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This Article is From Aug 28, 2012

NDTV मध्यावधि चुनाव सर्वे 2012 : अब मोदी बनाम राहुल...?

मध्यावधि चुनाव 2012 को लेकर एनडीटीवी-इप्सोस के ओपिनियन पोल के दूसरे भाग में उत्तर प्रदेश, बंगाल, केरल और असम पर है चर्चा। सियासी के साथ सामाजिक मुद्दों पर भी है हमारा पोल।

आज की चर्चा का प्रमुख विषय है - कांग्रेस के भीतर कौन है प्रधानमंत्री का लोकप्रिय उम्मीदवार और बीजेपी के भीतर मोदी पर कौन है भारी... है भी या नहीं है...। दोनों युवा हैं और दोनों मचल रहे हैं। किन राज्यों में मोदी ज़्यादा लोकप्रिय हैं... राहुल कहां-कहां। राहुल का राजनीतिक रिपोर्ट कार्ड एक दम ताज़ा है। दोहराने की ज़रूरत नहीं। मोदी गुजरात के बाहर प्रचारक के रूप में बीजेपी की किस्मत नहीं बदल पाए हैं लेकिन शाहिद सिद्दीकी के सवाल के जवाब में कहा था कि वह देश को गुजरात का नमक खिलाना चाहते हैं।

एनडीटीवी-इप्सॉस ने देश के अलग−अलग राज्यों में एक सर्वे के जरिये राजनीतिक नब्ज़ पकड़ने की कोशिश की और नतीजे कम से कम केंद्र में सत्तारूढ़ गठजोड़ के लिए अच्छे नहीं दिख रहे हैं। यह 18 राज्यों की 125 सीटों का सर्वे है और इसमें 29 हजार से ज़्यादा लोगों की राय ली गई है।

सोमवार को हमने लोकसभा की 543 में से 103 सीटों के अनुमान बताए थे। आंध्र प्रदेश, उड़ीसा, मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ़ में कांग्रेस कमज़ोर दिख रही है। मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ़ में कांग्रेस बीजेपी से पीछे है।

आंध्र प्रदेश में जगनमोहन की वाईएसआर कांग्रेस को 42 में से 21 सीटें मिलने के संकेत हैं। कांग्रेस यहां 33 से घटकर नौ पर आ रही है। टीडीपी जो एनडीए की सहयोगी हो सकती है, काफी कमज़ोर है।

उड़ीसा में बीजेपी का कोई गेम नहीं है। बीजेडी को 21 में से 16 सीटें मिलने के संकेत हैं और कांग्रेस यहां छह से घटकर चार पर आ रही है। नवीन पटनायक 'न कांग्रेस, न बीजेपी' की नीति पर चल रहे हैं।

मध्यप्रदेश और छत्तीसगढ़ पूरी तरह से बीजेपी के राज्य बने हुए हैं। मध्यप्रदेश में 29 लोकसभा की सीटें हैं यहां बीजेपी अपनी संख्या 16 से 25 कर रही है और कांग्रेस 12 से चार पर आ रही है।

छत्तीसगढ़ में 11 सीटें हैं। यहां बीजेपी 10 से कम होकर आठ पर और कांग्रेस एक से बढ़कर तीन पर पहुंच रही है। यही नहीं, इन चार राज्यों में कांग्रेस का कोई भी नेता मुख्यमंत्रियों की लोकप्रियता के सामने टिकता नहीं दिख रहा है।

व्यक्तियों के टकराव के बाद भी गठबंधन की तस्वीर धूमिल नहीं होती है। आज के राज्य वे हैं जो गठबंधन की राजनीति की दिशा तय करेंगे खासकर यूपीए गठबंधन की। लेफ्ट मज़बूत हुआ तभी राष्ट्रीय राजनीति में उसकी भूमिका बनेगी।

यूपी में क्या अखिलेश यादव इतनी सीटें दिला पाएंगे कि उनके पिता मुलायम सिंह यादव दिल्ली में प्रधानमंत्री पद की दावेदारी कर सकें। मायावती कहां दिख रही हैं। ममता बनर्जी मज़बूत हो गईं तो क्या वह यूपीए में रहने पर विचार करेंगी। लेफ्ट कमज़ोर हुआ तो तीसरा मोर्चा कहां लुढ़केगा। असम की कसम खाने वाली बीजेपी और कांग्रेस में फायदा किसे होगा...।

ओपिनियन पोल में उत्तर प्रदेश का हिसाब किताब

यूपी में मुख्यमंत्री अखिलेश यादव का जलवा कायम है। एनडीटीवी के मध्यावधि चुनाव सर्वे 2012 के मुताबिक 40 फीसदी लोगों की पसंद के साथ यूपी में अखिलेश यादव नंबर एक पर हैं। उनके बाद उमा भारती, मायावती, मुलायम सिंह और सलमान खुर्शीद काफ़ी पीछे आते हैं।

