केंद्र सरकार की नीतियों के खिलाफ श्रमिक संगठनों की दो दिवसीय राष्ट्रव्यापी हड़ताल के दूसरे दिन कुछ राज्यों में मंगलवार को बैंकिंग और परिवहन सेवाएं आंशिक रूप से प्रभावित हुईं. इस हड़ताल में इंटक, एटक, एचएमएस, सीटू, एआईयूटीयूसी, टीयूसीसी, सेवा, एआईसीसीटीयू, एलपीएफ और यूटीयूसी जैसी केंद्रीय ट्रेड यूनियनों ने भाग लिया.केंद्रीय ट्रेड यूनियनों के संयुक्त मंच ने दो दिन की हड़ताल का आह्वान किया था. मंच के अनुसार, इस हड़ताल में सार्वजानिक क्षेत्र के कई बैंक कर्मचारियों ने भी भाग लिया.बैंक यूनियनों ने इस दौरान 2021-22 के बजट में प्रस्तावित सार्वजनिक क्षेत्र के दो बैंकों के निजीकरण के सरकार के कदम का विरोध किया. उन्होंने जमा पर ब्याज दर में वृद्धि और सेवा शुल्क में कमी की भी मांग की.खबरों के अनुसार, बंद के कारण केरल, पश्चिम बंगाल और तमिलनाडु सामान्य जनजीवन आंशिक रूप से प्रभावित हुआ.श्रमिक संगठन एटक की महासचिव अमरजीत कौर ने दावा किया कि लगभग सभी क्षेत्रों के कर्मचारी एवं कामगार इस हड़ताल का हिस्सा बने हैं और ग्रामीण इलाकों में भी इसे खासा समर्थन मिला है.
हालांकि तमिलनाडु के चेन्नई में राष्ट्रव्यापी हड़ताल के दूसरे दिन मंगलवार को राज्य द्वारा संचालित परिवहन निगमों की बस सेवाएं फिर से शुरू हो जाने से यात्रियों को राहत मिली.सरकारी निगमों की स्थानीय और लंबी दूरी की बसें फिर से शुरू हो गईं, जबकि निजी संचालकों की सेवा जारी रही. केरल में राष्ट्रव्यापी हड़ताल के दूसरे दिन वाम सरकार के ‘काम नहीं वेतन नहीं' के निर्देश के बावजूद मंगलवार को अधिकतर कर्मचारी दफ्तर नहीं पहुंचे.उच्च न्यायालय की ओर से सोमवार को जारी निर्देश के बाद सरकार ने ‘काम नहीं वेतन नहीं' का निर्देश जारी किया था जिसके बावजूद पांच फीसदी से भी कम सरकारी कर्मियों की उपस्थिति रही।ज्यादातर कर्मचारी काम पर नहीं आए जबकि सड़कों से बसें, ऑटो रिक्शा, टेक्सी एवं निजी गाड़ियां भी नदारद रहीं.राज्य के विभिन्न हिस्सों में दुकानों को खोलने को लेकर मामूली झड़पों की भी खबरें आई हैं.कोलकाता में माकपा ने मंगलवार को दावा किया कि केन्द्रीय व्यापार संघों के संयुक्त मंच द्वारा आहूत दो दिवसीय हड़ताल को पश्चिम बंगाल में समर्थन प्राप्त हुआ है.माकपा की पश्चिम बंगाल इकाई के सचिव मोहम्मद सलीम ने कहा कि केन्द्र की नीतियों से अर्थव्यवस्था प्रभावित हो रही है और इस कारण जरूरी चीजों के दाम बढ़ रहे हैं, जबकि लोगों की कमाई के साधन घट रहे हैं.
इस बीच, हड़ताल की आवाज संसद के दोनों सदनों में पहुंची. राज्यसभा में विपक्षी सदस्यों ने राष्ट्रव्यापी हड़ताल से जुड़े मुद्दे उठाए और सरकार से उनकी मांगों पर गौर करने और कदम उठाने का आग्रह किया. राज्यसभा के सभापति एम वेंकैया नायडू ने शून्यकाल के दौरान कुछ विपक्षी सदस्यों द्वारा श्रम संगठनों की 12 मांगों पर चर्चा करने के लिए नोटिस को स्वीकार नहीं किया. हालांकि, उन्होंने तीन सदस्यों को राष्ट्रव्यापी हड़ताल से संबंधित मामले का संक्षेप में उल्लेख करने की अनुमति दी.
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