दिल्ली में अब नहीं होगा किसी नई डीजल गाड़ी का रजिस्ट्रेशन : एनजीटी का आदेश

दिल्ली में अब नहीं होगा किसी नई डीजल गाड़ी का रजिस्ट्रेशन : एनजीटी का आदेश

प्रतीकात्मक फोटो

नई दिल्ली:

दिल्ली में अब किसी भी नई डीजल गाड़ी का रजिस्ट्रेशन नहीं होगा। नेशनल ग्रीन ट्राइब्यूनल ने यह रोक लगाते हुए राज्य और केंद्र सरकार को भी निर्देश दिया है कि वे अपने विभागों के लिए डीजल गाड़ियां न खरीदें। इसके साथ ही 10 साल पुरानी डीज़ल और 15 साल पुरानी पेट्रोल गाड़ियों पर रोक लगा दी गई है। इस मामले की अगली सुनवाई 6 जनवरी को होगी।

एनजीटी प्रमुख न्यायमूर्ति स्वतंत्र कुमार की अध्यक्षता वाली एक पीठ ने कहा, एनजीटी दिल्ली में हवा की गुणवत्ता में वाहन से होने वाले प्रदूषण का गंभीर योगदान देखते हुए यह अहम है कि सरकार को एक गंभीर नजरिया अपनाना और फैसला लेना चाहिए कि क्या दिल्ली में किसी डीजल वाहन, नए या पुराने, का पंजीकरण होना चाहिए।

पीठ ने कहा, एक अंतरिम उपाय के तौर पर और मामले में सभी पक्षों की सुनवाई होने तक हम निर्देश देते हैं कि 10 साल से ज्यादा पुराने हो चुके और नए डीजल वाहनों का पंजीकरण दिल्ली में नहीं किया जाएगा। अधिकरण ने केंद्र एवं राज्य सरकारों को निर्देश दिया कि वे अपने विभागों के लिए भी कोई डीजल वाहन न खरीदें।

फॉर्मूले पर एनजीटी के सवाल
एनजीटी ने दिल्ली सरकार के ऑड इवन के फॉर्मूले पर ही सवाल खड़े कर दिए है। एनजीटी ने कहा है कि इससे न तो प्रदूषण कम होगा न ही सड़कों पर वाहनों की संख्या। दिल्ली सरकार ने ऑड-ईवन फॉर्मूले पर कोई काम नहीं किया है कि ऐसा करने से कितना प्रदूषण कम होगा। इससे तो लोग दो-दो कार लेने को मजबूर हो जाएंगे। इससे तो प्रदूषण और बढ़ेगा।

चीन हो गया था फेल
चीन ने भी ऑड-ईवन पॉलिसी को लागू किया, लेकिन वे फेल हो गए। लोगों ने दूसरी कार खरीद ली। प्रदूषण और बढ़ गया। दिल्ली सरकार ने ऑड-इवन सिर्फ कार पर लागू किया है, जबकि ये नियम बसों पर नहीं है। सरकार 1 जनवरी से हज़ारों बसें बढ़ा रही है। एक बस से 10 कार के बराबर प्रदूषण होता है। फिर कार कम करके और बस बढ़ाकर सरकार प्रदूषण कैसे कम करेगी?

ऑड-ईवन फॉर्मूले से पैसे की बरबादी
सरकार के ऑड-ईवन फॉर्मूले से न सिर्फ पैसे की बर्बादी होगी, बल्कि समय भी बर्बाद होगा। मेट्रो दिल्ली में यही सोचकर लाई गई थी कि सड़कों पर कंजेशन कम होगा, लेकिन न सड़कों पर ट्रैफिक जाम कम हुआ न मेट्रो में भीड़।

ये उठाए जा सकते हैं कदम
केंद्र और राज्य सरकार को यह तय करना चाहिए कि वह अपने सरकारी डीजल वाहनों को बैटरी या CNG में कैसे कन्वर्ट या रिप्लेस कर सकती है।  साथ ही ट्रांसपोर्ट विभाग भी कोशिश करे कि ज्यादा से ज्यादा वाहन सीएनजी पर हो। पब्लिक और सरकारी दोनों स्कूलों मे भी एयर purifier लगाने को लेकर पॉलिसी बनाई जानी चाहिए, जिससे बच्चों को प्रदूषण से बचाया जा सके। सरकार बताए कि पुराने वाहनों की स्क्रेप्पिंग को लेकर क्या योजना है। फेज आउट कैसे करना है।
(इनपुट एजेंसी से)


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