यह ख़बर 27 अगस्त, 2012 को प्रकाशित हुई थी

NDTV मध्यावधि चुनाव सर्वे 2012 : कांग्रेस, यूपीए की हालत खस्ता

खास बातें

  • संसद में टकराव अपने चरम पर है और विश्वास मत से लेकर मध्यावधि चुनाव तक के अंदेशे सियासी हवा में तैर रहे हैं। ऐसे में एनडीटीवी-इप्सॉस ने देश के अलग−अलग राज्यों में एक सर्वे के जरिये राजनीतिक नब्ज़ पकड़ने की कोशिश की...

इन दिनों संसद में टकराव अपने चरम पर है और विश्वास मत से लेकर मध्यावधि चुनाव तक के अंदेशे सियासी हवा में तैर रहे हैं। ऐसे माहौल में एनडीटीवी-इप्सॉस ने देश के अलग−अलग राज्यों में एक सर्वे के जरिये राजनीतिक नब्ज़ पकड़ने की कोशिश की और नतीजे कम से कम केंद्र में सत्तारूढ़ गठजोड़ के लिए अच्छे नहीं दिख रहे।

यह 18 राज्यों की 125 सीटों का सर्वे है और इसमें 29 हजार से ज़्यादा लोगों की राय ली गई है। आने वाले दिनों में सभी राज्यों का जायजा लिया जाएगा। सबसे पहले मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ और ओडिशा का हिसाब किताब...

मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज चौहान अगले साल तीसरी बार चुनाव मैदान में उतरने जा रहे हैं लेकिन इस बार भी अबतक उनके ख़िलाफ़ एंटी इनकंबेंसी की लहर नहीं दिख रही है।

एनडीटीवी-इप्सोस ओपिनियन पोल के मुताबिक अगले मुख्यमंत्री के तौर पर शिवराज चौहान 66 फीसदी लोगों की पहली पसंद हैं। 16 फीसदी के साथ ज्योतिरादित्य सिंधिया दूसरे और नौ फीसदी के साथ दिग्विजय सिंह काफ़ी पीछे हैं। राज्य में शिवराज सिंह चौहान सरकार के प्रदर्शन को 72 फीसदी लोग अच्छा मान रहे हैं।

इसी की बदौलत अगर आज लोकसभा के मध्यावधि चुनाव हो जाएं तो मध्यप्रदेश में बीजेपी का प्रदर्शन 16 सीटों से बढ़कर 25 तक पहुंच सकता है जबकि कांग्रेस 12 से चार सीटों पर सिमट सकती है।

उधर, मध्यप्रदेश के पड़ोसी छत्तीसगढ़ की रमण सिंह सरकार को फ़ायदे के बजाय थोड़ा नुकसान होने का अनुमान है। ओपिनियन पोल के मुताबिक आज लोकसभा के मध्यावधि चुनाव होने की स्थिति में राज्य में बीजेपी की सीटें 10 से घटकर आठ रह जाएंगी जबकि कांग्रेस की एक से बढ़कर तीन हो जाएंगी। फिर भी कांग्रेस यहां बीजेपी से काफ़ी पीछे है।

उधर, उड़ीसा में नवीन पटनायक की तूती बोल रही है। एनडीटीवी-इप्सोस ओपिनियन पोल के मुताबिक उड़ीसा के 90 फीसदी लोग नवीन पटनायक को मुख्यमंत्री के तौर पर पहली पसंद मान रहे हैं। सात फीसदी के साथ निरंजन पटनायक बहुत दूर दिखाई दे रहे हैं। बाकियों की तो पूछिए मत…।

अगर आज लोकसभा के मध्यावधि चुनाव हो जाएं तो राज्य की 21 सीटों में बीजेडी का आंकड़ा 14 से बढ़कर 16 हो जाएगा… जबकि कांग्रेस छह से चार पर पहुंच जाएगी… और लेफ्ट वहीं का वहीं…।

