
(नीतीश कुमार ने आज बिहार के मुख्यमंत्री के रूप में चौथी बार शपथ ली है)
बिहार के लोगों की सेवा करने का जो अवसर मिला है, उसके लिए मैं आभारी हूं। इतिहासकार भरोसे के साथ कहते हैं कि प्राचीन भारत का गौरवशाली इतिहास प्राचीन बिहार का इतिहास है। वैसे आज ये आम जानकारी है कि बिहार भारत का सबसे ग़रीब राज्य है और अगर इसके आकार के दुनिया भर के राज्यों से इसकी अलग से तुलना की जाए तो ये दुनिया का सबसे गरीब राज्य है।
क्या यही सब कुछ है? मैं ऐसा नहीं सोचता। मैं मानता हूं कि बिहार देश में बहुत बड़ी संभावनाओं वाला राज्य है और विकसित भारत की कहानी विकसित बिहार की कहानी के बिना संभव नहीं है। मैं इसे यथार्थ में बदलने के लिए काम करता रहा हूं, करता रहूंगा।
बिहार की मज़बूती, कमज़ोरी, इसके अवसर और इसकी प्रगति की चुनौतियों के बहुत सरल विश्लेषण से भी बिहार की संभावना को रेखांकित किया जा सकता है। बिहार की ताकत इसके लोगों में- ख़ासकर यहां की महिलाओं, यहां के नौजवानों, इसकी उपजाऊ ज़मीन, इसके प्रचुर जल स्रोतों, हज़ारों वर्षों की इसकी समृद्ध विरासत और बड़ी तेज़ी से फैल रहे बहु कुशल अनिवासी बिहारियों में है।
साथ ही साथ, बिहार के बहुत सारे कमज़ोर मोर्चे भी हैं। बिहार बुनियादी ढांचे और संस्थानों के विकास में बाकी देश से पीछे छूट गया, जो भारत के दूसरे समृद्ध और बेहतर विकसित राज्यों का मामला नहीं है। बुनियादी ढांचे और संस्थानों की कमी ने ज्ञान सृजन में एक बड़ी कमी को जन्म दिया है। इसके अलावा, बिहार चारों तरफ़ से ज़मीन से घिरा है। झारखंड के बिहार से अलग होने के बाद, बिहार के पास प्राकृतिक संसाधन भी नहीं रह गए। तो कुछ अंतर्निहित कमज़ोरियां हैं जिनसे राज्य को जूझना है।
बहरहाल, भविष्य उज्ज्वल है। बिहार की मज़बूती कोई उससे छीन नहीं सकता, जबकि उसकी कमज़ोरियां दूर करने के लिए व्यवस्थागत ढंग से काम किया जा सकता है। इसी बिंदु पर सबसे ज़्यादा अवसर बने हुए हैं। किसी भी दूसरे राज्य को सुशासन और नीति निर्माण से उतना फ़ायदा नहीं हो सकता, जितना बिहार को। यह केंद्र सरकार की ज़िम्मेदारी है कि वह देश के भीतर बढ़ती विकराल गैरबराबरी को सहायक नीति निर्माण के ज़रिए दूर करे। विशेष राज्य का दर्जा ऐसा ही नीतिगत कदम है।
बिहार में बुनियादी ढांचे की बराबरी हासिल करने के लिए सड़क, रेल, बिजली, शिक्षा और स्वास्थ्य में निवेश करने भर से राज्य की अर्थव्यवस्था रफ़्तार पकड़ लेगी। नेतृत्व और शासन यह सुनिश्चित करने में अहम भूमिका निभाएंगे कि बिहार को उसका प्राप्य मिले और ज़रूरी आधारभूत और संस्थागत विकास हासिल करने के लिए परियोजनाओं को वक़्त पर पूरा किया जाए।
