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This Article is From Jan 14, 2020

निर्भया केस: दो दोषियों की मौत की सजा बरकरार, SC ने खारिज की क्यूरेटिव याचिका

दोनों दोषियों के पास राष्ट्रपति के पास दया याचिका दाखिल करने का विकल्प बाकी है. बाकी दो दोषियों अक्षय और पवन ने क्यूरेटिव याचिका अभी तक दाखिल नहीं की है.

अभी इन दोषियों के पास राष्ट्रपति के पास दया की याचिका लगाने का विकल्प बाकी है.

नई दिल्ली:

निर्भया केस में सुप्रीम कोर्ट ने दो दोषियों की क्यूरेटिव पेटिशन खारिज कर दी है. दोनों दोषियों की मौत की सजा को बरकरार रखा गया है. सुप्रीम कोर्ट के पांच जजों ने विनय शर्मा और मुकेश की क्यूरेटिव याचिका खारिज की है. चैंबर में लिए गए फैसले में कहा गया है कि याचिका में कोई आधार नहीं. दोनों दोषियों के लिए आखिरी कानूनी दरवाजा भी बंद हो गया. जस्टिस एनवी रमना, जस्टिस अरुण मिश्रा, जस्टिस आर एफ नरीमन, जस्टिस आर बानुमति और जस्टिस अशोक भूषण की बेंच ने फैसला दिया है. बता दें, पटियाला हाउस कोर्ट ने चारों दोषियों को 22 जनवरी की सुबह सात बजे फांसी के लिए डेथ वारंट जारी किया है. 

दोनों दोषियों के पास राष्ट्रपति के पास दया याचिका दाखिल करने का विकल्प बाकी है. बाकी दो दोषियों अक्षय और पवन ने क्यूरेटिव याचिका अभी तक दाखिल नहीं की है.

निर्भया केस के दोषियों के लिए दिल्ली की तिहाड़ जेल में डमी फांसी दी गई

बता दें, कोर्ट की सुनवाई से पहले निर्भया केस में दोषी विनय शर्मा के वकील ने एपी सिंह ने एनडीटीवी से कहा था कि हमने क्यूरेटिव पिटीशन में कहा है कि साल 2017 के बाद 17 रेप और मर्डर के केस हैं जिसमें सुप्रीम कोर्ट ने मौत की सजा को उम्रकैद में तब्दील कर दिया है. सुप्रीम कोर्ट इस मामले में भी अपने फैसले पर फिर से विचार करे. इसके आगे हम राष्ट्रपति के सामने भी दया याचिका देंगे. 

निर्भया केस: डेथ वारंट जारी होने के बाद अलग अलग सेल में रखा गया दोषियों को, फिलहाल परिवार को मिलने की अनुमति

दूसरी ओर से निर्भया गैंग रेप और हत्या के मामले में दोषी चारों आरोपियों को फांसी पर लटकाने के अभ्यास के रूप में रविवार को डमी फांसी दी गई. डमी फांसी की प्रक्रिया दिल्ली की तिहाड़ जेल में पूरी की गई. इस प्रक्रिया के तहत चार बोरों में चारों दोषियों के वजन के हिसाब से मिट्टी पत्थर भरा गया. इन बोरों को रस्सियों से लटकाया गया. निर्भया केस के दोषी मुकेश सिंह, विनय शर्मा, अक्षय ठाकुर और पवन गुप्ता को 22 जनवरी को फांसी पर लटकाया जाएगा.

पक्ष-विपक्ष: फांसी न दें तो आखिर क्या करें?​

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