कर्नाटक के गदक में एक मुस्लिम युवक ने लिंगायत धर्म न सिर्फ अपनाया बल्कि उसकी लिंगायटिज्म में पकड़ की वजह से उसे एक लिंगायत मठ का प्रमुख भी बनाया गया है. उसके माता-पिता ने दो एकड़ जमीन भी दी है ताकि बढ़िया मठ तैयार हो सके. उत्तर कर्नाटक के गदक जिले के रोन ताल्लुक में आज लिंगायत संत दीवान शरीफ मुल्ला की चर्चा है. भले ही उन्होंने इस्लाम छोड़ लिंगायत धर्म अपनाया हो लेकिन लिंगायत समाज में उन्हें उतना ही सम्मान मिल रहा है जितना दूसरे संतों को मिलता रहा है.
लिंगायत मुसलमान से लिंगायत बने संत दीवान शरीफ मुल्ला ने कहा कि ''मुझे सभी ने समर्थन दिया. किसी ने विरोध नहीं किया. मैं बसवण्णा की शिक्षा को आगे बढ़ाऊंगा.'' दीवान शरीफ मुल्ला के माता-पिता रहीम शरीफ और फातिमा शरीफ ने दो एकड़ जमीन दी ताकि बढ़िया मठ बनाया जा सके. गांव में मठ निर्माण के लिए तेजी से काम चल रहा है.
दीवान शरीफ को दीक्षा देने वाले उनके गुरु मुरुगराजेंद्रा कोंरनेश्वर स्वामी को भी अपने शिष्य पर गर्व है. मुरुगराजेंद्रा कोंरनेश्वर स्वामी ने कहा कि ''हम दीक्षा धर्म के आधार पर नहीं देते बल्कि व्यक्ति विशेष को देते हैं. जो भी बसवन्ना के सिद्धांतों पर चलना चाहता है हम उसे दीक्षा देते हैं, चाहे वह किसी भी धर्म या सम्प्रदाय का हो. दीवान शरीफ के माता-पिता ने सहयोग किया और इसी वजह से यहां आश्रम बन पाया.''
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मुल्ला दीवान शरीफ की इस महीने 26 तारीख को मठ प्रमुख के तौर पर ताजपोशी होगी. तभी उन्हें नया नाम भी मिलेगा. गांव वालों के मुताबिक दीवान शरीफ हमेशा लोगों को बताते रहते हैं कि ईश्वर एक है. हम उन्हें अलग-अलग रूप में जानते हैं. सभी को आपस मे मिलजुलकर रहना चाहिए.
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