मध्य प्रदेश में कमलनाथ सरकार पर आए संकट के बीच मंत्री महेंद्र सिंह सिसोदिया ने कहा है कि कमलनाथ सरकार को संकट तब होगा जब हमारे नेता ज्योतिरादित्य सिंधिया जी की उपेक्षा या अनादर सरकार करेगी. तब निश्चित तौर से सरकार पर जो काला बादल छाएगा और वो क्या कर के जाएगा मैं ये कह नहीं सकता हूं. महेंद्र सिंह सिसोदिया के इस बयान के बाद से एक बार फिर कांग्रेस के वरिष्ठ नेता ज्योतिरादित्य सिंधिया के ऊपर नजरें घूम रही हैं. क्योंकि जबसे मध्य प्रदेश में कांग्रेस की सरकार बनी है ज्योतिरादित्य सिंधिया की नाराजगी चर्चा में रही है. दरअसल चुनाव में सिंधिया को मुख्यमंत्री पद का प्रबल दावेदार माना जा रहा था. लेकिन नतीजे आने के बाद कांग्रेस आलकमान ने कमलनाथ को मुख्यमंत्री बना दिया. इस फैसले को ज्योतिरादित्य सिंधिया और उनके समर्थकों के लिए बड़ा झटका माना गया. इसके बाद से सिंधिया और कमलनाथ के बीच एक तरह से दूरियां और बढ़ती गईं.
@OfficeOfKNath को उस दिन ख़तरा होगा जिस दिन @JM_Scindia का अनादर होगा @INCMP के मंत्री महेन्द्र सिसोदिया का बयान @BJP4India @BJP4MP @ndtv @ndtvindia @VishvasSarang @rajneesh4n #YesBank #coronavirusinindia #PMCBank #KamalNath #Congress #BJP pic.twitter.com/LnVPi0OL3x
— Anurag Dwary (@Anurag_Dwary) March 6, 2020
इसी बीच मध्य प्रदेश में ज्योतिरादित्य सिंधिया के समर्थकों ने एक उनका एक पोस्टर भी लगा दिया जिसमें पीएम मोदी और अमित शाह भी थे. सिंधिया ने भी जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाए जाने का समर्थन किया. हाल ही में ज्योतिरादित्य सिंधिया (Jyotiraditya Scindia) कमलनाथ सरकार के विरोध में खुलकर खड़े नजर आए. उन्होंने एक जनसभा में अतिथि शिक्षकों को संबोधित करते हुए वादे पूरे न होने पर राज्य सरकार के खिलाफ सड़कों पर उतरने की बात कही. जिसके बाद सूबे के मुखिया कमलनाथ (CM Kamal Nath) ने इस बारे में पूछे गए सवाल पर कहा था, 'तो उतर जाएं.' ज्योतिरादित्य सिंधिया ने रविवार को मीडिया से बात करते हुए कहा, 'मैं जनता का एक सेवक हूं. जनता के मुद्दों के लिए लड़ाई लड़ना मेरा धर्म है. हमने एक साल धैर्य रखा. इसके बाद अगर घोषणापत्र में किए गए वादों को पूरा नहीं किया जाता है तो हम सड़कों पर प्रदर्शन करने से जरा भी नहीं झिझकेंगे.'
दरअसल कमलनाथ सरकार इस बार एक साथ कई संकटों से जूझती नजर आ रही है. एक ओर तो उसके अल्पमत में जाने का खतरा दिखाई दे रहा है क्योंकि एक विधायक ने इस्तीफा दे दिया है तो दूसरी ओर सूत्रों के मुताबिक कई मंत्रियों ने भी इस्तीफे की पेशकश कर दी है. विधानसभा में बहुमत के लिए बहुमत के लिए 115 विधायक हैं. कांग्रेस के पास 113 विधायक बचे हैं. अगर डंग का इस्तीफा स्वीकार नहीं होता है तो 114 हैं. 230 सदस्यों की विधानसभा है. 2 सदस्यों के निधन के बाद संख्या 228 है. कांग्रेस को 2 बसपा, 1 सपा, 4 निर्दलीयों का समर्थन है. 4 निर्दलीयों में एक ग़ायब है.
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