सुप्रीम कोर्ट पहुंचा NEET पेपर लीक मामला, 12 सितंबर को हुई परीक्षा रद्द करने की मांग

याचिका में कहा गया है कि NEET जैसी अहम परीक्षा में धोखाधड़ी, पेपर लीक की समस्या छात्रों के भविष्य और परीक्षा की पवित्रता और सुरक्षा का उल्लंघन है. यह याचिका NEET उम्मीदवारों ने वकील ममता शर्मा के माध्यम से दायर की है.

सुप्रीम कोर्ट पहुंचा NEET पेपर लीक मामला, 12 सितंबर को हुई परीक्षा रद्द करने की मांग

12 सितंबर को हुई NEET-UG परीक्षा को रद्द कराने के लिए सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की गई है.

नई दिल्ली:

इसी महीने 12 सितंबर को हुई NEET-UG परीक्षा को रद्द कराने के लिए सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) में याचिका दाखिल की गई है. याचिका में पेपर लीक होने और परीक्षा में कदाचार का आरोप लगाया गया है. याचिका में कोचिंग सेंटरों और पेपर हल करने वाले गिरोहों के खिलाफ CBI द्वार FIR दर्ज किए जाने की मांग की गई है. 

इस याचिका में कहा गया है कि मामला सुनवाई के लिए लंबित रहने के दौरान परिणामों की घोषणा पर रोक लगाई जाए और फिर नए सिरे से NEET परीक्षा कराई जाए. याचिका में परीक्षा के लिए  सुरक्षा प्रोटोकॉल बढ़ाने के निर्देश भी जारी करने की मांग की गई है.

याचिका में सीबीआई और राजस्थान एवं यूपी के डीजीपी को एक हफ्ते में रिपोर्ट दाखिल करने का निर्देश देने की भी मांग की गई है. ये याचिका NEET उम्मीदवारों ने दाखिल की है. उसमें कहा गया है कि वास्तविक, योग्य और मेधावी उम्मीदवारों के हितों की रक्षा के लिए परीक्षा दोबारा कराई जाय.

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याचिका में कहा गया है कि NEET जैसी अहम परीक्षा में धोखाधड़ी, पेपर लीक की समस्या छात्रों के भविष्य और परीक्षा की पवित्रता और सुरक्षा का उल्लंघन है. यह याचिका NEET उम्मीदवारों ने वकील ममता शर्मा के माध्यम से दायर की है.

याचिका में कहा गया है एक आपराधिक साजिश के तहत नामी कोचिंग सेंटर और पेपर हल करने वाले गैंग द्वारा पेपर लीक किया गया था. परीक्षा के दिन ही सीबीआई ने 4 आरोपियों और अज्ञात के खिलाफ FIR दर्ज की थी. FIR में साफ तौर पर कहा गया है कि प्रॉक्सी उम्मीदवारों का उपयोग करके परीक्षा में हेराफेरी की गई और एक कोचिंग सेंटरों और  गिरोहों द्वारा प्रति उम्मीदवार 50 लाख तक की राशि वसूल की गई थी. 

प्रारंभिक जांच ने इस तथ्य को संदेह से परे स्थापित किया है कि 12.09.2021 को आयोजित  NEET UG 2021 प्रवेश परीक्षा में कपटपूर्ण साधनों और अनुचित प्रथाओं का उपयोग किया गया था.  याचिका में पिछले उदाहरणों का भी हवाला दिया गया है,  जब परीक्षा फिर से आयोजित की गई थी.

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याचिका में बताया गया है कि 2015 में, सुप्रीम कोर्ट ने CBSE को अखिल भारतीय प्री मेडिकल टेस्ट ( AIPMT) के लिए फिर से परीक्षा आयोजित करने का निर्देश दिया था क्योंकि परीक्षा "अनुचित साधनों और कदाचार के उपयोग से दूषित हो गई थी. याचिका में यह भी कहा गया है कि परीक्षा पैटर्न में बदलाव से "छात्रों में तनाव पैदा हुआ" और उन्हें तैयारी के लिए और समय चाहिए.

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याचिकाकर्ता छात्रों ने कहा है कि हमें नए परीक्षा पैटर्न के लिए खुद को तैयार करने के लिए कुछ और समय चाहिए क्योंकि यह परीक्षा देश भर में साल में केवल एक बार ही आयोजित की जाती है.  हालांकि, NTA (नेशनल टेस्टिंग एजेंसी) ने स्पष्ट किया था कि परीक्षा पैटर्न में बदलाव पिछले शैक्षणिक वर्ष के लिए कक्षा 12 के छात्रों के लिए कम पाठ्यक्रम के कारण  किया गया था.