नई दिल्ली:
उच्चतम न्यायालय ने मुंबई के वर्ली इलाके में कैम्पा कोला हाउसिंग सोसायटी की सात बहुमंजिला इमारतों की गैरकानूनी मंजिलों के निवासियों को अपने फ्लैट खाली करने के लिए 41 दिन का वक्त दिया जिन्हें गिराने की कार्रवाई तीन अक्टूबर से शुरू होनी थी। इन इमारतों में छह मंजिल के निर्माण की स्वीकृति थी लेकिन इनमें इससे अधिक का निर्माण हुआ था।
न्यायमूर्ति जीएस सिंघवी की अध्यक्षता वाली खंडपीठ ने इसे गिराने के आदेश पर पुनर्विचार करने से इनकार करते हुए गैरकानूनी फ्लैट में रहने वालों को इसे खाली करने के लिए सशर्त अंतिम अवसर प्रदान किया है। न्यायालय ने कहा कि इसके बाद वे इस मसले पर किसी भी अदालत में कोई याचिका दायर नहीं करेंगे।
न्यायाधीशों ने अपने आदेश में कहा, ‘दलीलों पर विचार के बाद हम वरिष्ठ अधिवक्ता मुकुल रोहतगी (फ्लैट में रहने वालों की ओर से) का अनुरोध स्वीकार करना उचित समझते हैं और इन परिसरों को खाली करने के लिए 11 नवंबर तक का समय प्रदान करते हैं।’ न्यायाधीशों ने कहा कि यह अनुमति इस शर्त के साथ दी जा रही है कि वे अब बंबई उच्च न्यायालय सहित महाराष्ट्र में कोई मामला दायर नहीं करेंगे।’ न्यायाधीशों ने कहा कि फ्लैट के मालिक संबंधित बिल्डर के खिलाफ अदालत में जा सकते हैं।
रोहतगी ने बहस शुरू करते हुए संबंधित इमारतों के स्वीकृत निर्मित क्षेत्र के मसले पर फिर से विचार का अनुरोध किया। इसपर न्यायाधीशों ने कहा कि हम पहले ही नगर पालिका की कारण बताओ नोटिस को सही ठहरा चुके हैं। ऐसी स्थिति में इतनी देरी से वे यह सवाल उठाने के हकदार नहीं हैं।
न्यायमूर्ति जीएस सिंघवी की अध्यक्षता वाली खंडपीठ ने इसे गिराने के आदेश पर पुनर्विचार करने से इनकार करते हुए गैरकानूनी फ्लैट में रहने वालों को इसे खाली करने के लिए सशर्त अंतिम अवसर प्रदान किया है। न्यायालय ने कहा कि इसके बाद वे इस मसले पर किसी भी अदालत में कोई याचिका दायर नहीं करेंगे।
न्यायाधीशों ने अपने आदेश में कहा, ‘दलीलों पर विचार के बाद हम वरिष्ठ अधिवक्ता मुकुल रोहतगी (फ्लैट में रहने वालों की ओर से) का अनुरोध स्वीकार करना उचित समझते हैं और इन परिसरों को खाली करने के लिए 11 नवंबर तक का समय प्रदान करते हैं।’ न्यायाधीशों ने कहा कि यह अनुमति इस शर्त के साथ दी जा रही है कि वे अब बंबई उच्च न्यायालय सहित महाराष्ट्र में कोई मामला दायर नहीं करेंगे।’ न्यायाधीशों ने कहा कि फ्लैट के मालिक संबंधित बिल्डर के खिलाफ अदालत में जा सकते हैं।
रोहतगी ने बहस शुरू करते हुए संबंधित इमारतों के स्वीकृत निर्मित क्षेत्र के मसले पर फिर से विचार का अनुरोध किया। इसपर न्यायाधीशों ने कहा कि हम पहले ही नगर पालिका की कारण बताओ नोटिस को सही ठहरा चुके हैं। ऐसी स्थिति में इतनी देरी से वे यह सवाल उठाने के हकदार नहीं हैं।
NDTV.in पर ताज़ातरीन ख़बरों को ट्रैक करें, व देश के कोने-कोने से और दुनियाभर से न्यूज़ अपडेट पाएं