श्रीनगर:
NIT श्रीनगर में अब धीरे-धीरे हालात सामान्य हो रहे हैं। स्थानीय छात्रों का दावा है कि क्लासेज़ शुरू हो गई हैं और माहौल सामान्य हो रहा है हालांकि कैंपस में सुरक्षा बढ़ा दी गई है ताकि किसी तरह का तनाव न हो। संस्थान का कहना है कि जो छात्र कैंपस छोड़ना चाहते हैं, वे अपने माता-पिता के नंबर दें। इधर राज्य के उपमुख्यमंत्री निर्मल सिंह ने कहा है कि छात्रों पर लाठीचार्ज के मामले में जांच के आदेश दिए गए हैं, जिसकी रिपोर्ट 15 दिन में आ जाएगी। इससे पहले पुलिस ने अपनी तरफ से एक वीडियो भी जारी किया, जिसमें दिखाया गया कि छात्रों ने पहले पथराव शुरू किया।
उधर, इस विवाद में सोशल मीडिया का ज़्यादा इस्तेमाल न हो इसके लिए राज्य प्रशासन और पुलिस ने इंटरनेट की बैंडविड्थ कैम्पस में कम कर दी है ताकि छात्र ना सोशल साइट्स पर ज़्यादा पोस्ट कर सकें और ना ही वीडियो अपलोड कर सकें।
यही नहीं कॉलेज कैम्पस में किसी भी बाहर के शख़्स ही नहीं बल्कि मीडिया के भी जाने की पाबंदी है। कॉलेज के गेट पर सीआरपीएफ और राज्य पुलिस तैनात है, इस बात को लेकर छात्रों के माता पिता काफ़ी चिंतित हैं।
एक बेटी के चिंतित पिता ने एनडीटीवी इंडिया को बताया, "मैं अपनी बेटी से मिलने जाना चाहता हूं लेकिन कोई अंदर नहीं जाने दे रहा। ना प्रशासन ना कॉलेज के लोग हमारी मदद कर रहे हैं अब हम सब पेरेंट्स मिलकर तय करेंगे की क्या करें।'
कुछ अभिभावकों का कहना है कि बाहरी छात्रों से भेदभाव भी हो रहा है। एक पिता ने मामले की गम्भीरता समझायी और कहा, "मेरी बेटी ने टीचर से सवाल पूछा की ऐसिड रैन क्या होता है तो टीचर ने कहा की ऐसिड रैन भारत में होती होगी यहां कश्मीर में नहीं। ऐसे महोल में बच्चे कैसे पढ़ सकते हैं।"
एक पिता का कहना था, सोशल साइट्स में हमारे बच्चों को धमकियां भी मिल रही है।" एक और पिता ने बताया उनके मुताबिक़ लड़कियों को हॉस्टल से बाहर नहीं जाने दिया जा रहा है। मेरे लड़के का लैपटॉप बाहर मैकेनिक के पास था, उसे भी लेने नहीं जाने दिया।
उधर, इस विवाद में सोशल मीडिया का ज़्यादा इस्तेमाल न हो इसके लिए राज्य प्रशासन और पुलिस ने इंटरनेट की बैंडविड्थ कैम्पस में कम कर दी है ताकि छात्र ना सोशल साइट्स पर ज़्यादा पोस्ट कर सकें और ना ही वीडियो अपलोड कर सकें।
यही नहीं कॉलेज कैम्पस में किसी भी बाहर के शख़्स ही नहीं बल्कि मीडिया के भी जाने की पाबंदी है। कॉलेज के गेट पर सीआरपीएफ और राज्य पुलिस तैनात है, इस बात को लेकर छात्रों के माता पिता काफ़ी चिंतित हैं।
एक बेटी के चिंतित पिता ने एनडीटीवी इंडिया को बताया, "मैं अपनी बेटी से मिलने जाना चाहता हूं लेकिन कोई अंदर नहीं जाने दे रहा। ना प्रशासन ना कॉलेज के लोग हमारी मदद कर रहे हैं अब हम सब पेरेंट्स मिलकर तय करेंगे की क्या करें।'
कुछ अभिभावकों का कहना है कि बाहरी छात्रों से भेदभाव भी हो रहा है। एक पिता ने मामले की गम्भीरता समझायी और कहा, "मेरी बेटी ने टीचर से सवाल पूछा की ऐसिड रैन क्या होता है तो टीचर ने कहा की ऐसिड रैन भारत में होती होगी यहां कश्मीर में नहीं। ऐसे महोल में बच्चे कैसे पढ़ सकते हैं।"
एक पिता का कहना था, सोशल साइट्स में हमारे बच्चों को धमकियां भी मिल रही है।" एक और पिता ने बताया उनके मुताबिक़ लड़कियों को हॉस्टल से बाहर नहीं जाने दिया जा रहा है। मेरे लड़के का लैपटॉप बाहर मैकेनिक के पास था, उसे भी लेने नहीं जाने दिया।
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