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This Article is From Jun 25, 2014

बादलों की बेरुखी से मुंबई में हो सकती है पानी की किल्लत

मुंबई:

मुंबई से मॉनसून अब भी दूर लग रहा है। ये देरी मुंबई के लिए आने वालों दिनों में मुश्किल खड़ी कर सकती है। महानगर को पानी सप्लाई करने वाली मोडक सागर, तानसा, विहार, तुलसी, अपर वैतरणा और भातसा झीलों का जलस्तर तेजी से घट रहा है। पानी देने वाली ये तमाम झीलें मुंबई से करीब 100 किलोमीटर दूर हैं और इनके दम पर ही शहर की प्यास बुझती है। ऐसे में अगर कैचमैंट एरिया में जल्द बरसात शुरू नहीं हुई, तो शहर को पानी कटौती का सामना करना पड़ सकता है।

सरकारी आंकड़े कहते हैं कि मौजूदा जलस्तर 14,70,00,468 एमएलडी है, जबकि पिछले साल जुलाई में यह आंकड़ा 29,10,007,00 एमएलडी था। पिछले साल की तुलना में कई तालाबों में आधा पानी ही बचा है। विहार लगभग सूखने की स्थिति में है। अपर वैतरणा से पानी लेने का काम बंद है। तानसा की हालत भी कमोबेश ऐसी ही है। ऐसे में पानी सप्लाई सिर्फ मोडक सागर और भातसा पर निर्भर है।

शहर को हर रोज 3 हजार 750 एमएलडी पानी की सप्लाई होती है, लेकिन 900 एमएलडी लीकेज और चोरी में बर्बाद हो जाता है।
राज्य के उपमुख्यमंत्री अजित पवार कह रहे हैं कि 'बारिश कैचमेंट एरिया में भी नहीं है, पुणे के लिए भी सिर्फ 15 जुलाई तक का पानी है। अगर हालात ऐसे ही रहते हैं, तो हमें कुछ कड़े कदम उठाने पड़ सकते हैं। लेकिन पुणे में भारतीय मौसम विभाग के डिप्टी डायरेक्टर एन चट्टोपाध्याय का कहना है कि अभी कुछ भी कहना जल्दबाज़ी होगा और हमें जुलाई के पहले हफ्ते का इंतजार करना चाहिए। मौसम विभाग को अब भी उम्मीद है कि जुलाई में अच्छी बारिश हो सकती है।

संकट को देखते हुए सरकार कृत्रिम बरसात के विकल्पों के बारे में भी सोच रही है। वैसे ऐसे प्रयोग पहले धराशायी हो चुके हैं। मॉनसून की मेहरबानी सिर्फ मुंबई नहीं, पूरे महाराष्ट्र से गायब है। दक्षिण कोंकण को छोड़कर पूरे राज्य में इस वक्त तक 75−80 फीसदी कम बरसात हुई है। राज्य में किसानों की हालत और भी ज्यादा गंभीर हो रही है, क्योंकि अब तक सिर्फ तीन फीसदी बुआई हो पाई है। किसानों को अब नई आस जुलाई महीने से है।

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