साफ है कि कांग्रेस अभी के हालात मध्यावधि चुनावों का जोखिम मोल नहीं ले सकती। इन तीनों राज्यों में भी उसकी तस्वीर धुंधली नज़र आ रही है।

आंध्र प्रदेश में कांग्रेस के लिए हालात अच्छे नहीं दिख रहे हैं। यहां कांग्रेस से बगावत करने वाले जगनमोहन रेड्डी लोगों की सबसे बड़ी पसंद के तौर पर सामने आए हैं।

आंध्रप्रदेश में जगनमोहन रेड्डी की बगावत और फिर पार्टी से अलग होना कांग्रेस के लिए सबसे बड़ी मुसीबत साबित होने जा रहा है।  एनडीटीवी इप्सोस ओपिनियन पोल के मुताबिक आंध्रप्रदेश में जगनमोहन का जलवा है। मुख्यमंत्री के तौर पर वह 48 फीसदी लोगों की पहली पसंद है जबकि टीडीपी अध्यक्ष चंद्रबाबू नायडू 18 लोगों की पसंद के साथ काफ़ी पीछे हैं।  

तेलंगाना में 19 फीसदी लोग जगनमोहन रेड्डी को अगले मुख्यमंत्री के तौर पर देखना चाहते हैं जबकी बाकी आंध्रप्रदेश में 62 फीसदी लोग उन्हें मुख्यमंत्री के तौर पर देखना चाहते हैं। तेलंगाना में 43 फीसदी लोग टीआरएस अध्यक्ष चंद्रशेखर राव को मुख्यमंत्री के तौर पर देखना चाहते हैं जबकि बाकी आंध्रप्रदेश में सिर्फ़ चार फीसदी…।

तेलंगाना के 86 फीसदी लोग चाहते हैं कि तेलंगाना अलग राज्य बने जबकि बाकी आंध्रप्रदेश में सिर्फ़ 24 लोग अलग तेलंगाना राज्य के पक्ष में हैं।  

जगनमोहन के ख़िलाफ़ मुकदमे सही हैं या सियासी दुश्मनी का नतीजा… तेलंगाना के 74 फीसदी लोग जगनमोहन पर मुकदमों को सही मानते हैं जबकि बाकी आंध्रप्रदेश में 44 फीसदी लोग…। तेलंगाना में 26 फीसदी लोग जगनमोहन के ख़िलाफ़ मुकदमों को सियासी साज़िश मानते हैं जबकि बाकी आंध्रप्रदेश में 56 फीसदी लोग इन्हें सियासी साज़िश मानते हैं।

इस सबके बीच एनडीटीवी-इप्सोस ओपिनियन पोल में हमने पूछा कि अगर अभी लोकसभा चुनाव हो गए तो क्या होगा… नतीजा आपके सामने है… वाईएसआर कांग्रेस न सिर्फ़ अपना खाता खोलेगी बल्कि 21 सीटों के साथ सबसे बड़ी पार्टी बन जाएगी जबकि कांग्रेस 33 से नौ सीटों पर पहुंच सकती है। टीआरएस की भी सीटें दो से बढ़कर 10 होने का अनुमान है।

तो, इस सर्वे से आंधप्रदेश में कांग्रेस के कान खड़े हो जाने चाहिए। घर के ही लोगों को उसने बाहर का रास्ता दिखाया तो अब वे उसे चुनाव में बाहर का रास्ता दिखा सकते हैं।

NDTV के ओपिनियन पोल में हमने यह भी पूछा कि भारत की सबसे अहम समस्या क्या है... पोल में जो सामने आया वह है...
1. भ्रष्टाचार
2. बेरोज़गारी
3. ग़रीबी
4. आतंकवाद/माओवाद
5. महंगाई

इसके बाद हमने पूछा कि भ्रष्टाचार चुनावी मु्द्दा नहीं क्योंकि सारे दल बराबर भ्रष्ट हैं... लोगों का जवाब था... − कांग्रेस अधिक भ्रष्ट − 54%, − बीजेपी अधिक भ्रष्ट − 46%।

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