पूर्व पीएम डॉ. मनमोहन सिंह (Manmohan Singh) के मीडिया सलाहकार रहे संजय बारू (Sanjay Baru) की किताब पर बनी फ़िल्म 'द ऐक्सिडेंटल प्राइम मिनिस्टिर' (The Accidental Prime Minister) पर सियासत गरमा गई है. इस फिल्म के ट्रेलर से अभी तक जो तस्वीर साफ हुई है, उससे यह कहा जा सकता है कि इस फिल्म के निशाने पर सोनिया गांधी अथवा गांधी परिवार है. यह फिल्म जिस किताब पर आधारित है, उसमें मनमोहन सिंह के दस साल के कार्यकाल को दिखाने की कोशिश की गई है. इस फिल्म की प्लॉटिंग जिस किताब पर है, उसमें मनमोहन सिंह को ऐसे दर्शाया गया है, जैसे उनके हर फैसले में सोनिया गांधी का हस्तक्षेप होता था. इस फिल्म में मनमोहन सिंह के किरदार को किस रूप में दिखाया गया है, वह तो पूरी फिल्म रिलीज होने के बाद ही पता चलेगा, मगर उससे पहले हमें मनमोहन सिंह के कुछ ऐतिहासिक कार्यों पर नजर दौड़ाने चाहिए.
'द प्रेसीडेंटल प्राइम मिनिस्टर' का ट्रेलर जारी होने के बाद से अब मनमोहन सिंह फिर से चर्चा के केंद्र में आ गए हैं. मनमोहन सिंह का कार्यकाल पर संजय बारू की किताब के कई अंश विवादास्पद हैं, जिस पर अब भी मतभेद है. दरअसल, प्रधानमंत्री काल के दौरान डॉ. मनमोहन सिंह (Manmohan Singh) पर कई आरोप लगे, मगर उन्होंने में कई ऐसे कदम उठाए /योजनाएं लागू कीं, जो बदलाव का वाहक बनीं. तो चलिए जानते हैं पीएम रहते या फिर वित्त मंत्री रहते मनमोहन सिंह द्वारा किए गये 5 ऐतिहासिक कार्यों को...
कौन हैं संजय बारू, जिनकी 'द एक्सीडेंटल प्राइम मिनिस्टर' किताब पर बनी फिल्म से फिर गरमाई सियासत
1. मनरेगा के जनक मनमोहन
मनरेगा के लिए कांग्रेस की आज भी प्रशंसा होती है. प्रधानमंत्री पद पर रहते हुए मनमोहन सिंह मनरेगा यानी महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम (MNREGA) लेकर आए. ऐसा माना जाता है कि 2009 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस के लिए यह योजना संजीवनी साबित हुई. बेरोजगारी से जूझते देश में यह योजना काफी लाभदायक साबित हुई. योजना के तहत साल में 100 दिन का रोजगार की गारंटी देने वाला यह योजना काफी हद तक सफल हुई. खास बात यह भी है कि इसके तहत पुरुषों और महिलाओं के बीच किसी भी तरह के भेदभाव की अनुमति नहीं है.
2. आर्थिक उदारीकरण की नीति के जनक
डॉ. मनमोहन सिंह का जिक्र आते ही लोगों को 90 का वो दौर याद आता है, है जब मनमोहन सिंह और नरसिम्हा राव की जोड़ी ने नई उदारीकरण की नीति लाकर देश की अर्थव्यवस्था को एक नया आयाम दिया था. देश आर्थिक मोर्चे पर पिछड़ा था. उस वक्त वित्त मंत्री रहे मनमोहन सिंह ही न्यू इकॉनोमिक पॉलिसी यानी आर्थिक उदारीकरण की रूपरेखा लेकर आए. भारतीय अर्थव्यवस्था को विश्व बाजार से जोड़ने के बाद उन्होंने आयात और निर्यात के नियम भी सरल किए. इससे लाइसेंस और परमिट गुजरे वक्त की बात होकर रह गई. घाटे में चलने वाले पीएसयू के लिए अलग से नीतियां बनाईं और अर्थव्यवस्था पटरी पर लौटी.
3. शिक्षा का अधिकार कानून
डॉ. मनमोहन सिंह के कार्यकाल में ही राइट टू एजुकेशन यानी शिक्षा का अधिकार 2009 अस्तित्व में आया. RTE के तहत 6 से 14 साल के बच्चे को नि: शुल्क शिक्षा का अधिकार सुनिश्चित किया गया. कहा गया कि इस उम्र के बच्चों को मुफ्त और अनिवार्य शिक्षा दी ही जाएगी. यह योजना भी बदलाव का वाहक बनी. तमाम विशेषज्ञों ने इसकी तारीफ की.
4. सामरिक मोर्चे पर भी कामयाबी
यूपीए सरकार में अमेरिका के साथ न्यूक्लियर डील भी मनमोहन सिंह के बड़े कामों में शुमार है. इस डील की बदौलत भारत न्यूक्लियर हथियारों के मामले में एक पावरफुल नेशन बनकर उभरा. डील के तहत यह सहमति बनी थी कि भारत अपनी इकॉनमी की बेहतरी के लिए सिविलियन न्यूक्लियर एनर्जी पर काम करता रहेगा. आज भी पड़ोसी देशों से खतरे को देखते हुए यह डील अहम है.
5. आधार लाने वाले मनमोहन सिंह
भारत में आधार कार्ड योजना लाने का श्रेय पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह को जाता है. पूर्व पीएम मनमोहन सिंह (Dr. Manmohan Singh) ने साल 2010 में इस योजना को लेकर आए. देश के हर व्यक्ति को पहचान देने और प्राथमिक तौर पर प्रभावशाली जनहित सेवाएं उस तक पहुंचाने के लिए इसे शुरू किया था. उस दौरान संयुक्त राष्ट्र संघ (UN) ने भी इसकी तारीफ की थी. यूएन की ओर से कहा गया था कि आधार स्कीम भारत की बेहतरीन स्कीम है.
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बता दें कि ये फिल्म मनमोहन सिंह को लेकर लिखी गई संजय बारू की किताब 'द एक्सिडेंटल प्राइम मिनिस्टर' पर आधारित है. 'द एक्सिडेंटल प्राइम मिनिस्टर को विजय रत्नाकर गुट्टे ने डायरेक्ट किया है. 'द एक्सिडेंटल प्राइम मिनिस्टर' 11 जनवरी को रिलीज होने जा रही है.
द एक्सीडेंटल प्राइम मिनिस्टर का ट्रेलर:
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