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This Article is From Jul 29, 2015

सौ साल बाद भी प्रासंगिक हैं प्रेमचंद, रंगमंच पर भी असर बरकरार

सौ साल बाद भी प्रासंगिक हैं प्रेमचंद, रंगमंच पर भी असर बरकरार
नई दि्ल्ली: मुंशी प्रेमचंद का निधन हुए आठ दशक बीतने को हैं, लेकिन उनकी रचनाएं आज भी उतनी ही प्रासंगिक हैं, जितनी वे सौ साल पहले हुआ करती थीं। महान कथाकार प्रेमचंद की 135 वीं जयंती 31 जुलाई को है। इस मौके पर हमने मुंबई में प्रेमचंद की कहानियों को रंगमंच पर लेकर आए नाट्य निर्देशकों से खास बातचीत की।

सौ सालों में देश-दुनिया बहुत बदल गईं, लेकिन प्रेमचंद की कालजयी कहानियों के कथानक ही नहीं, चरित्र भी आज तक जगह-जगह देखने को मिल जाते हैं। प्रेमचंद कितने सामयिक हैं, इसका अंदाजा इस बात से सहज ही लगाया जा सकता है कि भारतीय मनोरंजन उद्योग के केंद्र मुंबई में फिल्म के विषय, निर्माण की तकनीक के बेहद विकसित हो जाने के बावजूद रंगमंच पर प्रेमचंद आज भी अपने खासे असर के साथ मौजूद हैं। मुंबई में प्रेमचंद की कहानियों की रंगमंचीय प्रस्तुतियों का सिलसिला कई दशकों से अनवरत चल रहा है।
 

मुंबई में जहां एक ओर 'आइडियल ड्रामा एंड एंटरटेनमेंट एकेडमी' (आइडिया) लगातार प्रेमचंद की कहानियों का मंचन कर रही है, वहीं 'एकजुट थिएटर ग्रुप' भी प्रेमचंद की रचनाओं को रंगमंच के जरिये दर्शकों तक ले जा रहा है। 'एकजुट' के कलाकारों के साथ पिछले 16 सालों में प्रेमचंद की कृति 'बड़े भाई साहब' के कई प्रदर्शन कर चुके रंगकर्मी संतोष तिवारी ने बताया कि उन्होंने कहानी के मूल स्वरूप को बरकरार रखने की कोशिश की है। इसके लिए सूत्रधार का उपयोग किया गया है। बहुत ज़रूरी होने पर इस नाटक में बहुत मामूली, ऐसा बदलाव किया गया, जिससे मूल कृति यथावत रहती है। उन्होंने बताया कि ग्रुप ने प्रेमचंद की कहानियां 'रसिक संपादक', 'दरोगा जी', 'नया विवाह' और 'ईदगाह' के नाट्य रूपांतरणों का मंचन भी किया। उन्होंने बताया कि मुंबई में प्रेमचंद को बहुत पसंद किया जाता है। नसीरुद्दीन शाह जैसे दिग्गज कलाकार भी प्रेमचंद की रचनाओं के साथ मंच पर आते रहते हैं। आज के समाज में भी प्रेमचंद के चरित्र ज़िन्दा हैं और कल भी रहेंगे।
 

जयंती पर 'प्रेम उत्सव'
मुंशी प्रेमचंद की 135वीं जयंती पर आइडिया 30 जुलाई से 8 अगस्त तक मुंबई में 'प्रेम उत्सव' का आयोजन करने जा रहा है, जिसके तहत उनकी 135 कहानियों का मंचन किया जाएगा। इसके अलावा 'आइडिया' के डायरेक्टर रंगकर्मी मुजीब खान प्रेमचंद की कहानियों के मंचन को 'गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड्स' में दर्ज कराने की तैयारी भी कर रहे हैं। उन्होंने बताया कि वह निकट भविष्य में उनकी 315 कहानियों का मंचन निरंतर 240 घंटे, यानी 10 दिन तक करेंगे। उन्होंने बताया कि 'आइडिया' पिछले 10 साल से नाट्य प्रदर्शन की सीरिज़ 'आदाब, मैं प्रेमचंद हूं' चला रही है। यह सिलसिला प्रेमचंद की 125वीं जयंती पर सन 2005 में शुरू हुआ था।

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