द गवर्नमेंट ऑफ नेशनल कैपिटल टेरिटरी ऑफ दिल्ली (अमेंडमेंट) बिल, 2021 को लोकसभा में पारित किया जा चुका है, और उब उसे राज्यसभा से पारित होना शेष है. इस बिल में प्रस्तावित कानून के मुताबिक दिल्ली में केंद्र का प्रतिनिधित्व करने वाले उपराज्यपाल (LG) को दिल्ली की निर्वाचित सरकार की तुलना में अधिक अधिकार मिल जाएंगे.
राज्यसभा के सभापति एम. वेंकैया नायडू को खत लिखकर पश्चिम बंगाल तथा अन्य राज्यों में विधानसभा चुनाव खत्म होने तक बिल पर चर्चा नहीं करवाने का आग्रह करने वाले डेरेक ओब्रायन ने एक ट्वीट में इसे (बिल को) 'लोकतंत्र, संविधान और संसद के सीने में चाकू' की संज्ञा दी है.
तृणमूल कांग्रेस (TMC) के राज्यसभा सदस्य ने ट्वीट में लिखा, "पांच राज्यों में चुनाव में सिर्फ दो दिन रह गए हैं... फिर भी तृणमूल कांग्रेस के राज्यसभा सांसद उड़कर दिल्ली आ रहे हैं ताकि #GNCT बिल को पारित नहीं होने दिया जाए, जिसमें दिल्ली की चुनी हुई सरकार के अधिकार छीने गए हैं... लोकतंत्र, संविधान और संसद के सीने में एक और चाकू... इससे भी बुरा यह है कि गृहमंत्री चुनाव प्रचार कर रहे हैं... क्रूर विडम्बना है..."
डेरेक ओब्रायन ने मंगलवार को राज्यसभा सभापति को खत में लिखा था कि यह बिल 'विधान का बेहद महत्वपूर्ण हिस्सा है', जिसका समूचे भारत पर अहम असर होगा, और अगर इसे जल्दबाज़ी में पारित किया गया, तो 'न्याय की निष्फलता होगी...'
उन्होंने कहा था कि पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव की वजह से तृणमूल कांग्रेस के सदस्यों के लिए संसद की कार्यवाही में शामिल हो पाना संभव नहीं होगा. डेरेक ओब्रायन ने लिखा था, "संसद के प्रत्येक सदस्य को अपनी बात कहने का अवसर दिया जाना चाहिए, जब सदन में इस बिल पर चर्चा हो... सदस्यों को इस अवसर से वंचित करना उत्तरादायी शासन के सिद्धांत के विरुद्ध होगा..." उन्होंने यह भी कहा कि इससे कानून पारित करने को लेकर गलत उदाहरण पेश होगा.
राज्यसभा की कार्यवाही में मंगलवार को कई बार बाधा उत्पन्न कर चुके इस बिल के अनुसार, दिल्ली में 'सरकार' का अर्थ 'उपराज्यपाल' होगा. बिल में यह भी कहा गया है कि दिल्ली सरकार को किसी भी काम के लिए उपराज्यपाल से सलाह लेनी होगी.
इस बिल को दिल्ली की अरविंद केजरीवाल सरकार के लिए झटका माना जा रहा है, जो केंद्र सरकार पर अपनी हर योजना को रोकने और बाधित करने का आरोप लगाती आ रही है. कांग्रेस के मल्लिकार्जुन खड़गे ने भी राज्यसभा में मंगलवार को कहा कि इस बिल का उद्देश्य एक चुनी हुई सरकार के अधिकार छीनना है.
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