एनडीए और यूपीए सरकारों के दौर में काले धन की वसूली की सच्‍चाई पर एक नजर...

एनडीए और यूपीए सरकारों के दौर में काले धन की वसूली की सच्‍चाई पर एक नजर...

खास बातें

  • यूपीए-2 के समय 68 हजार करोड़ अघोषित आय सामने आई
  • मई 2014 में काले धन पर एसआईटी का फिर गठन हुआ
  • पिछले दो वर्षों में 1.1 लाख करोड़ का काला धन सामने आया
नई दिल्ली:

केंद्र सरकार दावा कर रही है कि उसने काले धन के ख़िलाफ़ युद्ध छेड़ दिया है. प्रधानमंत्री घूम-घूम कर घोषणा कर रहे हैं कि उनकी सरकार ने बहुत बड़े पैमाने पर काला धन निकलवाया है.लेकिन अलग-अलग सरकारों के दौर में काले पैसे की वसूली की सच्चाई पर गौर करें तो नोटबंदी के फ़ैसले से पहले और पिछली सरकार के समय भी काले धन की वसूली का काम चलता रहा है. पिछली सरकारों के समय से ये सिलसिला चल रहा है.

यूपीए
वित्त मंत्रालय की ही रिपोर्ट के मुताबिक यूपीए-2 के समय अप्रैल 2009 से दिसंबर 2012 तक 39,500 करोड़ से ज़्यादा की अघोषित आय सामने आई. इस दौरान करीब चार साल में 25,500 करोड़ से ज़्यादा की अघोषित आय पकड़ी गई. क़रीब 3,000 करोड़ रुपये के बराबर की संपत्ति ज़ब्त की गई. यानी कुल क़रीब 68,000 करोड़ की रकम यूपीए-2 के समय सामने आई.

एसआईटी
सरकारी स्तर पर चल रहे इस काम को सुप्रीम कोर्ट ने कुछ और रफ़्तार दी. एक मई 2014 को काले धन पर एसआईटी का फिर से गठन किया. अदालत के आदेश पर सरकार ने इस एसआइटी की अधिसूचना जारी की.

एनडीए
आने वाले दो साल में मोदी सरकार ने काले धन को जुर्माने के साथ सफ़ेद बनाने की वीडीआईएस स्कीम शुरू की जिसके तहत 65,250 करोड़ की रकम सामने आई. इसके अलावा वित्त राज्य मंत्री संतोष गंगवार ने 12 अगस्त को लोकसभा को जानकारी दी कि 2014 से 2016 के बीच 21,354 करोड़ रुपये की अघोषित आय सामने आई. इस दौरान 22,475 करोड़ की रक़म पकड़ी भी गई. साथ ही 1474 करोड़ रुपये ज़ब्त किए गए. यानी 2014 से 2016 के बीच 1.1 लाख करोड़ से ऊपर का काला धन सामने आया.

नोटबंदी के बाद से पहले चार दिनों में 3 लाख करोड़ रुपया बैंकों में जमा हुआ है. 30 दिसंबर तक पुराने नोट बदलने और जमा करने की मियाद है. तब बड़ी तस्वीर सामने आएगी कि कितना पैसा निकला और उसमें कितना काला धन है. उसके पहले इस मामले पर राजनीतिक जुमलेबाज़ी मुहिम को कमज़ोर कर सकती है.


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