लेकिन, इसका मतलब यह नहीं कि अखिलेश की चिंताएं ख़त्म हो गईं। 39 फीसदी लोग मानते हैं कि अखिलेश यादव का अब तक का काम उम्मीद से ख़राब है। 40 फीसदी लोग मानते हैं कि उम्मीद के मुताबिक है जबकि 21 फीसदी ही मानते हैं कि उन्होंने उम्मीद से बेहतर काम किया है। इसके बावजूद अगर आज लोकसभा के मध्यावधि चुनाव हो गए तो यूपी में अखिलेश और मुलायम का दबदबा घटेगा नहीं बल्कि बढ़ेगा ही।

एनडीटीवी मध्यावधि सर्वे 2012 के मुताबिक समाजवादी पार्टी 2009 की 23 लोकसभा सीटों से बढ़कर 33 पर पहुंच जाएगी जबकि कांग्रेस 26 से घटकर 17 पर आ जाएगी बीएसपी 20 से 15 पर पहुंच जाएगी जबकि बीजेपी को थोड़ा फ़ायदा होगा वह 10 से 14 पर पहुंच जाएगी। यही नहीं अनुमान कहता है कि 33 सीटों के साथ समाजवादी पार्टी लोकसभा में तीसरी सबसे बड़ी पार्टी बन जाएगी।

साफ़ है कि जल्द मध्यावधि चुनाव हुए तो वह समाजवादी पार्टी के लिए मुफ़ीद साबित होंगे। वैसे ख़ुद मुलायम सिंह यादव कई बार अपनी पार्टी के लोगों से मध्यावधि चुनावों के लिए तैयार रहने को कह भी चुके हैं।

अब बात करते हैं पश्चिम बंगाल, केरल और असम के बारे में लोगों का क्या कहना है...

सवा साल से पश्चिम बंगाल की कमान थाम रहीं ममता बनर्जी का राज्य में कोई मुक़ाबला नहीं है। एनडीटीवी के मध्यावधि चुनाव सर्वे 2012 के मुताबिक लोकप्रियता में वह बुद्धदेब भट्टाचार्य पर बहुत भारी ठहरती हैं। ममता को 63 फीसदी लोगों ने मुख्यमंत्री के तौर पर पसंद किया है जबकि बुद्धदेब को 37 फीसदी लोग ही पसंद कर रहे हैं। अभी लोकसभा के मध्यावधि चुनाव हो जाएं तो ममता को चिंता करने की ज़रूरत नहीं है।

राज्य की 42 लोकसभा सीटों में से 2009 की 19 सीटों के मुक़ाबले उनकी पार्टी तृणमूल कांग्रेस बढ़कर 27 पर पहुंच जाएगी जबकि सहयोगी कांग्रेस छह से घटकर तीन पर आ जाएगी। लेफ़्ट की सीटों के भी 15 से घटकर 12 होने का अनुमान है।

उधर, लेफ़्ट फ्रंट के दूसरे गढ़ रहे केरल में कांग्रेसी मुख्यमंत्री ऊमन चांडी को अभी और मेहनत करने की ज़रूरत दिख रही है।

आज मध्यावधि चुनाव होने की हालत में केरल में उनकी पार्टी लेफ़्ट से आगे तो रहेगी लेकिन 2009 की 16 सीटों के मुक़ाबले कांग्रेस की सीटें घटकर 12 हो जाने का अनुमान है। लेफ़्ट की सीटें चार से बढ़कर आठ होने का अनुमान है।

उधर, इन दिनों हिंसा से जूझ रहे असम की तरुण गोगोई सरकार के लिए थोड़ी चिंता की बात है। आज लोकसभा के मध्यावधि चुनाव हुए तो असम की 14 सीटों पर कांग्रेस का आंकड़ा सात से घटकर छह रह जाएगा जबकि बीजेपी चार पर बनी रहेगी। एजीपी की सीट एक से बढ़कर दो हो जाएंगी।

कुल मिलाकर अब तक एनडीटीवी का मध्यावधि सर्वे बता रहा है कि आज के हालात में अगर लोकसभा के चुनाव हो गए तो कांग्रेस पर बड़ी बुरी गुज़रेगी।

NDTV के ओपिनियन पोल में यह बात भी सामने आई है कि लोग कांग्रेस में राहुल गांधी को प्रधानमंत्री के पद के लिए बेहतर उम्मीदवार मानते हैं। पोल के परिणाम के अनुसार राहुल को 46%, मनमोहन को 33% और सोनिया को 21% लोग प्रधानमंत्री के रूप में देखना चाहते हैं।

ओपिनियन पोल के मुताबिक गुजरात के मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी बीजेपी में लोगों के पसंदीदा उम्मीदवार हैं। पोल के परिणाम के अनुसार मोदी को 42%, आडवाणी को 23% और सुषमा को 20% लोग प्रधानमंत्री के रूप में देखना चाहते हैं। 

अब आपको बताते हैं कि नरेंद्र मोदी को किस राज्य में कितने फ़ीसदी लोग पसंद करते हैं-- वह सबसे अधिक लोकप्रिय गुजरात में (85 फीसदी) और राजस्थान में (62 फीसदी) हैं और सबसे कम लोकप्रिय ओडिशा (27 फीसदी) और बिहार (31 फीसदी) में हैं।
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