
केंद्रीय मंत्रिमंडल कृषि क्षेत्र के संकट से निपटने और उपज की गिरती कीमतों जैसी समस्याओं से निपटने के लिए किसानों को जल्द राहत पैकेज दे सकती है. सूत्रों ने इसकी जानकारी दी. सूत्रों ने बताया कि मोदी सरकार अप्रैल-मई में होने वाले आम चुनाव से पहले यह पैकेज लागू करेगी.एक सूत्र ने कहा, "छोटे एवं सीमांत किसानों की आय में कमी की समस्या के निवारण के उपायों को लेकर कृषि मंत्रालय का एक प्रस्ताव केंद्रीय मंत्रिमंडल की बैठक के एजेंडे में है."इस बीच, सूत्रों ने जानकारी दी है कि मंत्रिमंडल ने सोमवार को होने वाली बैठक को फिलहाल टाल दिया है.
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सूत्रों ने कहा कि कृषि मंत्रालय ने क्षेत्र की समस्याओं को दूर करने के लिए अल्प अवधि एवं दीर्घकालिक दोनों समाधान प्रदान करने के लिए कई विकल्पों की सिफारिश की है. हालांकि, इस संबंध में अंतिम निर्णय मंत्रिमंडल की बैठक में होना है क्योंकि इसमें भारी भरकम राशि शामिल है.सूत्रों ने कहा कि मंत्रालय द्वारा प्रस्तावित विकल्पों में समय पर फसल ऋण चुकाने वाले किसानों का ब्याज माफ करने का प्रस्ताव भी शामिल है. इससे सरकारी खजाने पर अतिरिक्त 15,000 करोड़ रुपये का बोझ पड़ेगा. उन्होंने कहा कि खाद्य फसलों के लिए बीमा पॉलिसी लेने वालों किसानों के लिए पूरी तरह से प्रीमियम माफ करने का भी प्रस्ताव है. सरकार तेलंगाना और ओडिशा सरकारों द्वारा अपनाई गई योजनाओं का मूल्यांकन कर रही है,
जिसके तहत एक निर्धारित रकम सीधे किसानों के खातों में डाली जाती है. कृषि मंत्री राधा मोहन सिंह ने हाल ही में संकेत दिया था कि सरकार 2019-20 के बजट से पहले किसानों के लिए राहत पैकेज की घोषणा करेगी.2019-20 के लिए अंतरिम बजट एक फरवरी को पेश होना है। विशेषज्ञों का कहना है कि सरकार के पास किसी भी नई योजाना के क्रियान्वयन के लिए कम समय है. इसलिए उपाय ऐसा होना चाहिए जिसकी चुनाव के दौरान तेजी से राजनीतिक लाभ उठाया जा सके. कहा जा रहा है कि हाल में तीन राज्यों- मध्य प्रदेश, राजस्थान और छत्तीसगढ़ में हुए विधानसभा चुनावों में हार के बाद भाजपा किसानों से जुड़े मुद्दों को लेकर गंभीर है.
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