यह ख़बर 18 अक्टूबर, 2014 को प्रकाशित हुई थी

निहाल किदवई की कलम से : हुदहुद की आहट और मीडिया कवरेज

फाइल फोटो

विशाखापट्टनम से लौटकर:

विशाखापट्टनम में आए हुदहुद तूफान की कवरेज के लिए जब मैं घर से निकल रहा था, तो मेरी पत्नी ने कहा कि अजीब पेशा चुना है आपने.. ऐसे प्रकोपों से बचने के लिए लोग दूर भागते हैं लेकिन आप लोग खतरों को जानते हुए भी उसके नज़दीक जाते हैं।

इस बात को सुनकर भी नज़रअंदाज करते हुए मैं आगे बढ़ा और विशाखापट्टनम 10 तारीख को पहुंच गया। मौसम विभाग के अनुमान के मुताबिक, तूफान हुदहुद दो दिन बाद 12 तारीख को यहां दस्तक देने वाला था। वहां पहुंचने पर पता चला कि विशापट्टनम के कलेक्टर, पुलिस प्रमुख, एनडीआरएफ की एक प्रेस कॉन्फ्रेंस होने जा रही है।

वहां हमें बताया गया कि उन्होंने इस आपदा को देखते हुए इससे निपटने की किस तरह की तैयारी की गई है। उनका आत्मविश्वास इसलिए भी बढ़ा हुआ था, क्योंकि इस बार उनके पास तमाम जरूरी उपकरणों के साथ-साथ सैटेलाइट फोन भी थे। उनके आत्मविश्वास को देखकर हमारा भरोसा भी बढ़ा।

अगले दिन यानी शनिवार को विशाखापट्टनम से तकरीबन 14 किलोमीटर दूर मंगामारीपेट, जो कैलाशगिरि के पास है, पहुंचे वहां मछुआरों को हमने अधिकारियों के साथ बहस करते देखा। अधिकारी ने मछुआरा से समुद्र किनारे बसी उनकी बस्ती खाली करने को कहा। इसके साथ उन्होंने यह भी बताया कि इस बस्ती से महज कुछ दूरी पर उनके रहने और खाने का इंतजाम किया गया है, ताकि वह सुरक्षित रह सकें।

एक बुजुर्ग मछुआरा जिसकी उम्र 80 के आसपास रही होगी, उसने उस अधिकारी से तूलुगु में पूछा, आपकी उम्र क्या है? अधिकारी ने जवाब दिया, तकरीबन 38 साल। मछुआरे ने कहा, आपकी उम्र से कहीं ज्यादा वक्त मैंने समुद्र में गुजारा है और इसके मिजाज़ मैं बेहतर समझता हूं। सही वक्त आने पर हम खाली कर देंगे।

हकीकत यह है कि मछुआरों को समझाने अधिकारियों को काफी मशक्कत करनी पड़ रही थी। मंगमारीपेट में हमने देखा कि जगह जगह मुनादी करवाई जा रही थी, खतरों की चेतावनी दी जा रही है और लोगों से जगह खाली करने की अपील की जा रही थी।

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वहीं दूसरी तरफ, हुदहुद तूफान कवर करने आए टीवी चैनल के रिपोर्टर और कैमरामैन क्रू एक्सक्लूजिव कवरेज के लिए पूरे इलाके का मुआयना कर रहे थे। मैं और मेरी टीम भी इनमें से एक थी। सबने अपने अपने हिसाब से ओबी वैन और मीडिया के नए ब्रह्नास्त्र लाइवयू और थ्रीजी को सही जगह पर पोजीशन कर लिया। इसलिए की अगली सुबह तकरीबन 9 बजे से 12.30 बजे के बीच हुदहुद के विशाखापट्टनम के आसपास टकराने की आशंका थी। इस बीच प्रशासन से लेकर मीडियाकर्मी सभी इस अग्निपरीक्षा के दौर से गुजरने के लिए तैयार थे। (इस सीरीज की अगली कड़ी में आगे पढ़िये उस वक्त का हाल जब हुदहुद तूफान विशाखापट्टनम से टकराया।)