
प्रतीकात्मक तस्वीर
नई दिल्ली:
दिल्ली की एक अदालत ने सात साल की एक लड़की के यौन उत्पीड़न के मामले में एक युवक को पांच साल कैद की सजा सुनायी है और कहा कि युवक ने जिस तरह का अपराध किया है वह किसी भी तरह से रहम का हकदार नहीं है.
अदालत ने महसूस किया कि किसी भी सभ्य समाज की बुनियाद बच्चों का कल्याण और उनकी भलाई की अवधारणा है और इससे पूरे समुदाय की भलाई और स्वास्थ्य की स्थिति पर एक सीधा असर पड़ता है.
अदालत ने उत्तरी दिल्ली के 20 वर्षीय निवासी को आईपीसी के तहत अपहरण और यौन अपराध से बच्चों की सुरक्षा (पोस्को) के तहत यौन उत्पीड़न का अपराधी मानते हुये जेल की सजा सुनायी.
अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश गौतम मनन ने कहा, ‘‘यह आसानी से निष्कर्ष निकाला जा सकता है कि पीड़िता को एक सुनसान जगह पर ले जाकर कर अभियुक्त ने उसका यौन उत्पीड़न किया और इस तरह से आरोपी को अपराध के लिए दोषी है.’’ उन्होंने कहा कि युवक द्वारा किए गये अपराध की प्रकृति किसी भी तरह से रहम का हकदार नहीं है. अदालत ने पीड़िता को दो लाख रुपये का मुआवजा देने का भी आदेश दिया.
अदालत ने महसूस किया कि किसी भी सभ्य समाज की बुनियाद बच्चों का कल्याण और उनकी भलाई की अवधारणा है और इससे पूरे समुदाय की भलाई और स्वास्थ्य की स्थिति पर एक सीधा असर पड़ता है.
अदालत ने उत्तरी दिल्ली के 20 वर्षीय निवासी को आईपीसी के तहत अपहरण और यौन अपराध से बच्चों की सुरक्षा (पोस्को) के तहत यौन उत्पीड़न का अपराधी मानते हुये जेल की सजा सुनायी.
अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश गौतम मनन ने कहा, ‘‘यह आसानी से निष्कर्ष निकाला जा सकता है कि पीड़िता को एक सुनसान जगह पर ले जाकर कर अभियुक्त ने उसका यौन उत्पीड़न किया और इस तरह से आरोपी को अपराध के लिए दोषी है.’’ उन्होंने कहा कि युवक द्वारा किए गये अपराध की प्रकृति किसी भी तरह से रहम का हकदार नहीं है. अदालत ने पीड़िता को दो लाख रुपये का मुआवजा देने का भी आदेश दिया.
NDTV.in पर ताज़ातरीन ख़बरों को ट्रैक करें, व देश के कोने-कोने से और दुनियाभर से न्यूज़ अपडेट पाएं