'वोडाफोन आइडिया को पिछले एक दशक में दो लाख करोड़ रुपये से ज्यादा का नुकसान हुआ है. अगर उन्होंने रातोंरात अपना सारा बकाया सरकार को चुकाया तो उन्हें अपना कारोबार बंद करना होगा. ऐसा करने से 10 हजार लोग बेरोजगार हो जाएंगे और 30 करोड़ यूजर्स को असुविधा होगी', कंपनी के वरिष्ठ वकील मुकुल रोहतगी ने NDTV से यह बात कही है. उन्होंने आगे कहा कि समूचे टेलीकॉम सेक्टर पर इसका असर पड़ेगा. कंपनी मुकाबले से बाहर हो जाएगी और भारतीय बाजार में केवल दो फर्म रह जाएंगी.
वोडाफोन आइडिया पर सरकार का 7000 करोड़ रुपये बकाया है. यह रकम ब्याज, जुर्माना और जुर्माने की रकम पर ब्याज मिलाकर यह करीब 23 हजार से 25 हजार करोड़ रुपये हो गई है. मुकुल रोहतगी ने बताया कि कंपनी ने 2150 करोड़ रुपये चुका दिए हैं. उन्होंने कहा, 'सरकार को बैंक गारंटी को नहीं भुनाना चाहिए या फिर कंपनी को कल बंद कर दिया जाना चाहिए.' उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट का आदेश है कि टेलीकॉम कंपनियां सरकार को अपने सभी बकाए का भुगतान तुरंत करें. इस आदेश के बाद घाटे वाली कंपनियों के लिए संकट पैदा हो गया है.
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मुकुल रोहतगी ने आगे कहा, 'सभी कंपनियां दूरसंचार विभाग से कहती आ रही हैं कि उनके पास रातोंरात इस रकम का भुगतान करने के लिए कोई रास्ता नहीं है. सरकार को भी इस स्थिति के लिए पहल करनी चाहिए, वरना यह क्षेत्र जो बेहद तनाव में है, इसमें केवल दो ऑपरेटर रह जाएंगे. एक तरह से यह अर्ध-एकाधिकार की तरह है, जिसे हम कुलीनतंत्र कहते हैं.'
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बता दें कि पिछले कुछ वर्षों में प्रतिस्पर्धा की वजह से टेलीकॉम सेक्टर को काफी नुकसान हुआ है. ऋण अदायगी की वजह से कुछ कंपनियां बंद भी हो चुकी हैं. बीते सोमवार रकम चुकाने से जुड़े मामले की सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने वोडाफोन आइडिया के प्रस्ताव पर कोई आदेश देने से इंकार कर दिया था. कंपनी ने प्रस्ताव दिया था कि वह 2500 करोड़ रुपये सोमवार को और शुक्रवार तक 1000 करोड़ रुपये का भुगतान कर दिया जाएगा.
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बताते चलें कि वोडाफोन के अधिकारी इस बात को कई बार दोहरा चुके हैं कि अगर कंपनी पर अचानक से पैसे चुकाने का भार पड़ेगा तो कंपनी को भारत में अपना कारोबार बंद करना पड़ेगा. ऐसा होने पर हजारों लोगों से रोजगार छिन जाएगा. साल 2018 में आइडिया का वोडाफोन में विलय हो गया था. इस समय भारतीय बाजार में 'वोडाफोन आइडिया', 'भारती एयरटेल' और 'जियो' प्रमुख टेलीकॉम कंपनियां हैं.
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