चित्तूर एनकाउंटर में राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग ने आंध्र प्रदेश सरकार को जहां मजिस्ट्रेट जांच करवाने के निर्देश दिए वहीं तमिलनाडु सरकार को कहा कि वो उन दो चश्मदीदों को सुरक्षा दे जो इस मामले में गवाह बनकर सामने आए हैं।
राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग ने सोमवार को दो चश्मदीदों- 54 साल के सीकर और 29 साल के बालचंद्रन के बयान दर्ज किए और ना सिर्फ उनको बल्कि उनके परिवार वालों के साथ उनके गावों के पंचायत के प्रधानों को भी सुरक्षा मुहैया करवाने के निर्देश दिए।
मानवाधिकार आयोग ने फैसला दिया, 'एसटीएफ, जंगल के अधिकारी और जो-जो अफसर इस मुठभेड़ से जुड़े हैं उन सबके नाम 22 अप्रैल तक मानवाधिकार आयोग को मुहैया करवाये जाने चाहिये।' ये भी फैसला हुआ कि अगर किन्हीं लोगों का आखिरी संस्कार नहीं हुआ है तो मानवाधिकार के द्वारा तय किये गए नियमों के तहत पोस्टमॉर्टम करवाया जाना चाहिये।
आयोग ने आंध्र प्रदेश सरकार को ये भी कहा कि एनकाउंटर में जो हथियार इस्तेमाल हुए हैं, चाहे वो पुलिसकर्मियों द्वारा हों या फिर मारे गए लोगों द्वारा, सभी को सेफ कस्टडी में रखा जाये और पुलिस रजिस्टर, लॉग बुक्स और मामले से जुड़े कोई भी दस्तावेज़ ना तबाह किये जाएं और ना ही उनके साथ किसी तरह की छेड़छाड़ की जाए।
वृंदा ग्रोवर जो इन चश्मदीदों की वकील हैं, उनका कहना है कि इस मामले में 20 लोग मारे गए और 20 तरह की कहानियां सामने आ रही हैं। ये पूरा मामला स्टेज मैनेज्ड था। वृंदा ने पत्रकारों से प्रेस क्लब ऑफ़ इंडिया में बात करते हुए कहा, 'ऐसा लगता है कि कुछ डीलर्स पुलिसवालों और कुछ ताकतवर लोगों से मिले हुए हैं। यही वजह है कि पुलिस और राजनैतिक लोगों द्वारा ये बयान दिए जा रहे हैं कि एनकाउंटर सही है। इस पूरे मामले की जांच होनी चाहिए।'
उधर पीपल वाच के नाम से जानी जाने वाले एनजीओ, जो इस पूरे मामले में अपनी निष्पक्ष जांच कर रही है, का कहना है कि अभी भी कई और गवाह हैं जो सामने नहीं आ रहे और उन्हें अपनी जान का डर है।
दूसरी तरफ आयोग ने ये भी फैसला लिया है कि वो अपना एक अफसर तीसरे गवाह इल्लैंगोवन का बयान दर्ज़ करने भेजेगा। वह गवाह इसीलिए दिल्ली नहीं आ सका क्योंकि सफर करने के लिए उसके पास कोई पहचान पत्र नहीं था। इस मामले की सुनवाई अब 23 अप्रैल को हैदराबाद में है।
आंध्र प्रदेश के चित्तूर जिले में मंगलवार को दो मुठभेड़ों में पुलिस ने 20 चंदन तस्करों को मार गिराने का दावा किया था। मारे गए अधिकतर लोग तमिलनाडु के थे।
पीएमके ने तमिलनाडु सरकार से उन लोगों की स्थिति का पता लगाने के लिए एक विस्तृत जांच की मांग की जो आंध्र प्रदेश में दिहाड़ी मजदूर के रूप में काम करने के लिए राज्य से रवाना हुए थे। पीएमके ने यह मांग आंध्र प्रदेश पुलिस द्वारा लाल चंदन का तस्कर होने के आरोप में 20 लकड़हारों को मुठभेड़ में मार गिराने की पृष्ठभूमि में की है।
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