Bhopal:
मध्य प्रदेश के कृषिमंत्री राम कृष्ण कुसमारिया ने कहा है किसान अपनी बदहाली के लिए खुद जिम्मेदार हैं। मध्य प्रदेश में फसल बर्बाद होने से परेशान तीन और किसानों ने खुदकुशी की कोशिश की है। इस पर मंत्री ने कहा है कि ये किसानों के पुराने पापों का नतीजा है, क्योंकि किसान जरूरत से ज्यादा कीटनाशकों का इस्तेमाल करते रहे हैं, जिससे उनकी जमीनें बंजर हो गई हैं। मध्य प्रदेश में हजारों किसानों ने अपनी बदहाली की ओर सरकार का ध्यान खींचने के लिए भोपाल में धरना भी दिया था, लेकिन सरकार की ओर से कोई ठोस भरोसा नहीं मिला। मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने केंद्र से 5,000 करोड़ की सहायता जरूर मांगी है, लेकिन फौरी राहत का कोई इंतजाम न होने से किसान खुदकुशी का रास्ता अख्तियार कर रहे हैं। दमोह के 28 साल के किसान उदय सिंह परिहार मौत से लड़ रहे हैं। ठंड से 15 एकड़ में लगी दाल और गेहूं तबाह हो गए, तो 3 लाख का कर्ज कहां से चुकाते... बस जहर पी लिया। मगर छिंदवाड़ा के 60 साल के मोइतराम की जान नहीं बच पाई। अंतिम संस्कार के लिए परिवार को बैलों की बची इकलौती जोड़ी तक बेचनी पड़ी। संतरे की फसल सर्दी की भेंट चढ़ गई, तो उन्होंने भी कीटनाशक दवा पी ली। उसी दिन सिहोर जिले के 40 साल के शिवप्रसाद मेवारहा फांसी पर लटक गए, उनकी गेहूं और दाल की फसल चौपट गई, जबकि सिर पर 10 लाख का कर्ज था। 2009 में NCRB के मुताबिक 1395 किसानों ने आत्महत्या की यानी रोजाना चार किसानों की मौत यानी जो देश को खिला रहे हैं, खुदकुशी के लिए भी वहीं मजबूर हैं।
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किसान, खुदकुशी, मध्य प्रदेश