उत्तर प्रदेश समेत पांच राज्यों के विधानसभा चुनावों में कांग्रेस का प्रदर्शन बेहद निराशाजनक रहा. इस हार से देश की सबसे पुरानी पार्टी कांग्रेस के आगे के रास्ते के लिए तमाम सवाल खड़े हो गए हैं. कांग्रेस न केवल यूपी समेत चार राज्यों में सत्ता में वापसी में नाकाम रही, बल्कि पंजाब में भी उसने बुरी तरह सत्ता गंवा दी. पंजाब उन चुनिंदा राज्यों में हैं, जहां कांग्रेस की अपनी सरकार थी, लेकिन उसके खिलाफ 15 फीसदी ज्यादा वोट पड़ा.
आम आदमी पार्टी ने यहां सबका सूपड़ा साफ कर दिया. आप का वोट प्रतिशत 19 पीसदी बढ़ गया. बीजेपी के वोट प्रतिशत में भी दो फीसदी का बदलाव देखा गया.
गोवा विधानसभा चुनाव भी कांग्रेस के लिए भयावह रहा. वहां उसका वोट प्रतिशत छह फीसदी तक लुढ़क गया.
किसी अन्य पार्टी के वोट बैंक में विधानसभा चुनाव में इतनी ज्यादा गिरावट नहीं देखी गई
गोवा में सबसे बेहतर प्रदर्शन रिवोल्यूशनरी गोवा पार्टी में देखा गया. इस नवगठित पार्टी के वोट में दस फीसदी की वृद्धि देखी गई. उसने आम आदमी पार्टी, टीएमसी और महाराष्ट्रवादी गोमंतक पार्टी को भी पीछे छोड़ दिया.
उत्तर प्रदेश की बात करें तो राजनीति के हिसाब से सबसे महत्वपूर्ण इस राज्यमें कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी का हाईवोल्टेज कंपनी कुछ कमाल नहीं कर पाया. लड़की हूं लड़ सकती हूं का कंपेन भी छाप नहीं छोड़ पाया.
इसके उलट कांग्रेस का वोट प्रतिशत चार फीसदी लुढ़क गया. मायावती की बहुजन समाज पार्टी को सबसे ज्यादा नुकसान हुआ और उनके वोट बैंक में 9 फीसदी की गिरावट आई
समाजवादी पार्टी को अलग रखें तो अन्य विपक्षी दलों (बीएसपी, कांग्रेस व अन्य) का वोट 16 फीसदी गया. इसमें तीन फीसदी वोट बीजेपी और 13 फीसदी वोट समाजवादी पार्टी (Samajwadi Party) के पक्ष में गया.
उत्तराखंड(Uttarakhand) -जहां कांग्रेस ने सत्ता में वापसी की उम्मीदें संजोई थीं, या कांटे की टक्कर थी, वो एकमात्र राज्य रहा जहां कांग्रेस को पिछली बार के मुकाबले ज्यादा वोट मिले
पार्टी यहां वोट प्रतिशत में इजाफे के मामले में सबसे ज्यादा फायदे में रही. उसके वोट प्रतिशत में पांच फीसदी का फायदा रहा. जबकि बीजेपी का वोट दो फीसदी बढ़ा. मगर कांग्रेस बीजेपी को हटाकर सत्ता में नहीं आ सकी. वो अभी भी राज्य में दूसरी सबसे बड़ी पार्टी है.
मणिपुर (Manipur)में भी विधानसभा चुनाव का परिणाम कांग्रेस के लिए कहर ढाने वाला रहा. कांग्रेस के वोट शेयर में यहां 19 फीसदी की बड़ी गिरावट देखी गई. इससे पार्टी यहां 2017 के मुकाबले आधी सीटों पर सिमट गई.
मगर मणिपुर में कांग्रेस के वोट बैंक में आई बड़ी कमी बीजेपी के पक्ष में नहीं गई. बल्कि अन्य विपक्षी दलों के खाते में यह वोट गया. इसमें से 12 फीसदी एनपीपी और 11 फीसदी जेडीयू के पक्ष में गया. जेडीयू मणिपुर में दूसरी सबसे बड़ी पार्टी बन गई है.
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