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This Article is From Nov 21, 2019

एक साल के भीतर सभी राज्य वायु गुणवत्ता निगरानी केंद्र स्थापित करें: एनजीटी

अधिकरण ने कहा कि केंद्र स्थापित करने का मापदंड आबादी और शहर के इलाके के आधार पर बनाया गया है, जिसके अनुसार मौजूदा केंद्रों के अलावा 800 कॉन्टिन्यूस एम्बियंट एयर क्वालिटी मॉनिटरिंग स्टेशंस (CAAAQMS) और 1,250 मैनुअल केंद्रों की आवश्यकता है.

एक साल के भीतर सभी राज्य वायु गुणवत्ता निगरानी केंद्र स्थापित करें: एनजीटी
प्रतीकात्मक तस्वीर
नई दिल्ली:

राष्ट्रीय हरित अधिकरण (NGT) ने बुधवार को सभी राज्यों के प्रदूषण नियंत्रण बोर्डों को एक साल के भीतर वायु गुणवत्ता निगरानी केंद्र स्थापित करने और केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (CPCB) को प्रत्येक तिमाही पर प्रगति रिपोर्ट सौंपने के निर्देश दिए. बता दें, NGT अध्यक्ष न्यायाधीश आदर्श कुमार गोयल की अध्यक्षता वाली पीठ ने वायु प्रदूषण के मुद्दे पर कुछ निर्देश जारी किए और वायु गुणवत्ता निगरानी केंद्र स्थापित करने को लेकर पहली रिपोर्ट एक अप्रैल 2020 तक देने को कहा. अधिकरण ने कहा कि केंद्र स्थापित करने का मापदंड आबादी और शहर के इलाके के आधार पर बनाया गया है, जिसके अनुसार मौजूदा केंद्रों के अलावा 800 कॉन्टिन्यूस एम्बियंट एयर क्वालिटी मॉनिटरिंग स्टेशंस (CAAAQMS) और 1,250 मैनुअल केंद्रों की आवश्यकता है.

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उसने कहा कि अभी 114 शहरों में 202 CAAAQMS लगाने का प्रस्ताव है, जिनमें से 152 स्थापित करने की प्रक्रिया चल रही है. पीठ ने कहा, ‘ऐसे सभी केंद्र CPCB के सर्वर से जुड़े होने चाहिए. इन स्थानों पर CPCB के खुद के केंद्र भी हो सकते हैं. सभी 12 अधिसूचित मानकों की CAAAQMS द्वारा निगरानी की जानी चाहिए. इसका पालन न करने पर प्रदूषण नियंत्रण बोर्डों को एक जनवरी 2021 से हर महीने पांच लाख रुपये की क्षतिपूर्ति देनी होगी.'

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NGT ने यह भी कहा कि रिहायशी इलाकों से औद्योगिकी इकाइयों को स्थानांतरित करने के लिए तंत्र जल्द ही बनाया जा सकता है. ध्वनि प्रदूषण को लेकर भी हरित अधिकरण ने CPCB को वृहद रिपोर्ट देने को कहा है. साथ ही चेतावनी भी दी है कि आदेशों का अनुपालन नहीं होने पर संबंधित राज्यों, केंद्र शासित प्रदेशों को दो लाख रुपये प्रतिमाह की क्षतिपूर्ति देनी होगी.

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(हेडलाइन के अलावा, इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है, यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)

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