हिन्दी पर जारी विवाद के बीच अमित शाह (Amit Shah) ने कहा कि उन्होंने कभी भी हिन्दी को क्षेत्रीय भाषाओं पर थोपने की बात नहीं की है. न्यूज एजेंसी ANI ने अमित शाह के हवाले से कहा, 'मैंने केवल हिन्दी को दूसरी भाषा के तौर पर सीखने का अनुरोध किया था. उन्होंने कहा कि मैं खुद एक गैर-हिन्दी राज्य गुजरात से आता हूं. अगर इस पर किसी को राजनीति करनी है तो वह करता रहे.' बता दें कि हिन्दी दिवस पर BJP अध्यक्ष अमित शाह (Amit Shah) द्वारा दिए गए एक भाषण को लेकर घमासान मचा हुआ है. हिन्दी दिवस के मौके पर गृहमंत्री अमित शाह ने हिंदी के माध्यम से पूरे देश को जोड़ने की अपील की थी. अमित शाह ने कहा था कि विभिन्न भाषाएं और बोलियां हमारे देश की ताकत हैं. लेकिन अब देश को एक भाषा की जरूरत है ताकि यहां पर विदेशी भाषाओं को जगह न मिल पाए. गृहमंत्री अमित शाह ने इस दौरान हिन्दी को राष्ट्रीय भाषा बनाने की अपील की थी.
Union Home Minister Amit Shah: I never asked for imposing Hindi over other regional languages&had only requested for learning Hindi as the 2nd language after one's mother tongue. I myself come from a non-Hindi state of Gujarat. If some people want to do politics, its their choice pic.twitter.com/JXS3VFTKUl
— ANI (@ANI) September 18, 2019
इसके विरोध में बीजेपी की तरफ से भी आवाजें उठनी शुरू हो गई थीं. दक्षिण भारत में बीजेपी के सबसे कद्दावर नेता और कर्नाटक के मुख्यमंत्री बीएस येदियुरप्पा (BS Yediyurappa) ने पार्टी प्रमुख अमित शाह की 'देश भर में हिन्दी भाषा को एक आम भाषा के रूप में इस्तेमाल' करने की अपील को अप्रत्यक्ष रूप से 'ना' कह दिया था.
कर्नाटक के मुख्यमंत्री बीएस येदियुरप्पा ने ट्वीट किया, 'हमारे देश में सभी आधिकारिक भाषाएं समान हैं. हालांकि, जहां तक कर्नाटक की बात है, कन्नड़ यहां की प्रमुख भाषा है. हम कभी भी इसके महत्व से समझौता नहीं करेंगे. हम कन्नड़ भाषा और हमारे राज्य की संस्कृति को बढ़ावा देने के लिए प्रतिबद्ध हैं.'
केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने की हिंदी को राष्ट्रीय भाषा बनाने की अपील
उधर, पुद्दुचेरी की राज्यपाल किरण बेदी ने भी इस पर बयान दिया. किरण बेदी (Kiran Bedi) ने दक्षिण भारतीय लोगों से अपील करते हुए हिन्दी भाषा को सीखकर भारत सरकार से जुड़ने को कहा. भारत की पहली महिला आईपीएस अधिकारी रहीं बेदी ने आगे कहा कि भाषाएं लोगों के बीच एक भावनात्मक रिश्ता बनातीं थीं. उन्होंने यह भी कहा कि मैं यहां हर समय ट्रांसलेटर का इस्तेमाल करती हूं. लेकिन जो गैर हिन्दी भाषी वक्ता हैं वह हमारी भाषा सीखते हैं और अपनी संस्कृति और विरासत से दूरी महसूस नहीं करते.
VIDEO: हिंदी के विरोध में दक्षिणी राज्यों में प्रदर्शन
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