
दीवाली का त्योहार आने वाला है. ऐसे में एक बार फिर से पर्यावरण को लेकर चिंताएं बढ़ने लगी है. हर साल जगह-जगह पर दीवाली के बाद प्रदूषण की समस्या का सामना करना पड़ता है. भारत में गाय के गोबर को धार्मिक रूप से पवित्र माना जाता है. पंजाब के मोहाली में एक गैर सरकारी संगठन (NGO) गौरी शंकर सेवा दल की तरफ से दीवाली से पहले, गोबर से मूर्तियां और मिट्टी के दीपक बनाए जा रहे हैं. इसके निदेशक, रमेश शर्मा का कहना है कि अन्य प्रकार की मूर्तियों के विपरीत, ये विसर्जन के दौरान बेकार नहीं जाएंगे. पानी के साथ, वे खाद के रूप में कार्य कर सकते हैं.
साथ ही रमेश शर्मा का कहना है कि चंडीगढ़ और मोहाली में हमारी गौशालाओं में 1000 गाय हैं. हमने गाय के गोबर का उपयोग करने का फैसला किया और लाठी और फूलों के बर्तन बनाने के लिए इस्तेमाल किया।. इन मूर्तियों को बेचने का हमारा कोई इरादा नहीं है. लोग हमारे पास आते हैं और उन्हें ले जाते हैं. यदि वे भुगतान करना चाहते हैं तो हम उन्हें राशि के साथ गायों को खिलाने के लिए कहते हैं.
We have 1000 cows each in our cowsheds in Chandigarh & Mohali. We decided to utilise the cow dung & used to make sticks & flower pots. We don't intend to sell these idols. People come to us & take them. If they want to pay we ask them to feed cows with the amount: Ramesh Sharma https://t.co/XF0anOG3Z0
— ANI (@ANI) November 1, 2020
गौरतलब है कि हाल के दिनों में गाय के गोबर के कई तरह के उपयोग कर उसके महत्व को समझा जा रहा है. राष्ट्रीय कामधेनु आयोग ने सोमवार को गाय के गोबर से बना एक चिप (Cow Dung Chip) लॉन्च किया है और कहा है कि इससे मोबाइल हैंडसेट्स का रेडिएशन काफी हद तक कम हो जाता है. आयोग के अध्यक्ष वल्लभ भाई कथीरिया ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा कि 'हमने देखा है कि मोबाइल के साथ रखते हैं तो रेडिएशन काफी हद तक कम हो जाता है. बीमारी से बचना है तो आगे आने वाले वक्त में यह भी काम आने वाला है.' इसके साथ ही कामधेनु आयोग ने गाय के गोबर से बने कई दूसरे प्रॉडक्ट भी लॉन्च किए, जिनका लक्ष्य इस दीवाली पर प्रदूषण कम करने का है.
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