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This Article is From Jun 23, 2014

परमाणु करार पर आईएईए की निगरानी सुगम बनाने वाले करार को नरेंद्र मोदी सरकार की मंजूरी

परमाणु करार पर आईएईए की निगरानी सुगम बनाने वाले करार को नरेंद्र मोदी सरकार की मंजूरी
रावतभाटा परमाणु परियोजना की फाइल फोटो
नई दिल्ली:

भारत के असैन्य परमाणु कार्यक्रम पर निगरानी के लिए अंतरराष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा एजेंसी (आईएईए) को व्यापक सहूलियत देने के लिहाज से पिछली सरकार द्वारा भारत-अमेरिका असैनिक परमाणु समझौते के तहत किए गए अतिरिक्त करार (एडिशनल प्रोटोकॉल) को नई सरकार ने मंजूरी दे दी है।

सूत्रों ने बताया कि अतिरिक्त करार को पिछले हफ्ते मंजूरी दी गई थी और इसकी जानकारी अंतरराष्ट्रीय स्तर पर परमाणु गतिविधियों पर निगरानी रखने वाली वियना स्थित आईएईए को दे दी गई है।

भारत के असैन्य परमाणु कार्यक्रम को आईएईए के सुरक्षा मानकों के तहत रखने के लिए एजेंसी के साथ किए गए करार के बाद आईएईए ने मार्च, 2009 में अतिरिक्त करार को मंजूरी दी थी।

इस करार ने 45 सदस्यीय परमाणु आपूर्तिकर्ता समूह (एनएसजी) को असैन्य परमाणु क्षेत्र में अन्य देशों के साथ व्यावसायिक संबंध रखने के लिए भारत केंद्रित छूट का रास्ता साफ किया।

यह छूट आवश्यक थी, क्योंकि भारत ने परमाणु क्षमता संपन्न देश होने के बाद भी एनपीटी (परमाणु अप्रसार संधि) पर दस्तखत नहीं किए हैं।

अतिरिक्त करार को मंजूरी देकर नरेंद्र मोदी सरकार ने दुनिया को, खासतौर पर अमेरिका को यह संदेश दिया है कि वह भारत-अमेरिका परमाणु करार को सतत लागू करने के लिए गंभीर है। इसे इसलिए भी महत्वपूर्ण माना जा रहा है क्योंकि मोदी सितंबर में वाशिंगटन यात्रा पर जा सकते हैं और राष्ट्रपति बराक ओबामा से मुलाकात कर सकते हैं।

सूत्रों ने संकेत दिया कि भारत अंतरराष्ट्रीय समुदाय को यह मजबूत संदेश देना चाहता है कि वह गंभीर और जिम्मेदार परमाणु क्षमता संपन्न देश है।

राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने इस महीने की शुरुआत में संसद में अपने अभिभाषण में कहा था, ''अंतरराष्ट्रीय असैन्य परमाणु समझौतों को लागू किया जाएगा और असैन्य उद्देश्यों से परमाणु ऊर्जा परियोजनाएं विकसित की जाएंगी।'' सितंबर, 2008 में विदेश मंत्री के नाते मुखर्जी ने सरकार की ओर से एनएसजी को वायदा किया था कि परमाणु ऊर्जा का शांतिपूर्ण इस्तेमाल किया जाएगा और भारत को मिलने वाली छूट के लिए यह महत्वपूर्ण था।

भारत ने जुलाई, 2005 में भारत-अमेरिका के क्रियान्वयन के संबंध में संयुक्त बयान के तहत जुलाई, 2008 में आईएईए को भेजे अपने संदेश में कहा था कि वह आईएईए के साथ अपनी असैन्य परमाणु परियोजनाओं के संबंध में घोषणा पत्र जारी करेगा और अपनी असैन्य परमाणु सुविधाओं को आईएईए के सुरक्षा मानकों के तहत लाएगा।

भारत और आईएईए ने 15 मार्च, 2009 को अतिरिक्त करार किया था।

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