आज बिहार तकनीक की मदद से विकास के कई डग एक साथ भर सकता है। डिजिटल क्षमता से लैस बिहार किफायती तरीक़े से बेहतर स्तर की शिक्षा, स्वास्थ्य सुविधाएं और सामाजिक कल्याण मुहैया करा सकता है। राज्य के मूल बुनियादी ढांचे की बेहतरी, बेहतर शिक्षा और युवाओं के प्रशिक्षण, दुरुस्त कानून-व्यवस्था और बिजली की उपलब्धता निवेश और उद्यमिता की बेहद ज़रूरी बुनियाद रख देगी। यहां से बैंकों से मिलने वाला कर्ज़ निजी क्षेत्र के विकास को बढ़ावा देने में काफी अहम भूमिका निभाएगा। इस फ्रेम में, आप जहां भी देखें, निवेश की एक भूमिका है- चाहे वह बुनियादी सुविधा के विकास में हो, नौजवानों के कौशल और ज्ञान को बढ़ावा देने में हो या निवेश और उद्यमिता को सक्षम बनाने में हो। बिहार में निवेश का मामला सरल है और यह निवेशकों, राज्य और समाज को बिल्कुल समयबद्ध फायदा देगा।
इसके अलावा खेती के खाके पर भी काम चलता रहना चहिए, जो भारत को दूसरी हरित क्रांति की तरफ ले जाने के लिए राज्य द्वारा खींचा गया है, जिसकी मैं अक्सर एक रेनबो रिवॉल्यूशन (सतरंगी क्रांति) की तरह कल्पना करता हूं। बिहार छोटे किसानों का राज्य है जिनके पास देश की सबसे उपजाऊ भूमि है। खेती का खाका साफ़ तौर पर ऐसा नीतिगत दृष्टिकोण बनाता है जिससे खेती महत्वपूर्ण ढंग से और उत्पादक हो सके।
शहरीकरण वह एक और अहम क्षेत्र है जहां बिहार में अवसर ही अवसर हैं। आज बिहार के नौ में से एक ही आदमी शहरी इलाक़े में रहता है। इसे स्वाभाविक ढंग से बढ़ना है और अगले दस साल में कम से कम दुगुना हो जाना है। राज्य इस सूरत का फायदा उठा सकता है, बस यह सुनिश्चित करके कि बिहार के शहरी केंद्र बेहतर ढंग से नियोजित हों, वहां बिजली हो और वे रोज़गार सृजन के लंगर बन सकें। आधुनिक तकनीक के साथ, इसे कहीं बेहतर रफ़्तार और सुनिश्चित परिणामों के साथ हासिल किया जा सकता है।
बिहार के लिए एक अहम मौक़ा राज्य के अनिवासी लोगों का का बहुत बड़़ा आधार है जिनके पास तरह-तरह के कौशल हैं और ढेर सारे संसाधन हैं। राज्य से उनका ज़ुड़ाव सिर्फ़ संपत्ति और उनके विस्तृत परिवार तक ही सीमित नहीं है जो राज्य में रह रहा है, बल्कि यह एक गहरा भावनात्मक जुड़ाव है और उनको बिहार के विकास के लिए काम करने को प्रेरित करता है। मैं इसे बहुत बड़ी संभावना के तौर पर देखता हूं कि अनिवासी बिहारियों के ज्ञान, साधनों और उनकी आकांक्षाओं को राज्य के विकास के मुद्दे की तरफ मोड़ा जा सकता है।
मुझे उन ख़तरों का भी पूरा-पूरा एहसास है जो बिहार लगातार झेल रहा है। एक तो, राज्य प्राकृतिक आपदाओं- ख़ासकर बाढ़ और अकाल का मारा है। पहले से ही बढ़ा हुआ ये खतरा जलवायु परिवर्तन को देखते हुए और बड़ा हो सकता है। दूसरे, हमारे बेहद घनी आबादी वाले और गरीब राज्य में जाति और धर्म अहम भूमिका निभाते हैं। इसलिए बिहार अन्याय, निष्क्रियता और विभाजक ताकतों का भी आसान शिकार है। जहां सक्रिय शासन से प्राकृतिक आपदा के ख़तरों को कम किया जा सकता है, वहीं सामाजिक मोर्चे पर राज्य को सहनशील बनाने का इकलौता उपाय न्याय के साथ विकास का नज़रिया है।
