प्रतीकात्मक फोटो
नई दिल्ली:
बैंकों ने सोमवार को 12 बड़े कर्जदारों के खिलाफ कार्रवाई शुरू करने के लिए बैठक की. भारतीय रिजर्व बैंक ने इन खातों की पहचान की है. बैंकों के 2 लाख करोड़ रुपये दबाए बैठी 12 कंपनियों के ख़िलाफ़ एक महीने के अंदर मामला दर्ज होगा. नेशनल कंपनी लॉ ट्राइब्युनल ये देखेगा कि इन कंपनियों से पैसा वसूली का कोई रास्ता निकल सकता है या इन्हें बेचकर ही वसूली की जा सकती है. नीति आयोग मानता है कि सख़्त कार्रवाई जरूरी है.
कमेटी के चेयरमैन टी हक ने एनडीटीवी से कहा कि बैंकों को दोषी कंपनियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करनी होगी जिससे आगे समय पर कर्ज़ ना चुकाने वाले डरें. पिछले कई दिनों से बैंकों के एनपीए- यानी डूबे हुए पैसे- को लेकर देश भर में बहस चल रही है. बैंकों के कुल 8 लाख करोड़ रुपये कंपनियों के पास फंसे हुए हैं.
ये पैसा रखने वाली 500 कंपनियों की पहचान हो चुकी है इनमें से 12 कंपनियों के पास करीब दो लाख करोड़ हैं.
टी हक कहते हैं कि भारत सरकार के पास कोई राष्ट्रीय स्तर पर नीति है. एनपीए के खिलाफ सख्त कार्रवाई करने के लिए. हक कहते हैं कि सरकार को नए नियम बनाने होंगे जिससे एनपीए की समस्या दोबारा खड़ी ना हो और बैंकों से लोन लेने के लिए नियमों को और सख्त बनाया जाए. बरसों से एनपीए के खिलाफ सख्त कार्रवाई की मांग उठती रही है. अब आरबीआई की इस पहल के बाद बैंकों को और सरकार को भी इस मसले से सख्ती से निपटने का एक मौका मिला है और लाखों करोड़ की क़र्ज वसूली का भी.
रिजर्व बैंक ने जिन खातों की पहचान की है उनमें एम्टेक ऑटो पर 14,074 करोड़ रुपये, भूषण स्टील पर 44,478 करोड़ रुपये, एस्सार स्टील पर 37,284 करोड़ रुपये, भूषण पावर एंड स्टील पर 37,248 करोड़ रुपये, आलोक इंडस्ट्रीज पर 22,075 करोड़ रुपये, मोनेट इस्पात पर 12,115 करोड़ रुपये और लैंको इन्फ्रा पर 44,364.6 करोड़ रुपये का कर्ज बकाया है. इस सूची में शामिल अन्य कंपनियां में इलेक्ट्रोस्टील स्टील्स पर 10,273.6 करोड़ रुपये, इरा इन्फ्रा पर 10,065.4 करोड़ रुपये, जेपी इन्फ्राटेक पर 9,635 करोड़ रुपये, एबीजी शिपयार्ड पर 6,953 करोड़ रुपये और ज्योति स्ट्रक्चर्स पर 5,165 करोड़ रुपये का कर्ज बकाया है.
कमेटी के चेयरमैन टी हक ने एनडीटीवी से कहा कि बैंकों को दोषी कंपनियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करनी होगी जिससे आगे समय पर कर्ज़ ना चुकाने वाले डरें. पिछले कई दिनों से बैंकों के एनपीए- यानी डूबे हुए पैसे- को लेकर देश भर में बहस चल रही है. बैंकों के कुल 8 लाख करोड़ रुपये कंपनियों के पास फंसे हुए हैं.
ये पैसा रखने वाली 500 कंपनियों की पहचान हो चुकी है इनमें से 12 कंपनियों के पास करीब दो लाख करोड़ हैं.
टी हक कहते हैं कि भारत सरकार के पास कोई राष्ट्रीय स्तर पर नीति है. एनपीए के खिलाफ सख्त कार्रवाई करने के लिए. हक कहते हैं कि सरकार को नए नियम बनाने होंगे जिससे एनपीए की समस्या दोबारा खड़ी ना हो और बैंकों से लोन लेने के लिए नियमों को और सख्त बनाया जाए. बरसों से एनपीए के खिलाफ सख्त कार्रवाई की मांग उठती रही है. अब आरबीआई की इस पहल के बाद बैंकों को और सरकार को भी इस मसले से सख्ती से निपटने का एक मौका मिला है और लाखों करोड़ की क़र्ज वसूली का भी.
रिजर्व बैंक ने जिन खातों की पहचान की है उनमें एम्टेक ऑटो पर 14,074 करोड़ रुपये, भूषण स्टील पर 44,478 करोड़ रुपये, एस्सार स्टील पर 37,284 करोड़ रुपये, भूषण पावर एंड स्टील पर 37,248 करोड़ रुपये, आलोक इंडस्ट्रीज पर 22,075 करोड़ रुपये, मोनेट इस्पात पर 12,115 करोड़ रुपये और लैंको इन्फ्रा पर 44,364.6 करोड़ रुपये का कर्ज बकाया है. इस सूची में शामिल अन्य कंपनियां में इलेक्ट्रोस्टील स्टील्स पर 10,273.6 करोड़ रुपये, इरा इन्फ्रा पर 10,065.4 करोड़ रुपये, जेपी इन्फ्राटेक पर 9,635 करोड़ रुपये, एबीजी शिपयार्ड पर 6,953 करोड़ रुपये और ज्योति स्ट्रक्चर्स पर 5,165 करोड़ रुपये का कर्ज बकाया है.
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