नई दिल्ली:
वन रैंक वन पेंशन पर सरकार की तरफ से कल कोई घोषणा नहीं होने जा रही है। सूत्रों के मुताबिक इस मुद्दे पर पर्दे के पीछे हो रही बातचीत का कोई नतीजा नहीं निकल पाया है। इसके अलावा इस मद के लिए सरकार को 20,000 करोड़ रुपये से भी अधिक की जरूरत पड़ने वाली है, जिसका प्रावधान फिलहाल नहीं है।
इससे पहले, केंद्रीय सूचना प्रसारण राज्यमंत्री राज्यवर्धन राठौर ने कहा था कि वन रैंक वन पेंशन से सरकार का भावनात्मक जुड़ाव है और इसकी घोषणा जल्द की जा सकती है। इस बयान के बाद अटकलें लगने लगी थीं कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी शनिवार को लाल किले की प्राचीर से इसकी घोषणा कर सकते हैं।
पूर्व सैनिक इस मसले को लेकर 60 दिन से जंतर मंतर पर धरना दे रहे हैं। शुक्रवार सुबह सुरक्षा के मद्देनज़र जंतर-मंतर को खाली कराया जा रहा था और धरने पर बैठे पूर्व सैनिकों को भी वहां से हटाने की कोशिश की गई।
पूर्व सैनिकों को हटाए जाने की कोशिशों के दौरान पुलिस के साथ उनकी धक्का-मुक्की भी हुई। पूर्व सैनिकों का सवाल था, "क्या अब हम देश की सुरक्षा के लिए भी खतरा बन गए हैं...?" इसके बाद दिल्ली पुलिस ने उन्हें वहां बने रहने की इजाज़त दे दी।
दरअसल, भूख हड़ताल पर बैठे कुछ पूर्व सैनिकों ने वहां से हटने से इनकार किया था, जिसके बाद उन्हें धक्का दिया गया और घसीटकर हटाने की कोशिश की गई। एनडीएमसी के ट्रकों को पूर्व सैनिकों द्वारा लगाए गए एक टेंट को उखाड़ते हुए देखा गया।
इससे पहले, केंद्रीय सूचना प्रसारण राज्यमंत्री राज्यवर्धन राठौर ने कहा था कि वन रैंक वन पेंशन से सरकार का भावनात्मक जुड़ाव है और इसकी घोषणा जल्द की जा सकती है। इस बयान के बाद अटकलें लगने लगी थीं कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी शनिवार को लाल किले की प्राचीर से इसकी घोषणा कर सकते हैं।
पूर्व सैनिक इस मसले को लेकर 60 दिन से जंतर मंतर पर धरना दे रहे हैं। शुक्रवार सुबह सुरक्षा के मद्देनज़र जंतर-मंतर को खाली कराया जा रहा था और धरने पर बैठे पूर्व सैनिकों को भी वहां से हटाने की कोशिश की गई।
पूर्व सैनिकों को हटाए जाने की कोशिशों के दौरान पुलिस के साथ उनकी धक्का-मुक्की भी हुई। पूर्व सैनिकों का सवाल था, "क्या अब हम देश की सुरक्षा के लिए भी खतरा बन गए हैं...?" इसके बाद दिल्ली पुलिस ने उन्हें वहां बने रहने की इजाज़त दे दी।
दरअसल, भूख हड़ताल पर बैठे कुछ पूर्व सैनिकों ने वहां से हटने से इनकार किया था, जिसके बाद उन्हें धक्का दिया गया और घसीटकर हटाने की कोशिश की गई। एनडीएमसी के ट्रकों को पूर्व सैनिकों द्वारा लगाए गए एक टेंट को उखाड़ते हुए देखा गया।
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