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This Article is From Feb 12, 2019

...जब कोर्ट से जाने की इजाजत मांगने पर SC ने नागेश्वर राव को फटकारा, 'आप चाहते हैं आपको कल तक यहीं बिठाए रखें?'

कोर्ट के सख्त रुख के बाद नागेश्वर राव Nageswara Rao) और भासुरन चुपचाप अपनी सीट पर आकर बैठ गए हैं. हालांकि बाद में सुप्रीम कोर्ट के स्थगित होने बाद नागेश्वर राव सजा पूरी करके कोर्ट से बाहर निकल गए.

सुप्रीम कोर्ट ने नागेश्वर राव को कोर्ट चलने तक एक कोने में बैठने की दी थी सजा.

नई दिल्ली:

बिहार शेल्टर होम (Bihar Shelter Home Rape Case) मामले में सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) के अवमानना का सामना कर रहे सीबीआई के पूर्व अंतरिम निदेशक नागेश्वर राव (Nageswara Rao) को कोर्ट ने अनोखी सजा सुनाई और उन्हें दिन भर के लिए कोर्ट के एक कोने में बैठने की सजा दी. इसके बाद अटॉर्नी जनरल ने कोर्ट से जाकर आग्रह किया कि CBI के पूर्व अंतरिम निदेशक नागेश्वर राव ने काफी सज़ा भुगत ली है, अब उन्हें जाने दिया जाए. कोर्ट ने कहा, 'यह आपका दंड है...आपसे कहा गया है, कोर्ट उठने तक बैठे रहें...क्या आप चाहते हैं कि हम कल कोर्ट उठने तक आपकी सज़ा बढ़ा दें...?" कोर्ट के सख्त रुख के बाद नागेश्वर राव और भासुरन चुपचाप अपनी सीट पर आकर बैठ गए. हालांकि बाद में सुप्रीम कोर्ट के स्थगित होने बाद नागेश्वर राव सजा पूरी करके कोर्ट से बाहर निकल गए.

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बता दें कि इससे पहले चीफ जस्टिस रंजन गोगोई ने कहा था कि नागेश्वर राव को पता होना चाहिए था कि बिहार शेल्टर मामले के उस वक्त के जांच अधिकारी एके शर्मा को हटाने से क्या असर होगा. राव को फटकार लगाते हुए चीफ जस्टिस रंजन गोगोई ने कहा कि हम नागेश्वर राव को अवमानना का दोषी करार देंगे. एक तरफ वो कहते हैं कि सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा दाखिल किया जाए, और दूसरी तफर वो शर्मा का रिलीविंग ऑर्डर साइन कर देते हैं. चीफ जस्टिस ने कड़े लहजे में कहा कि अगर एक दिन बाद रिलीविंग ऑर्डर साइन होता तो क्या आसमान टूट पड़ता?

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सुप्रीम कोर्ट ने नागेश्वर राव को अवमानना का दोषी माना है. सुप्रीम कोर्ट ने नागेश्वर राव पर 1 लाख का जुर्माना लगाया. सुप्रीम कोर्ट ने सजा में कहा कि जब तक आज कोर्ट चलती रहेगी, कोर्ट में ही एक कोने में बैठे रहेंगे. दरअसल, सुप्रीम कोर्ट की मनाही के बाद नागेश्वर राव ने अफसर का तबादला किया था. 

बिहार शेल्टर होम मामले में सुनवाई के दौरान सीजेआई ने कहा कि अंतरिम निदेशक को पता था कि एके शर्मा को लेकर सुप्रीम कोर्ट का आदेश है, फिर भी ऐसा किया. CJI ने AG से पूछा कि ए के शर्मा को रिलीव करने का नोट राव के पास पहुंचा और उन्होंने रिलीविंग लेटर पर साइन कर दिया. उन्होंने ये भी संतुष्ट करना जरूरी नहीं समझा कि इस संबंध में सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा दाखिल किया है या नहीं. 

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आगे सीजेआई ने कहा कि नागेश्वर राव को ये पता होना चाहिए था कि इसका असर क्या होगा. उन्होंने यह भी पूछा कि वो हलफनामा कहां है जो सुप्रीम कोर्ट में दाखिल होने था? इस पर AG ने कहा कि फैसला समझने में गलती हुई है. इस मामले में सहानुभूति के साथ देखा जाए

सीजेआई ने कहा कि हम राव को अवमानना का दोषी देंगे. एक तरफ वो कहते हैं कि सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा दाखिल किया जाए. दूसरी तरफ वो शर्मा का रिलीविंग आर्डर साइन कर देते हैं. अगर एक दिन बाद रिलीविंग आर्डर साइन होता को क्या आसमान टूट पड़ता? इस पर एजी ने कहा कि नागेश्वर राव का 30 साल का बेदाग करियर है. 

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पूर्व अंतरिम सीबीआई निदेशक एम नागेश्वर राव सुप्रीम कोर्ट में पेश हुए. AG ने कहा कि मैं सीबीआई डायरेक्टर व सीबीआई के लिए पेश हुआ हूं. अतंरिम निदेशक यहां पेश हुए हैं और उन्होंने अलग से हलफनामा दाखिल किया है. AG ने कहा कि राव ने बिना शर्त माफी मांगी है. 

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इससे पहले सोमवार को पूर्व अंतरिम सीबीआई प्रमुख एम नागेश्वर राव ने सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा दाखिल किया. पूर्व अंतरिम सीबीआई प्रमुख एम नागेश्वर राव ने सुप्रीम कोर्ट से मांगी माफी. एम नागेश्वर राव ने कोर्ट से बिना शर्त मांगी माफी. एम नागेश्वर राव ने अपने हलफनामे में कहा कि वह अपनी गलती स्वीकार करते हैं. अदालत के आदेश के बिना मुख्य जांच अधिकारी को स्थानांतरित नहीं करना चाहिए था. राव ने सुप्रीम कोर्ट से कहा कि कृपया मेरी माफी स्वीकार करें.

VIDEO: नागेश्वर राव को कोर्ट चलने तक एक कोने में बैठने की सजा

पिछली सुनवाई में कोर्ट ने राव की खिंचाई की थी 
पिछली सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट ने चेतावनी देते हुए कहा था कि भगवान ही आपकी मदद कर सकते हैं. दरअसल मुजफ्फरपुर शेल्टर होम मामले से जुड़े सीबीआई के अधिकारी के ट्रासफर करने से नाराज सुप्रीम कोर्ट ने पूर्व अंतरिम सीबीआई प्रमुख एम नागेश्वर राव को पेश होने का आदेश दिया था. कोर्ट ने कहा था कि ये अवमानना का फिट केस है. 
 

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