
डीएमके सांसद त्रिची शिवा ने कृषि कानून के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की है. याचिका में कहा गया है कि कानूनों को असंवैधानिक और अवैध घोषित किया जाए. नए कानून देश के गरीब किसानों के लिए एक नए शोषणकारी शासन की शुरूआत करेंगे, जो पूरी तरह से बाजार में अपनी उपज बेचकर अपनी आजीविका कमाने पर निर्भर हैं. इससे पहले सोमवार को किसान और कृषि कानून के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में पहली याचिका दाखिल की गई थी.
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कांग्रेस सांसद ने कानून के खिलाफ याचिका दाखिल की है. केरल के कांग्रेस सांसद टीएन प्रतापन ने किसानों के {सशक्तीकरण और संरक्षण } मूल्य आश्वासन और कृषि सेवा अधिनियम, 2020 को चुनौती दी है. याचिका में कहा गया है कि यह कानून गैरकानूनी है. याचिका में कहा गया है कि कानून मौलिक अधिकारों का उल्लंघन करता है. इसे रद्द किया जाना चाहिए. याचिका में कहा गया है कि कानून की कुछ धाराएं संविधान के मूल ढांचे और किसानों के मौलिक अधिकारों के खिलाफ हैं.
याचिका में कहा गया है कि यह कानून किसानों को तनाव में डालता है, और यदि कोई विवाद होता है तो उन्हें उपाय के लिए नौकरशाही के पीछे भागना होगा. ये कानून शिकायतों को दूर करने के लिए किसान केंद्रित अदालतों को स्थापित करने में विफल रहा है. इस अधिनियम द्वारा व्यक्तिगत स्वतंत्रता और गरिमा का उल्लंघन किया गया है.
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