ईरान में फंसे 233 भारतीयों को लेकर नौसेना (NAVY)का युद्धपोत आईएनएस शार्दुल गुजरात पहुंचा. नौसेना के युद्धपोत से उतरने के बाद लोगों ने राहत की सांस ली. ईरान में कोरोना की वजह से तीन महीने से परेशान भारतीयों को लेकर यह युद्धपोत 8 जून को ईरान के बंदर अब्बास बंदरगाह से रवाना हुआ. 1650 किलोमीटर की दूरी आईएनएस शार्दुल ने 68 घंटे में पूरी की. आईएएस शार्दुल के कमांडिग ऑफिसर कमांडर अभिषेक पाठक ने कहा, 'हमें गर्व है कि हम आपने लोगों के काम आ सके. कई तरह की चुनौतियों आई लेकिन हम इन्हें सुरक्षित निकाल ले आए है. भारतीय नौसेना ऐसे कामों के प्रतिबद्ध है.'
ईरान से रवाना होने से पहले सबकी जांच हुई. सेनेटाइज करने के बाद युद्धपोत में भी सोशल डिस्टेसिंग का ख्याल रखा गया. यात्रियों की देखरेख के लिये डॉक्टर और कोविड से जुड़ी दवाइयां भी मौजूद थी. इतना ही नहीं जब ये लोग शार्दुल से पोरबंदर पहुंचे, तब भी फिर से उनको समान सहित सेनेटाइज किया गया ताकि संक्रमण का कोई खतरा ना हो.
युद्धपोत में सफर करने वाले लोगों ने कहा, 'हमें बहुत अच्छा खाना दिया गया. कोई दिक्कत नही हुई. दवाइयां भी दी गई.' एक अन्य यात्री ने कहा, 'हमें अपनी नौसेना पर गर्व है कि हमारी जान बचाकर लेकर आई.'
इससे पहले विदेश में फंसे भारतीयों को निकालने के लिये नौसेना ने ऑपरेशन समुद्र सेतु के तहत 3107 भारतीयों को स्वदेश ला चुकी है . नौसेना का युद्धपोत आईएनएस जलाश्व और मगर मालदीव से 2188, श्रीलंका से 686 और ईरान से 233 भारतीयों को लेकर कोच्ची, तूतीकोरन और पोरबंदर आ चुका है.
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