैस पर वैट (PEtrol-Diesel GST ambit) और उत्पाद शुल्क केंद्र और राज्यों के लिए राजस्व का बड़ा जरिया बन गया है. सरकार को पिछले वित्तीय वर्ष में जीएसटी से ज्यादा राजस्व पेट्रोल-डीजल पर टैक्स से मिला. लिहाजा खजाने को नुकसान पहुंचाए बिना इसे कम से कम 28 फीसदी टैक्स और सेस के साथ जीएसटी के दायरे में लाना सबसे बड़ी चुनौती बनी हुई है. इस पर जीएसटी काउंसिल (GST Council)  में सहमति के बाद ही बात आगे बढ़ सकती है.
  3. 15वें वित्त आयोग की रिपोर्ट कहती है कि जीएसटी वसूली को जीडीपी का 7 प्रतिशत तक ले जाने का लक्ष्य था, लेकिन अभी भी यह 5 फीसदी है. यह 2 प्रतिशत की कमी करीब चार लाख करोड़ रुपये होती है. वित्तीय वर्ष में 4.31 लाख करोड़ रुपये का लक्ष्य हासिल हो पाएगा या नहीं, यह देखना होगा. औद्योगिक गतिविधियों में मंदी के बीच हर साल जीएसटी वसूली में 14 फीसदी की वृद्धि भी हासिल नहीं हो पाई है.
  4.  इनपुट टैक्स क्रेडिट (ITC) यानी माल एवं सेवाओं की खरीद पर कारोबारियों द्वारा चुकाए गए टैक्स की रिफंड की प्रक्रिया  में अभी जटिलताएं हैं. विवाद निस्तारण की व्यवस्था को बेहतर बनाया जाना बाकी है. टैक्स रिफंड (Tax Refund) की व्यवस्था के लिए ऑनलाइन सिस्टम दुरुस्त होने के बावजूद इसमें निर्यातकों और छोटे कारोबारियों के लिए पूंजी संकट पैदा करती है. 
  5. कारोबारियों व कंपनियों की शिकायतों और जीएसटी चोरी रोकने के लिए सिस्टम में लगातार बदलाव किए जाने से परेशान हुई, लेकिन ये आवश्यक थे. जैन ने कहा कि सरकार को सेंट्रल एडवांस रूलिंग अथॉरिटी (Central Advance Ruing authority) बनाना चाहिए, क्योंकि अलग-अलग राज्यों की जीएसटी अथॉरिटी एक मुद्दे पर अलग-अलग निर्णय़ दे रही हैं, जिससे विवाद और जटिलताएं सामने आ रही हैं.
  6. GST प्रभावी होने के बाद 20 से ज्यादा राज्य औ केंद्रशासित प्रदेश अभी भी घाटा झेल रहे हैं. केंद्र सरकार ने उन्हें 5 साल राजस्व घाटे (GST State Revenue Shortfall) की भरपाई की गारंटी दी है, लेकिन राज्यों की ओर से दबाव बन रहा है कि इस GST Compensation आगे और बढ़ाया जाए क्योंकि कोरोना काल में राज्यों की अर्थव्यवस्था को हिलाकर रख दिया है. जीएसटी की वसूली भी शुरुआती दौर में काफी कम रही, जिससे राज्यों को भारी नुकसान उठाना पड़ा. मैन्युफैक्चरिंग की बजाय ज्यादा उपभोग वाले राज्यों को इसका लाभ भी पहुंचा. जीएसटी वसूली में हर माह ज्यादा उतार-चढ़ाव पर भी ध्यान देना बाकी है.
  7. जीएसटी में कर चोरी और धोखाधड़ी (Fake invoicing and tax frauds) अभी भी सरकार के लिए बड़ा सिरदर्द है. फर्जी इनवायसिंग को रोकने ईवे बिल, ई इनवायसिंग समेत तमाम कदमों का असर दिखना शुरू हो गया है. एनालिटिक्स और अन्य टेक्नोलॉजी से कर चोरी के कई बड़े रैकेट भी पकड़े गए हैं और स्क्रूटनी भी बेहतर हो रही है.लेकिन कर चोरी को न्यूनतम स्तर पर ले जाने का लक्ष्य अभी हासिल नहीं किया जा सका है. 
  8. सरकार को टैक्स अधिकारी और कारोबारी के बीच टैक्स नोटिस और विवाद के ज्यादातर मामलों में आमना-सामना न होने देने की घोषणा को भी अमलीजामा पहनाना है, ताकि सारा काम जीएसटी पोर्टल से हो जाए. ईवे बिल (E way Bill) को लेकर भी उत्पीड़न और अड़ंगों को पूरी तरह दूर करना बाकी है, ताकि ट्रांसपोर्टर की परेशानियां दूर हों औऱ लॉजिस्टिक्स में बेहतरी हो.
  9. छोटे उद्योगों (MSME) को राहत देने के लिए सरकार विस्तृत इनपुट टैक्स क्रेडिट (Input Tax Credit) समाधान का उपाय ला सकती है. जीएसटी रिटर्न फाइलिंग में खामियों और जटिलताएं छोटे कारोबारियों की बड़ी परेशानी रही है. सरकार इसके लिए QRMP scheme लेकर आई है, उम्मीद है कि इससे ज्यादातर समस्याएं दूर हो जाएंगी. छोटे करदाताओं के लिए टैक्स अनुपालन को बेहतर बनाने के लिए कदम उठाए गए हं, लेकिन इनका असर दिखना बाकी है.
  10. जीएसटी के शुरुआती दौर में उथल-पुथल के बाद स्थिरता आ रही है औऱ पारदर्शिता के साथ कारोबारी सुगमता (Ease Of Doing Business) भी निवेश को बढ़ावा देने वाली साबित हो रही है. लेकिन भारत के निर्यात, निवेश और रेटिंग में इसका ज्यादा सकारात्मक असर नहीं दिखा है. इसके लिए भी पॉजिटिव कंपेन की दरकार है.
     

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