
यहां तापमान -45 डिग्री सेल्सियस तक गिर जाता है
Quick Take
Summary is AI generated, newsroom reviewed.
भारतीय सेना ने पूर्वी लद्दाख में 100 टैंक तैनात किए
चीन की तरफ से होने वाले किसी भी हमले का जवाब देंगे टैंक
भारतीय सेना ने आखिरी बार 1962 में यहां टैक इस्तेमाल किया था
भारत ने 1962 में चीन के साथ हुई लड़ाई में यहां टैंक का इस्तेमाल किया था। उस समय पांच टैंकों को हवाई मार्ग से यहां पहुंचाया गया था। चीन से मिली हार के बाद टैंक यहां से हटा लिए गए थे। अब एक बार यहां फिर टैंक पहुंच गए हैं। यहां से कुछ ही दूरी पर बॉर्डर के उस पार चीनी सेना खड़ी है।
सामरिक और सुरक्षा कारणों से एनडीटीवी पूर्वी लद्दाख में टैंक के आधार शिविर के बारे में जानकारी नहीं दे सकता, लेकिन इतना जरूर है कि यह भारत-चीन बॉर्डर से कुछ ही किमी की दूरी पर है। यहां बॉर्डर के पास ही करीब 100 टैंक तैनात किए गए हैं और अभी कुछ और टैंक आने बाकी हैं।
एक वरिष्ठ अधिकारी ने नाम न बताए जाने की शर्त पर एनडीटीवी को बताया कि ऊंचे-ऊंचे पहाड़ों के बीच मीलों फैली घाटियां टैंकों की आवाजाही को सुनिश्चित करती हैं। ऊंचे पहाड़ों से होकर इन विशाल समतल घाटियों में टैंकों को मुस्तैद करना आसान नहीं है। लेकिन सुरक्षा के लिहाज से ये जरूरी हैं, ताकि किसी हमले के हालात में फौरन और पूरी ताक़त के साथ माकूल जवाब दिया जा सके।
टैंक यूनिट के कमांडेंट कर्नल विजय दयाल ने एनडीटीवी को बताया, समुद्र तल से 15 हजार फीट की ऊंचाई पर टैंकों को मेंटेन करना आसान काम नहीं है। मौसमी हालात विपरीत होते हैं और हवा में ऑक्सीजन भी मैदानी इलाकों के मुकाबले काफी कम होती है, जिससे सांस लेने में भी तकलीफ होती है। तापमान -45 डिग्री सेल्सियस तक गिर जाता है। यह सब टैंक के परफॉर्मेंस पर असर डालते हैं।
उन्होंने बताया कि यहां टैंकों के लिए हमें दूसरे तरह के ईंधन और लुब्रिकेंट का इस्तेमाल करना होता है। साथ ही टैंक को गर्म रखने के लिए रात में दो बार उन्हें स्टार्ट करना होता है, इंजन और सिस्टम की सुरक्षा के लिए ऐसा ज़रूरी है। हालांकि यह बहुत ही मुश्किल काम है, लेकिन हम मुसीबतों से पार पाने के लिए काम करते रहते हैं। यही नहीं तीन टैंक किसी भी संभावित हमले के लिए हमेशा तैयार रहते हैं।
टीपू सुल्तान टैंक को संभालने वाली यूनिट में सेकंड इन कमांड मेजर एस सिंह कहते हैं, तेज हवा ठंड को और बढ़ा देती है। गलती से भी किसी धातु को शरीर का कोई अंग छू जाए तो इससे जबरदस्त सर्दी व चोट लग सकती है। हम काम करते हैं, इसलिए मशीनें काम करती हैं।
बॉर्डर के कई इलाकों में समय-समय पर घुसपैठ करके चीन अपनी आक्रामकता का संकेत देता रहता है। इस महत्वपूर्ण क्षेत्र में सड़कों, हवाई मार्गों आदि पर चीन की तरफ से भारी निवेश हो रहा है और अब भारत को उसकी बराबरी पर आना ही होगा। यहां पर टैंकों की तैनाती भारत के उन हिस्सों पर अपना हक और पकड़ को मजबूत साबित करने के लिए है, जिसे चीन अपना बताने की कोशिश करता है।
NDTV.in पर ताज़ातरीन ख़बरों को ट्रैक करें, व देश के कोने-कोने से और दुनियाभर से न्यूज़ अपडेट पाएं
भारत, टीपू सुल्तान, महाराणा प्रताप, औरंगजेब, भारतीय सेना, टैंक, China Border, India, Eastern Ladakh, लद्दाख, Aurangzeb, Maharana Pratap, China, Tipu Sultan