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This Article is From Nov 20, 2016

मुस्लिम महिला आंदोलन ने पर्सनल लॉ बोर्ड के रुख के खिलाफ मुहिम शुरू की

मुस्लिम महिला आंदोलन ने पर्सनल लॉ बोर्ड के रुख के खिलाफ मुहिम शुरू की
प्रतीकात्मक फोटो.
नई दिल्ली: समान नागरिक संहिता और तीन तलाक के मुद्दे पर सरकार के रुख के विरोध में ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड की ओर से चलाए जा रहे हस्ताक्षर अभियान के खिलाफ अब भारतीय मुस्लिम महिला आंदोलन (बीएमएमए) ने मुहिम शुरू की है जिसका मकसद मुस्लिम समुदाय खासकर मुस्लिम महिलाओं को तीन तलाक के मुद्दे पर बोर्ड की ‘गुमराह करने वाली कोशिश’ के खिलाफ जागरूक करना है.

मुस्लिम महिलाओं के सशक्तिकरण की पैरोकार संस्था बीएमएमए की सह-संस्थापक जकिया सोमन ने ‘भाषा’ से कहा, ‘‘पर्सनल लॉ बोर्ड हस्ताक्षर अभियान के माध्यम से मुस्लिम समुदाय को गुमराह करने की कोशिश कर रहा है. हमने उसकी इस कोशिश को नाकाम करने के लिए प्रदेश स्तर और जिला स्तर की अपनी इकाइयों के माध्यम से मुहिम शुरू की है. हम मुस्लिम समुदाय खासकर मुस्लिम महिलाओं को जागरूक कर रहे हैं कि वे बोर्ड के बहकावे में नहीं आएं.’’

गौरतलब है कि पिछले महीने विधि आयोग ने समान नागरिक संहिता और तीन तलाक सहित कुछ बिंदुओं पर लोगों की राय मांगते हुए एक प्रश्नावली जारी की थी. दूसरी तरफ, केंद्र सरकार ने उच्चतम न्यायालय में दायर हलफनामे में तीन तलाक की प्रथा का विरोध किया और कहा कि दुनिया के कई मुस्लिम देशों में इस व्यवस्था को खत्म किया जा चुका है.

पर्सनल लॉ बोर्ड और कुछ दूसरे प्रमुख मुस्लिम संगठनों ने समान नागरिक संहिता और तीन तलाक पर सरकार के रुख का विरोध करते हुए आरोप लगाया कि सरकार मुस्लिम समुदाय के अंदरूनी मामलों में दखल दे रही है और पूरे देश को एक रंग रंगने की कोशिश कर रही है, हालांकि सरकार ने कहा है कि समान नागरिक संहिता थोपी नहीं जाएगी और तीन तलाक पर उसका रुख महिला अधिकार से जुड़ा हुआ है.

जकिया सोमान ने बीएमएमए की नई मुहिम के बारे में ब्यौरा देते हुए कहा, ‘‘देश के 15 राज्यों और कई जिलों में हमारी सक्रिय इकाइयां हैं. हमारे सदस्य लोगों के पास जाकर बता रहे हैं कि बोर्ड मुस्लिम समुदाय को भरमा रहा है. हम मुस्लिम महिलाओं से कह रहे हैं कि वे बोर्ड के हस्ताक्षर अभियान का हिस्सा नहीं बनें. मुझे खुशी है कि हमारी मुहिम कामयाब हो रही है.’’ उन्होंने पर्सनल लॉ बोर्ड के हस्ताक्षर अभियान को नाकाम करार देते हुए दावा किया कि बोर्ड को मुस्लिम समुदाय से वह समर्थन नहीं मिल रहा है जो 1980 के दशक में शाह बानो प्रकरण के बाद देखने को मिला था.

उन्होंने कहा, ‘‘यह नया दौर है. अब लोग इनके बहकावे में नहीं आने वाले हैं. हमारी जानकारी के हिसाब से इनके हस्ताक्षर अभियान को मुस्लिम महिलाओं ने पूरी तरह नकार दिया है. ये लोग सिर्फ बयानबाजी करके अपने अभियान को कामयाब बताने की कोशिश कर रहे हैं.’’ जकिया ने कहा, ‘‘समान नागरिक संहिता और तीन तलाक को अलग-अलग करके देखना होगा. बोर्ड के लोग सोची-समझी रणनीति के तहत इन दोनों मुद्दों को साथ जोड़ रहे हैं.’’ उनके अनुसार बीएमएमए जल्द ही तीन तलाक के मुद्दे पर विधि आयोग के पास अपनी सिफारिश भेजेगा.

(इस खबर को एनडीटीवी टीम ने संपादित नहीं किया है. यह सिंडीकेट फीड से सीधे प्रकाशित की गई है।)

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