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This Article is From Dec 25, 2012

विकास के एजेंडे के कारण मोदी को मिला मुसलमानों का वोट : वस्तानवी

नई दिल्ली: गुजरात के मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी की कथित तारीफ के कारण दारूल उलूम देवबंद के कुलपति (मोहतमिम) पद से हटाए गए मौलाना गुलाम वस्तानवी ने कहा है कि विधानसभा चुनाव में मोदी के विकास का एजेंडा काम आया और शायद इसी कारण मुसलमानों ने भाजपा के पक्ष में मतदान किया।

इसके साथ ही वस्तानवी ने कहा कि भाजपा को वोट देने का मतलब यह नहीं है कि 2002 के दंगों के लिए मुस्लिम समुदाय ने मोदी को माफ कर दिया है।

उन्होंने कहा, ‘‘मुसलमानों ने इस बार गुजरात में भाजपा के पक्ष में मतदान किया तो उसकी वजहें हैं। एक बड़ी वजह विकास का एजेंडा भी है। मोदी ने इस बार विकास के एजेंडे को आगे बढ़ाया और शायद इसी वजह से मुसलमानों ने भी भाजपा को वोट दिया। सभी विकास चाहते हैं।’’

महाराष्ट्र और गुजरात में कई शिक्षण संस्थान चला रहे मौलाना वस्तानवी ने कहा, ‘‘मीडिया में मुसलमानों के भाजपा के पक्ष में मतदान करने की खबरें आई हैं। करीब 20 सीटें भाजपा ने जीती हैं जहां मुसलमानों की संख्या अच्छीखासी है।’’ उन्होंने कहा, ‘‘2002 का दंगा और इस बार चुनाव ‘डिफरेंट केस’ हैं। अगर मुसलमानों ने भाजपा को वोट दिया तो इसका यह मतलब नहीं कि उन्होंने मोदी को माफ कर दिया है।’’

स्थानीय निकाय के चुनावों में भाजपा की ओर से 100 से अधिक मुसलमानों को टिकट दिए जाने का उल्लेख करते हुए उन्होंने कहा, ‘‘नगर निकाय के चुनावों में भाजपा ने 100 से अधिक मुसलमानों को टिकट दिया था। इसका असर भी हुआ। इन लोगों ने भाजपा को जिताने की जरूर कोशिश की होगी।’’

गुजरात विधानसभा चुनाव में भाजपा की ओर से एक भी मुसलमान को टिकट नहीं दिए जाने के बारे में पूछे जाने पर वस्तानवी ने कहा, ‘‘मुझे लगता है कि मुसलमानों को टिकट देना चाहिए था।’’ हाल ही में मुस्लिम नेता सैयह शहाबुद्दीन की ओर से मोदी के नाम सशर्त माफी वाले पत्र से जुड़े सवाल पर उन्होंने कहा, ‘‘आपको पता है कि सभी प्रमुख मुस्लिम संगठनों ने उनकी बात को खारिज कर दिया। मैं भी सैयद शहाबुद्दीन की बात से इत्तेफाक नहीं रखता।’’

गुजरात चुनाव से ठीक पहले ‘ज्वाइंट कमिटी ऑफ मुस्लिम आर्गनाइजेशन फॉर इम्पारवमेंट’ के संयोजक शहाबुद्दीन ने मोदी के नाम एक खुला पत्र लिखा था जिसमें उनसे कहा गया था कि कुछ शर्तों को मानने की स्थिति में मुस्लिम समुदाय गुजरात के मुख्यमंत्री के साथ आने के बारे में सोच सकता है। इन शर्तों में 2002 के दंगों के लिए सार्वजनिक माफी मांगने और विधानसभा चुनाव में मुसलमानों को 20 टिकट देने की बातें प्रमुख थीं।

विधानसभा चुनाव में कांग्रेस के लिए प्रचार करने वाले मौलाना वस्तानवी ने कहा, ‘‘मैंने कांग्रेस के लिए प्रचार किया। ऐसा करने का फैसला मैंने खुद किया था। मैं चाहता था कि गुजरात में कांग्रेस की सरकार बने, लेकिन फैसला तो जनता करती है।’’

उल्लेखनीय है कि साल 2011 की शुरुआत में दारूल उलूम देवबंद के कुलपति का पदभार संभालने के तत्काल बाद मोदी और उनके प्रशासन को कथित तौर पर तारीफ की थी। इसी को लेकर हुए विवाद के बाद जुलाई, 2011 में उन्हें पद से हटा दिया गया था।

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