कमजोर मानसून की वजह से देश में सूखे का संकट बड़ा होता दिख रहा है. फ़सलों की बुआई पर इसका सीधा असर पड़ा है. चावल-दाल की बुवाई 36 लाख हेक्टेयर कम हो गई है. चिंतित सरकार इसको लेकर बैठक कर रही है.
हर साल खरीफ़ से होने वाली ये बैठक इस साल कुछ ख़ास हो गई है. खराब मॉनसून और सूखे के साये के बीच कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर 12 राज्यों के कृषि मंत्रियों से मिले...कृषि मंत्रालय के ताज़ा आंकड़ों के मुताबिक खरीफ फसलों की बुआई में गिरावट आई है. धान की बुआई 5 जुलाई 2018 को 68.60 लाख हेक्टेयर थी जो 5 जुलाई 2019 को घटकर 52.47 लाख हेक्टेयर हो गई. यह पिछले साल के मुकाबले करीब 16 लाख हेक्टेयर कम है. दलहन की बुआई 5 जुलाई 2018 को 27.91 लाख हेक्टेयर थी जो 5 जुलाई 2019 को घटकर 7.94 लाख हेक्टेयर रह गई है. यानी करीब 20 लाख हेक्टेयर कम. धान और दलहन की फसलों की बुआई में कुल गिरावट 36 लाख हेक्टेयर की है.
मानसून में देरी का असर महत्वपूर्ण खरीफ की फसलों की बुआई पर पड़ रहा है. जिन राज्यों में धान, दलहन और मोटा अनाज की बुआई कई लाख हेक्टेयर घट गई है वहां किसानों में तनाव बढ़ रहा है. हालांकि कृषि मंत्री मानते हैं कि नुकसान की भरपाई अब भी संभव है.
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कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा कि मानसून में देरी चिंता विषय है, लेकिन अभी समय है. इस पर अभी कुछ कहना जल्दबाजी होगी. अभी जानकारी के अनुसार कुल मिलाकर सामान्य वर्षा होगी. सूखे की स्थित पर अभी कुछ भी कहना जल्दबाजी होगी. अगर ऐसी स्थिति आएगी तो राज्यों के साथ मिलकर उसका सामना करेंगे.
बैठक में महाराष्ट्र के कृषि मंत्री अनिल बोडे ने राज्य में सूखे के बढ़ते संकट का सवाल उठा दिया. कहा कि महाराष्ट्र के 151 तालुका, 268 मंडल और 2000 गांवों में सूखा घोषित किया गया है, सरकार ट्रैक्टरों और दूसरे उपकरणों पर से जीएसटी हटाए. अनिल बोडे ने कहा कि किसानों को 4 प्रतिशत से कम की ब्याज़ दर पर कर्ज़ मिले. बीमा कंपनियां सूखा-ग्रसित इलाकों में किसानों का बकाया मुआवजा जल्दी चुकाएं.
दूसरे राज्यों ने भी कमज़ोर मानसून से निपटने की तैयारी शुरू कर दी है. हिमाचल प्रदेश के कृषि मंत्री राम लाल मार्कंडे ने कहा कि 'मैंने आदेश जारी किया है कि किसानों को फसल बीमा योजना के तहत जल्दी राहत दी जाए.'
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साफ है, मानसून की कमी में भरपाई अगर समय रहते नहीं हुई तो संकट बड़ा हो सकता है.
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