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This Article is From Jan 07, 2020

मुजफ्फरपुर शेल्टर होम यौन उत्पीड़न केस से संबंधित 17 मामलों की जांच पूरी

सीबीआई ने बिहार सरकार से अनुरोध किया कि उन एनजीओ के पदाधिकारियों पर विभागीय कार्रवाई की जाए जिनका नाम रिपोर्ट में है

मुजफ्फरपुर शेल्टर होम यौन उत्पीड़न केस से संबंधित 17 मामलों की जांच पूरी
बिहार के मुजफ्फरपुर शेल्टर होम सेक्स कांड का मुख्य आरोपी बृजेश ठाकुर (फाइल फोटो).
नई दिल्ली:

बिहार के मुजफ्फरपुर शेल्टर होम मामले में सोमवार को सीबीआई ने सुप्रीम में हलफनामा दाखिल किया.  सीबीआई ने कहा कि उसने मुज़फ़्फ़रपुर शेल्टर होम से संबंधित सभी 17 मामलों में अपनी जांच पूरी कर ली है. सात अन्य आश्रय घरों के लोगों के खिलाफ चार्जशीट नवंबर-दिसंबर 2019 में दायर की गई थी. हलफनामे में कहा गया है कि CBI ने बिहार सरकार से अनुरोध किया है कि उन एनजीओ के पदाधिकारियों पर  विभागीय कार्रवाई की जाए जिनका नाम सीबीआई ने अपनी रिपोर्ट में लिया है.

सीबीआई ने कहा है कि मुख्य मामले में दिल्ली का साकेत कोर्ट 14 जनवरी को फैसला सुना सकता है. मुख्य मामले में पूर्व  विधायक बृजेश ठाकुर समेत अन्य आरोपी हैं. बृजेश ठाकुर द्वारा चलाए जा रहे आश्रय गृह बालिका गृह में 40 से अधिक नाबालिग लड़कियों का कथित तौर पर यौन उत्पीड़न किया गया था.

सीबीआई ने चार आश्रय घरों के खिलाफ अपनी प्रारंभिक जांच में किसी भी अपराध का कोई सबूत नहीं पाया है और इस तरह किसी के खिलाफ कोई प्राथमिकी दर्ज नहीं की गई है.

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सीबीआई ने मुजफ्फरपुर आश्रय गृह यौन उत्पीड़न के 17 मामलों में जांच पूरी कर ली है और जिलाधिकारियों सहित संलिप्त सरकारी अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई के लिए रिपोर्ट दायर कर दी है. अपनी स्थिति रिपोर्ट में जांच एजेंसी ने कहा है कि चार प्रारंभिक जांच में किसी आपराधिक कृत्य को साबित करने वाला साक्ष्य नहीं मिला और इसलिए कोई प्राथमिकी दर्ज नहीं की गई है.

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सीबीआई ने कहा है कि सभी मामलों में संलिप्त सरकारी सेवकों के खिलाफ कार्रवाई के लिए बिहार के मुख्य सचिव को सीबीआई की रिपोर्ट भेज दी गई है. मुजफ्फरपुर आश्रय गृह समेत सभी 17 आश्रय गृह मामलों की जांच पूरी हो गई है और सक्षम अदालत में अंतिम रिपोर्ट दायर कर दी गई है. सीबीआई रिपोर्ट के रूप में नोट को मुख्य सचिव के पास उपयुक्त कार्रवाई के लिए भेजा गया है.

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सीबीआई ने यह भी कहा कि बिहार सरकार से आग्रह किया गया है कि विभागीय कार्रवाई करे और सीबीआई के प्रारूप में जांच परिणाम मुहैया कर संबंधित एनजीओ का पंजीकरण रद्द करने और उन्हें काली सूची में डालने के लिए कहा गया है.

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बिहार के मुजफ्फरपुर में एक एनजीओ की ओर से संचालित आश्रय गृह में कई लड़कियों का यौन उत्पीड़न किया गया था और टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ सोशल साइंसेज (टीआईएसएस) की रिपोर्ट के बाद यह मामला सामने आया था.

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