हैदराबाद:
आंध्र प्रदेश के हाई कोर्ट ने सरकार को आदेश दिया है कि राज्य में दो धमाकों के बाद गलत गिरफ्तार किए गए युवकों को किसी प्रकार का मुआवजा नहीं दिया जा सकता। कोर्ट का कहना है कि इसके लिए कोई कानूनी आधार नहीं है।
कोर्ट के इस आदेश का काफी असर पड़ने की आशंका है। बता दें कि मक्का मस्जिद और एक अन्य धमाकों में गिरफ्तार युवकों को बेकसूर पाए जाने के बाद मानवाधिकार आयोग के आदेश पर मुआवजा दिया गया था। कोर्ट ने कहा है कि यह मुआवजा वापस लिया जाए। कोर्ट ने कहा कि अब तक दिया गया 70 लाख रुपया वापस लिया जाए।
गिरफ्तार कई युवकों ने दावा किया था कि उनके साथ पुलिस ने हिरासत के दौरान ज्यादती की है।
एक नागरिक की अपील पर कोर्ट ने सोमवार को आदेश दिया कि सरकार को कोई अधिकार नहीं है कि क्योंकि कोई आदमी कोर्ट से बरी हो गया है इसलिए वह मुआवजा दे। कोर्ट ने साथ ही कहा कि शिकायतकर्ता सिविल केस दायर करने के लिए स्वतंत्र हैं।
सरकार ने अब तक 20 लोगों को तीन-तीन लाख रुपये, और 20-20 हजार रुपये 50 युवकों को दिए हैं। यह सभी युवक मुस्लिम समुदाय से हैं। इन सभी को राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग के आदेश के बाद दिया गया था। आयोग ने कहा था कि इन सभी को मात्र इसलिए निशाना बनाया गया क्योंकि यह लोग एक खास समुदाय से हैं। इन सभी लोगों को मक्का मस्जिद धमाकों के बाद शहर के तमाम हिस्सों से हिरासत में लिया गया था। इन धमाकों में नौ लोगों की मौत हो गई थी और करीब 50 लोग घायल हो गए थे।
कुछ लोगों ने सरकार द्वारा दिया गया यह मुआवजा स्वीकारने से इनकार कर दिया था। उनका तर्क था कि यह मुआवजा पुलिस अधिकारियों की तनख्वाह से काट कर दिया जाए। इन लोगों का कहना था कि पुलिस ने हिरासत में उनके साथ ज्यादती की हैं।
कुछ लोगों का कहना है कि इस तरह से मुआवजा दिया जाना एक गलत मिसाल आरंभ कर देगी और इससे पुलिस का जांच में भी असर पड़ेगा।
कहा जा रहा है कि अब राज्य सरकार हाईकोर्ट के इस आदेश को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती देगी।
कोर्ट के इस आदेश का काफी असर पड़ने की आशंका है। बता दें कि मक्का मस्जिद और एक अन्य धमाकों में गिरफ्तार युवकों को बेकसूर पाए जाने के बाद मानवाधिकार आयोग के आदेश पर मुआवजा दिया गया था। कोर्ट ने कहा है कि यह मुआवजा वापस लिया जाए। कोर्ट ने कहा कि अब तक दिया गया 70 लाख रुपया वापस लिया जाए।
गिरफ्तार कई युवकों ने दावा किया था कि उनके साथ पुलिस ने हिरासत के दौरान ज्यादती की है।
एक नागरिक की अपील पर कोर्ट ने सोमवार को आदेश दिया कि सरकार को कोई अधिकार नहीं है कि क्योंकि कोई आदमी कोर्ट से बरी हो गया है इसलिए वह मुआवजा दे। कोर्ट ने साथ ही कहा कि शिकायतकर्ता सिविल केस दायर करने के लिए स्वतंत्र हैं।
सरकार ने अब तक 20 लोगों को तीन-तीन लाख रुपये, और 20-20 हजार रुपये 50 युवकों को दिए हैं। यह सभी युवक मुस्लिम समुदाय से हैं। इन सभी को राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग के आदेश के बाद दिया गया था। आयोग ने कहा था कि इन सभी को मात्र इसलिए निशाना बनाया गया क्योंकि यह लोग एक खास समुदाय से हैं। इन सभी लोगों को मक्का मस्जिद धमाकों के बाद शहर के तमाम हिस्सों से हिरासत में लिया गया था। इन धमाकों में नौ लोगों की मौत हो गई थी और करीब 50 लोग घायल हो गए थे।
कुछ लोगों ने सरकार द्वारा दिया गया यह मुआवजा स्वीकारने से इनकार कर दिया था। उनका तर्क था कि यह मुआवजा पुलिस अधिकारियों की तनख्वाह से काट कर दिया जाए। इन लोगों का कहना था कि पुलिस ने हिरासत में उनके साथ ज्यादती की हैं।
कुछ लोगों का कहना है कि इस तरह से मुआवजा दिया जाना एक गलत मिसाल आरंभ कर देगी और इससे पुलिस का जांच में भी असर पड़ेगा।
कहा जा रहा है कि अब राज्य सरकार हाईकोर्ट के इस आदेश को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती देगी।
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