महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार योजना (MNREGA) के तहत काम पाने वाले लोगों को कर्मचारी भविष्य निधि (EPF) की सुविधा मिलनी शुरू हो गई है. यह सुविधा फिलहाल उत्तर प्रदेश के सोनभद्र जिले के मनरेगा कर्मियों को दी जा रही है. कर्मचारी भविष्य निधि संगठन, वाराणसी से 30 जनवरी को इस संदर्भ में सूचना जारी की गई है. पत्र में बताया गया है कि सोनभद्र जिले के मनरेगा कर्मियों के ईपीएफ कटौती की धनराशि 4,00,500 रुपये बैंक ड्राफ्ट के जरिए प्राप्त हो गई है. पत्र में कहा गया है कि मनरेगा कर्मियों के यूनिर्वसल अकाउंट नंबर (UAN) में उक्त राशि को जमा कराया जाए. यह धनराशि तीन महीने क्रमश: अक्टूबर, नंबर और दिसंबर की है. बता दें कि अभी तक देश में कहीं भी मनरेगा कर्मियों को ईपीएफ का लाभ नहीं मिलता है. यह देश का पहला ही मामला होगा जब मनरेगा के तहत काम करने वाले कर्मियों को भी ईपीएफ का लाभ दिया जा रहा है.
इस संदर्भ में क्षेत्रिय भविष्य निधि आयुक्त, वाराणसी कार्यालय से मिली जानकारी के अनुसार फिलहाल यह लाभ जिलास्तर पर कार्यालय में काम करने वाले मनरेगा कर्मियों को दी जा रही है. आयुक्त कार्यालय के अनुसार इस समय उत्तर प्रदेश के प्रत्येक जिले में तकरीबन पांच-पांच सौ मनरेगा कर्मी कार्यरत हैं. यह लाभ फिलहाल उन्हें दी जाएगी. मनरेगा के तहत मजदूरी करने वाले कर्मियों को यह सुविधा नहीं मिल पाएगी. हालांकि इस संदर्भ में यह उम्मीद की जा सकती है कि आने वाले समय में ईपीएफ का लाभ पूरे देश में मनरेगा के तहत रोजगार पाने वाले सभी कर्मियों को मिलने लगेगा.
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रोजगार की गारंटी योजना 2005 में एक कानून के तहत देश में लागू की गई थी. महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी कानून के तहत ग्रामीण क्षेत्र में सक्षम और इच्छुक श्रमिकों को 100 दिन निश्चित रूप से रोजगार देने की योजना है. यह योजना पूरे देश में लागू है और इसके तहत तकरीबन 11 करोड़ लोग काम पा रहे हैं. मनरेगा के तहत सबसे ज्यादा चंडीगढ़ में 273 रुपये प्रतिदिन की मजदूरी दी जाती है जबकि सबसे कम बिहार में 168 रुपये प्रतिदिन की मजदूरी दी जाती है.
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