बिहार की सरकार ऐसी होनी चाहिए जो विकास कर सके, उसके फायदों को सबसे कमज़ोर तबकों तक पहुंचा सके, और सामाजिक समरसता को लगातार मज़बूत कर सके। दुनिया में कहीं भी किसी गरीब राज्य को बांटने वाली नीति और राजनीति से नहीं बदला गया है। तो बिहार के आगे बढ़ने का इकलौता रास्ता मज़बूत नेतृत्व, सुशासन और न्याय के साथ विकास है।
राज्य की मज़बूती, कमज़ोरी, उसके अवसरों और ख़तरों का यह सरल विश्लेषण भी राज्य की बेतहाशा संभावनाओं को सामने रख देता है। मेऱी कल्पना इस संभावना को मूर्त रूप देने की है। मज़बूतियों का पूरा-पूरा इस्तेमाल करना होगा- नौजवानों में आगे बढ़ने और योगदान करने का हुनर हासिल करना होगा, महिलाओं को समाज में अपनी समुचित भूमिका निभानी होगी. हमारी ज़मीन की उत्पादकता बढ़ानी होगी, जल संसाधनों के इस्तेमाल को उत्पादक बनाना होगा और दुनिया भर के लोगों को अपनी समृद्ध सांस्कृतिक विरासत का अऩुभव कराना होगा। कमज़ोरियों को कम करना होगा। इसके लिए चाहे जो भी करना पड़े। बिहार को आधारभूत ढांचे, संस्थाओं और ज्ञान के मामले में बराबरी हासिल करनी है। यह राज्य और केंद्र सरकार की ज़िम्मेदारी है।
अक्सर लोग बिहार के चूके हुए मौकों की बात करते हैं। अब और नहीं। मेरी कल्पना ऐसा दृष्टिकोण विकसित करने की है जिससे बिहार अपने अवसरों का पूरा इस्तेमाल करेगा। हमारे नौजवान लड़के-लड़कियां- और वे करोड़ों में हैं- बेहतर प्रशिक्षित होंगे और किसी भी दूसरे राज्य के लोगों से सक्षम होंगे। हमारे नगर और शहर बेहतर जीवन स्तर और रोज़गार के अवसर मुहैया कराएंगे। और राज्य उद्यमियों और निवेशकों के हब के रूप में विकसित होगा। साथ ही, हमारे गांव आत्मनिर्भर और जीवंत होंगे। इस बार बिहार दूसरी हरित क्रांति में सिर्फ शामिल नहीं होगा, बल्कि उसका नेतृत्व करेगा।
जहां मैं इन लक्ष्यों की ओर काम कर रहा हूं, मैं लोगों के लिए सबसे अहम संदेश भी साफ़ कर दूं। मैं एक ऐसा राज्य बनाने में लगूंगा जो हमेशा-हमेशा के लिए कुशासन की कहानी की छाया से मुक्त हो जाए। यह खयाल और डर कि बिहार कभी भी गैरज़िम्मेदार हुकूमत और कानून-व्यवस्था की ओर लौट सकता है, लोगों के दिलो-दिमाग से दूर होना चाहिए।
मेरी मूल ताकत सुशासन, समग्र विकास और सामाजिक समरसता देने की क्षमता है। जैसा कि मैंने बीते नौ सालों में कोशिश की है, मेरी हसरत एक ऐसा राज्य बनाने की है जहां मज़बूती संस्थागत हो जाए। और मैं ये कोशिश हमेशा हमेशा जारी रखते हुए, ऐसा राज्य बनाना चाहता हूं जो सकारात्मक भविष्य, जीवंत संस्कृति और टिकाऊ समरसता की दास्तान को भरोसे के साथ आगे ले जा सके। और ये हासिल करने में, मैं बिहार के हक़ में भारत सरकार और माननीय प्रधानमंत्री के साथ तत्परता के साथ काम करूंगा।
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