नई दिल्ली:
मंगलवार की सुबह ग्रामीण विकास मंत्री चौधरी बीरेन्द्र सिंह सांसद आदर्श ग्राम योजना के बारे में विस्तार से जानकारी सार्वजनिक करने कृषि भवन में मीडिया के सामने आए, लेकिन उनका भाषण खत्म होते ही पत्रकरों ने लैंड बिल के सवाल पर उन्हें घेर लिया। जवाब में मंत्री ने साफ इशारा किया कि सरकार जमीन मालिकों की मंजूरी और अधिग्रहण के सामाजिक प्रभाव के आकलन सहित तमाम विवादित मुद्दों पर 'यू टर्न' को तैयार है।
चौधरी बीरेंद्र सिंह ने कहा, "संयुक्त समिति में सहमति जिन बातों पर हुई है, उस पर हमें विचार करना चाहिए क्योंकि संयुक्त समिति मिनी-पार्लियामेंट होती है।"
जब उनसे पूछा गया कि संयुक्त समिति के सामने कई किसान और सामाजिक संगठनों ने 2013 के कानून में बदलाव का विरोध किया है, तो उन्होंने कहा, "मैंने हमेशा कहा है कि कोई भी सुझाव किसान संगठन की तरफ से या किसी दूसरे संगठन की तरफ से आता है तो उसे मानने में हमें कोई परहेज़ नहीं है।"
दरअसल सोमवार को ही यह खबर आई कि संयुक्त समिति ने लैंड बिल के वे छह मुद्दे खारिज कर दिए हैं जिन पर विपक्ष और सामाजिक संगठनों को एतराज है। बाकी तीन मुद्दों पर मंगलवार को चर्चा होनी थी, लेकिन 25 कांग्रेसी सांसदों के निलंबन को लेकर उठे गतिरोध के बाद संयुक्त समिति की बैठक टालनी पड़ी।
उधर भूमि अधिग्रहण पर सरकार के बदले हुए रुख को विपक्ष अपनी जीत बता रहा है। वरिष्ठ कांग्रेस नेता मल्लिकार्जुन खड़गे ने कहा, "सरकार इसलिए यू-टर्न कर रही है क्योंकि कांग्रेस, तृणमूल कांग्रेस, बसपा, सपा और जेडी-यू जैसी विपक्षी पार्टियां लैंड बिल के मसले पर एकजुट हैं। एनसीपी नेता तारिक अनवर ने कहा कि सरकार के यू-टर्न से साफ है कि यूपीए का स्टैंड 2013 में इस मसले पर सही था।
संघ परिवार के संगठन स्वदेशी जागरण मंच ने भी इसका स्वागत किया है। स्वदेशी जागरण मंच के नेता दीपक शर्मा ने एनडीटीवी से कहा, "जो अखबारों में खबर छपी है वह अगर संयुक्त समिति की रिपोर्ट में देखने को मिलती है तो स्वदेशी जागरण मंच इसका स्वागत करेगा।
दरअसल पिछले कई महीनों से राजनीतिक और सामाजिक विरोध झेल रही सरकार अब जमीन अधिग्रहण बिल के मसले पर झुकती नजर आ रही है। अब सरकार विपक्ष के साथ-साथ किसान और सामाजिक संगठनों की उन सारी बड़ी मांगों को मानने को तैयार दिख रही है जिसे कानून में शामिल कराने के लिए वह अध्यादेश लेकर आई थी।
चौधरी बीरेंद्र सिंह ने कहा, "संयुक्त समिति में सहमति जिन बातों पर हुई है, उस पर हमें विचार करना चाहिए क्योंकि संयुक्त समिति मिनी-पार्लियामेंट होती है।"
जब उनसे पूछा गया कि संयुक्त समिति के सामने कई किसान और सामाजिक संगठनों ने 2013 के कानून में बदलाव का विरोध किया है, तो उन्होंने कहा, "मैंने हमेशा कहा है कि कोई भी सुझाव किसान संगठन की तरफ से या किसी दूसरे संगठन की तरफ से आता है तो उसे मानने में हमें कोई परहेज़ नहीं है।"
दरअसल सोमवार को ही यह खबर आई कि संयुक्त समिति ने लैंड बिल के वे छह मुद्दे खारिज कर दिए हैं जिन पर विपक्ष और सामाजिक संगठनों को एतराज है। बाकी तीन मुद्दों पर मंगलवार को चर्चा होनी थी, लेकिन 25 कांग्रेसी सांसदों के निलंबन को लेकर उठे गतिरोध के बाद संयुक्त समिति की बैठक टालनी पड़ी।
उधर भूमि अधिग्रहण पर सरकार के बदले हुए रुख को विपक्ष अपनी जीत बता रहा है। वरिष्ठ कांग्रेस नेता मल्लिकार्जुन खड़गे ने कहा, "सरकार इसलिए यू-टर्न कर रही है क्योंकि कांग्रेस, तृणमूल कांग्रेस, बसपा, सपा और जेडी-यू जैसी विपक्षी पार्टियां लैंड बिल के मसले पर एकजुट हैं। एनसीपी नेता तारिक अनवर ने कहा कि सरकार के यू-टर्न से साफ है कि यूपीए का स्टैंड 2013 में इस मसले पर सही था।
संघ परिवार के संगठन स्वदेशी जागरण मंच ने भी इसका स्वागत किया है। स्वदेशी जागरण मंच के नेता दीपक शर्मा ने एनडीटीवी से कहा, "जो अखबारों में खबर छपी है वह अगर संयुक्त समिति की रिपोर्ट में देखने को मिलती है तो स्वदेशी जागरण मंच इसका स्वागत करेगा।
दरअसल पिछले कई महीनों से राजनीतिक और सामाजिक विरोध झेल रही सरकार अब जमीन अधिग्रहण बिल के मसले पर झुकती नजर आ रही है। अब सरकार विपक्ष के साथ-साथ किसान और सामाजिक संगठनों की उन सारी बड़ी मांगों को मानने को तैयार दिख रही है जिसे कानून में शामिल कराने के लिए वह अध्यादेश लेकर आई थी।
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