राष्ट्रीय लोकदल के नेता जयंत चौधरी ने शनिवार को कहा कि भाजपा के दिल में उनके और किसानों के लिए कोई जगह नहीं है. उन्होंने यह बात गृहमंत्री अमित शाह के उस बयान पर कही, जिसमें उन्होंने कहा था कि भाजपा के दरवाजे जयंत चौधरी के लिए खुले हैं. एनडीटीवी ने उनसे पूछा कि गृह मंत्री अमित शाह ने यह बयान क्यों दिया? इस पर सवाल पर जयंत चौधरी ने कहा कि जो लोग हमारे साथ और भाजपा के खिलाफ हैं, उन्हें वे लोग बरगलाना चाहते हैं. वे उन्हें संदेश देना चाहते हैं कि इनका वोटर हमारे साथ हैं. वे यह मैसेज देना चाहते हैं कि आरएलडी को वोट देकर अपना वोट खराब ना करें. यह उनकी चुनावी रणनीति का हिस्सा है. उनके दिल में ना मेरे लिए और ना ही जिनकी मैं वकालत या जिनके लिए मैं लड़ते आया हूं किसानों के लिए कोई जगह नहीं है.
चौधरी ने कहा कि भाजपा हमें मुगल, औरंगजेब और जिन्ना जैसी बातों में उलझाकर रखना चाहती है, ताकि मूल समस्याओं की तरफ हमारा ध्यान ही ना जाए. लेकिन अब लोग समझ गए हैं. लोगों के अंदर भाजपा के खिलाफ नाराजगी है. क्योंकि महंगाई की वजह से उनकी रोजी रोटी पर असर पड़ा है. किसानों की समस्याएं हैं, बेरोजगारी है. अब अपनी मूल समस्याओं को भूलकर कौन इन बातों पर वोट करेगा.
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भाजपा की हिंदू-मुस्लिम राजनीति पर जयंत चौधरी ने कहा कि उन्हें केवल एक ही बॉल डालनी आती है, लेकिन अब पिच बदल चुकी है.
सपा के साथ गठबंधन में आई अड़चनों के सवाल पर जयंत चौधरी ने कहा, जब आप बैठते हैं और बातचीत करते हैं तो उनका अपना संगठन है. अपना दल है. अपने लोग हैं. मेरी जिम्मेदारी अपने संगठन के प्रति है. जब आप सीट दर सीट चलते हैं तो एक दो सीटों पर बातचीत होती है. ये हमेशा हुई है. हमने कई गठबंधन किए हैं तो जब गठबंधन करते हैं तो थोड़ा वक्त लगता है उन्हें सही करने में. लेकिन हमारे अंदर एक दूसरे के प्रति बहुत भरोसा है और यह कामय रहेगा. इसे लंबे समय तक बनाकर रखना चाहते हैं. क्षेत्रिय पार्टियों को सोचना चाहिए कि जब हमें राष्ट्रीय आवाज को बुलंद करना होगा तो उसे एक दूसरे का सहयोग करना होगा और मदद भी करनी होगी.
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क्या PM मोदी ने माफी मांगकर कृषि कानून रद्द करके डेमेज कंट्रोल किया है? इस सवाल पर जयंत चौधरी ने कहा कि आप किसी को चोट पहुंचाए और एक साल बाद माफी मांगे और फिर चोट दे दें. मूल समस्या का कोई समाधान नहीं किया. जिन किसान परिवारों ने अपना सब कुछ खोया है, उनके परिवारों का ख्याल नहीं रखा गया. अभी तक किसानों के खिलाफ दर्ज केस वापस नहीं लिए गए. एमएसपी की बात पर कोई समाधान नहीं हुआ. टेनी जी (केंद्रीय गृह राज्य मत्री अजय कुमार मिश्रा) अभी भी मंत्री हैं. क्यों मंत्री हैं? ऐसा क्या दवाब है? ये सारे सवाल किसानों के मन में हैं. भाजपा की जमीन खिसक रही है. इसलिए कृषि कानून वापस लिए गए हैं.
क्या भाजपा से लड़ने के लिए दूसरे दलों से भी बात की गई थी? इस पर जयंत चौधरी ने कहा कि कोशिश की गई. लेकिन जो चीज व्यवहारिक है. जिन कैडर के बीच आपस में सहयोग बना सकते है. जो जमीनी चीज है. वो हम करने में कामयाब हुए. अब हमारे और भाजपा के बीच दोनों में ही टक्कर है. ये नौजवनों और किसानों को तय करना है और दो ही विकल्प हैं.
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क्या चुनाव बाद जरूरत पड़ी तो अन्य दलों से बात होगी? इस पर चौधरी ने कहा कि भाजपा से मतदाता इतने नाराज हैं कि उनके नेताओं को प्रचार भी नहीं करने दिया जा रहा है. इतनी नाराजगी है तो मुझे नहीं लगता कि कोई भी अपना वोट खराब करेगा. जब वोट फीसद बढ़ाने के लिए हमारे सब लोग इतने उत्साहित हैं और मनोबल ऊंचा है. मैं नहीं मानता कि इस माहौल में हम बहुमत के आंकड़े से दूर रहेंगे.
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